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शिवांजलि| पटना9 घंटे पहले

गणतंत्र दिवस को लेकर पटना में हर साल गांधी मैदान में झांकियां निकाली जाती है। भारत में संविधान लागू होने के 29 साल बाद पटना में झांकियां निकाली गई थीं। झांकियां निकालने की शुरुआत 1979 में गणतंत्र दिवस से हुई थी। 1979 में पटना के तत्कालीन जिलाधिकारी आरएन सिन्हा ने इसकी पहल की थी। इससे पहले गांधी मैदान में सिर्फ परेड करने की परपंरा थी।

1979 के गणतंत्र दिवस के अवसर पर राज्यपाल ने परेड का निरीक्षण किया। झंडोत्तोलन के बाद मार्च पास्ट हुआ। परेड विसर्जन के बाद राज्य सरकार की ओर से झांकियों का प्रदर्शन प्रारम्भ हुआ।

पहली बार लगभग 6 झांकियां प्रदर्शित की गई थीं, जिसमें बौद्ध भिक्षुओं की टोली थी। इसके बाद वीर कुंवर सिंह और अमर सिंह का नौका, मिथिला विवाह में चुमाओन परम्परा, प्रौढ़ शिक्षा कार्यक्रम, उरांव लोक नृत्य, अभिमन्यु का चक्रव्यूह भेदने आदि प्रदर्शित किए गए। इस झांकी ने लोगों को मंत्र मुग्ध कर दिया था।

पटना के तत्कालीन डीएम के मन में आई थी पहली बार झांकी निकालने की बात

सूचना एवं जनसंपर्क विभाग के रिटायर्ड वरीय रंगकर्मी और उद्घोषक डॉ. अशोक प्रियदर्शी ने बताया कि राजधानी दिल्ली में गणतंत्र दिवस के मौके पर सूचना एवं जनसंपर्क विभाग, अपनी झांकी लेकर बिहार सरकार का प्रतिनिधित्व करती थी। 1979 में पटना के तत्कालीन जिलाधिकारी आरएन सिन्हा थे। उनके मन में ये बात आई की जब दिल्ली में झांकियां निकाली जाती है, तो फिर यहां क्यों नहीं?

इसके लिए उन्होंने आकाशवाणी के तत्कालीन अधिकारी डॉ. चतुर्भुज से बात करने की सोची, जो की डॉ. अशोक प्रियदर्शी के पिता भी थे। डॉ. चतुर्भुज से बात करने की वजह इसलिए थी, क्योंकि, डॉ. चतुर्भुज ने 1957 में अपनी टुकड़ी के साथ दिल्ली में बिहार का प्रतिनिधित्व करते हुए झांकी निकाली थी। इसलिए उन्हें झांकियां के बारे में अच्छा ज्ञान था।

डॉ. चतुर्भुज की फाइल फोटो।

डॉ. चतुर्भुज की फाइल फोटो।

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तत्कालीन डीएम ने आकाशवाणी के अधिकारी से अपने आईडिया को किया साझा

झांकी के संदर्भ में विचार-विमर्श करने के लिए जब आरएन सिन्हा ने डॉ. चतुर्भुज को फोन किया तब डॉ. चतुर्भुज जी नहीं थें। उनका चपरासी, कलक्टर ने फोन रिसीव कर बताया कि साहब लंच में गए हैं, आने पर उनसे बात हो सकेगी। जिलाधिकारी ने फोन रिसीव करने वाले को बोला कि आप उन्हें बता दीजिएगा कि पटना कलेक्टर उनसे मिलना चाहते हैं। फिर उन्होंने उसका नाम जानना चाहा। चपरासी ने अपना नाम ‘कलेक्टर’ बताया।

लगभग चार बजे जब जिलाधिकारी आरएन सिन्हा आकाशवाणी में चतुर्भुज जी से मिलने पहुंचे तब गंभीरता से उन्होंने पूछा- ‘चतुर्भुज जी, अब तक तो मैं जानता था कि एक जिला में एक ही कलेक्टर होता है, लेकिन मेरे फोन को किसी दूसरे कलक्टर ने उठाया था। बात क्या है?’ चतुर्भुज जी ने कॉल बेल बजा कर दूसरे कलेक्टर को सामने खड़ा किया और चाय लाने का आदेश दिया। उसे देख साहब गंभीर होकर उसका मुआयना करते रहे। उसके बाहर जाने के बाद दोनों शख्सियत का जोरदार ठहाका गूंजा।

1979 में आयोजित गणतंत्र दिवस समारोह की तस्वीर।

1979 में आयोजित गणतंत्र दिवस समारोह की तस्वीर।

आकाशवाणी के अधिकारी ने की थी झांकी की सारी व्यवस्था

आरएन सिन्हा ने चतुर्भुज जी से पटना में झांकियां निकालने की अपनी इच्छा जाहिर की। डॉ. चतुर्भुज ने पटना जिलाधिकारी को आश्वस्त किया कि 1979 के गणतंत्र दिवस पर पटना में झांकी जरूर निकाली जाएगी। झांकियों के कलाकारों के संबंध में पूछने पर डॉ. चतुर्भुज ने जवाब दिया- मैं व्यवस्था कर दूंगा। झांकियों के निर्माण के लिए आकाशवाणी में कर्मचारी श्याम सुन्दर को लगा दिया गया।

1979 में निकाली गई झांकी की तस्वीर।

1979 में निकाली गई झांकी की तस्वीर।

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उस समय गांधी मैदान से उद्घोषक आकाशवाणी, पटना के समाचार वाचक अनंत कुमार थे। इन झांकियों में छात्रानन्द सिंह झा, हरि उप्पल, श्याम सुन्दर, जगदानन्द झा, गीतकार गजानन्द प्रसाद, गणेश सिन्हा, अनन्त कुमार आदि का महत्त्वपूर्ण योगदान था, जिन्होंने अपने कलाकार प्रदान कर झांकी में एक नया रंग जोड़ा था। आज भी गणतंत्र दिवस के अवसर पर परेड के साथ झांकियों के प्रदर्शन का सिलसिला जारी है।

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