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बुलंदशहर. ‘प्लीज मेरे बच्चे को बचा लो’… ये गुहार है बुलंदशहर ज़िले की रहने वाली एक बेबस मां कोमल की. कोमल के दो मासूम बच्चे ऐसी गंभीर बीमारी से जूझ रहे हैं, जिनका इलाज कराना इस लाचार परिवार के बस से बाहर की बात है. दरअसल साढ़े तीन साल का अर्णव और डेढ़ साल का कुणाल MPS II, Hunter Syndrome नाम की घातक बीमारी से पीड़ित हैं. इन दोनों मासूमों की ज़िंदगी बचाने के लिए डॉक्टरों ने इस परिवार को दो करोड़ 34 लाख रुपये का खर्ज बताया है. ऐसे में ये विवश परिवार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राज्य के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और लोगों से मदद की गुहार लगा रहा है.

अर्णव और कुणाल के साथ भाग्य ने जो खेल खेला है, उससे ये दोनों मासूम पूरी तरह अनजान हैं. इन्हें नहीं मालूम कि कैसे MPS II, Hunter Syndrome नामक घातक बीमारी ने इन्हें अपनी ज़द में लिया और कैसे अब वो बीमारी इनपर ज़ोर आज़माइश कर रही है. शुरुआत में ये मासूम बोलते और चलते थे, मगर अब यह बोल नहीं पाते हैं और इनके हाथ-पांव भी अब पूरी तरह क्रिया नहीं करते. परिवार का कहना है कि अगर समय पर इनका इलाज शुरू नहीं हुआ तो इन दोनों की जान को भी खतरा है.

ये दोनों मासूम बुलंदशहर के सिकंदराबाद के गेसपुर गांव में एक मध्यम वर्गीय परिवार में जन्में हैं. इनके पिता हरीश यूपी पुलिस में बतौर कांस्टेबल मुरादाबाद में सेवारत हैं. इनका पूरा परिवार बच्चों की बीमारी को लेकर तनावग्रस्त है. मां कोमल ने बताया कि पैदाइश के एक साल बाद से बड़े बेटे अर्णव को दिक्कतें शुरू हो गई थीं, जिसके चलते इनकी ओर से अर्णव को लगातार बुलंदशहर व अन्य बड़े शहरों के चाइल्ड स्पेशलिस्ट को दिखाया जाता रहा. इसी दौरान छोटे बेटे कुणाल का भी जन्म हो गया. जन्म से ठीक एक साल तक वह ठीक रहा, मगर उसके बाद वह भी काफी बीमार रहने लगा.

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हर हफ्ते लगवाना होगा डेढ़ लाख रुपये का इंजेक्शन
ये परिवार डॉक्टरों की सलाह पर लंबे समय तक अलग-अलग अस्पतालों की ख़ाक छानने के बाद दिल्ली AIIMS पहुंचा, जहां उन्हें बच्चों के MPS II, Hunter Syndrome नामक बीमारी से ग्रसित होने का पता चला. परिवार ने बताया कि इन दोनों मासूमों को हर हफ्ते जो इंजेक्शन लगने हैं, उस एक इंजेक्शन की कीमत डेढ़ लाख रुपया है. यही डेढ़ लाख की कीमत का इंजेक्शन अर्णव को दो साल तक हर सप्ताह लगने हैं, जबकि कुणाल को एक साल तक, यानी डॉक्टरों ने इनके इलाज का कुल खर्ज 2 करोड़ 34 लाख बताया है.

आर्थिक रूप से कमजोर है परिवार
News18 की टीम से बातचीत के दौरान मासूमों की मां ने उनके इलाज के लिए रो-रोकर सरकार, सामाजिक संगठन और आम लोगों से मदद की गुहार लगाई है. वहीं इनकी बूढ़ी दादी कैमरे के सामने फफक-कर रोने लगीं. अपनी बेबसी की कहानी सुनाते हुए मासूमों की बूढ़ी दादी विमला का तो मानो दर्द से कलेजा फट गया हो. उन्होंने बताया गया कि पति और बड़ा बेटा मजूदरी करके परिवार का भरण पोषण करते थे. वर्ष 2016 में उनका छोटा बेटा काफी मेहनत करके पुलिस में भर्ती हुआ, मगर उसके बाद जन्में अर्णव और कुणाल की गंभीर बीमारी ने घेर लिया. वह कहती हैं कि इलाज के लिए वे पुश्तैनी घर बेच भी दें तो भी मासूमों का इलाज़ कराना नामुमकिन है.

परिवार का कहना है कि अगर उन्होंने बच्चों का जल्द इलाज शुरू नहीं कराया तो कुछ दिन बाद ये बच्चे अपना वजन तक सहन करने में असमर्थ होंगे. यहां तक कि बिना इलाज इनका ज़िन्दा रहना भी मुश्किल है. परिवार की मानें तो इलाज का कुल खर्च दो करोड़ 34 लाख रुपया है. जबकि इलाज शुरू कराने के लिए हर सप्ताह परिवार को औसतन तीन लाख से अधिक रुपयों की ज़रूरत होगी. ऐसे में परिवार सरकार और लोगों से मदद की गुहार लगा रहा है.

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