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हाइलाइट्स

इंग्लैंड ने पाकिस्तान के खिलाफ रावलपिंडी टेस्ट के पहले दिन ही रिकॉर्ड 500 रन ठोके
ब्रैंडन मैकुलम और कप्तान बेन स्टोक्स ने 6 महीने में इंग्लैंड के टेस्ट खेलने का अंदाज बदला

नई दिल्ली. पाकिस्तान में 17 साल बाद इंग्लैंड की टीम टेस्ट मैच खेल रही है. रावलपिंडी में दोनों टीमों के बीच टक्कर हो रही है. इस मैच से एक दिन पहले जो कुछ हुआ, उसका असर मैदान पर नहीं दिखा. पहले दिन जो भी हुआ, वो अविश्वसनीय रहा. इंग्लैंड टेस्ट के पहले दिन 500 रन बनाने वाली पहली टीम बनी. इंग्लैंड के ओपनर जैक क्राउली ने 86 गेंद में इंग्लैंड के लिए टेस्ट में तीसरा सबसे तेज शतक ठोका. लेकिन, कुछ घंटों में ही उनका यह रिकॉर्ड टूट गया और अपना दूसरा टेस्ट खेल रहे हैरी ब्रूक ने 80 गेंद में सैकड़ा पूरा कर लिया. इस दौरान उन्होंने एक ओवर में लगातार 6 चौके जड़ने का रिकॉर्ड भी बनाया.

यह पहला मौका नहीं है, जब इंग्लैंड ने टेस्ट में टी20 के अंदाज में बल्लेबाजी की. जब से इंग्लैंड की टेस्ट टीम की कप्तानी बेन स्टोक्स के हाथ में आई है और न्यूजीलैंड के पूर्व दिग्गज बल्लेबाज ब्रैंडन मैकुलम टीम के कोच बने हैं, तब से इंग्लैंड का टेस्ट क्रिकेट खेलने का अंदाज बदल गया है. अब तो क्रिकेट पंडितों को भी यह लगने लगा है कि क्या बेन स्टोक्स की इंग्लिश टीम हमेशा के लिए टेस्ट क्रिकेट को बदल दी?

ब्रैंडन मैकुलम को इंग्लैंड की टेस्ट टीम का कोच बने 6 महीने का ही वक्त हुआ है. लेकिन, इतने कम वक्त में उन्होंने इंग्लिश टीम का कायापलट कर दिया. मैकुलम के जुड़ने से पहले इंग्लिश टीम नाकामी के दौर से गुजर रही थी. उसे लगातार 4 टेस्ट सीरीज में हार का सामना करना पड़ा था. इसकी शुरुआत पिछले साल भारत दौरे से हुई थी. उस दौरे पर भारत ने इंग्लैंड को 3-1 से टेस्ट सीरीज में हराया था. इसके बाद इंग्लैंड को अपने घर में न्यूजीलैंड से 2 टेस्ट की सीरीज गंवानी पड़ी. फिर ऑस्ट्रेलिया ने एशेज सीरीज में 4-0 से रौंदा. रही सही कसर, वेस्टइंडीज ने पूरी कर दी.

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कैरेबियाई टीम ने अपने घर में हुई 3 टेस्ट की सीरीज में इंग्लैंड को 1-0 से हराया. हार पर हार के बाद जो रूट ने इंग्लैंड की कप्तानी छोड़ी. बेन स्टोक्स को यह जिम्मेदारी सौंपी गई और मैकुलम पहली बार किसी इंटरनेशनल टेस्ट टीम के कोच बने. उन्होंने बतौर कोच पहले ही इम्तिहान में अपने इरादे जता दिए थे. इंग्लैंड का सामना अपने घर पर न्यूजीलैंड से था. इंग्लैंड ने यह सीरीज 3-0 से जीती. इससे बड़ी बात यह रही उसने जिस अंदाज में यह सीरीज जीती, उसने सबको हैरान कर दिया.

6 महीने में मैकुलम ने इंग्लैंड टीम का किया कायापलट
इंग्लैंड-न्यूजीलैंड के बीच इस सीरीज का दूसरा टेस्ट नॉटिंघम में खेला गया था. इंग्लैंड को इस टेस्ट को जीतने के लिए चौथी पारी में 299 रन का टारगेट मिला था. आखिरी दिन के विकेट पर किसी भी टीम के लिए इस लक्ष्य को हासिल करना आसान नहीं होता. लेकिन, इंग्लैंड ने तो 6 रन प्रति ओवर के रनरेट से महज 50 ओवर में ही 5 विकेट खोकर इस लक्ष्य को हासिल कर लिया. जॉनी बेयरस्टो ने 92 गेंद में 136 रन और कप्तान बेन स्टोक्स ने 70 गेंद में नाबाद 75 रन ठोके. इसी मैच से इंग्लैंड ने ‘बैजबॉल क्रिकेट’ की शुरुआत की.

अगले ही टेस्ट में फिर इंग्लैंड ने बैजबॉल क्रिकेट का नमूना दिखाया और 54.2 ओवर में 3 विकेट खोकर 296 रन के लक्ष्य का पीछा कर लिया. इंग्लैंड के इस प्रदर्शन पर कोई भी सवाल उठा सकता था कि इक्का-दुक्का मौकों पर कोई भी टीम ऐसा कर सकती है. लेकिन, इंग्लैंड ने अगले ही टेस्ट में भारत के खिलाफ चौथी पारी में 77 ओवर के भीतर 378 रन का पीछा कर इस सवाल का जवाब दे दिया.

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कैसे मैकुलम ने बदली इंग्लैंड की तकदीर?
मैकुलम ने इंग्लैंड की टेस्ट टीम में खिलाड़ियों में असुरक्षा और पहचान की भावना की जो कमी थी, उसे सबसे पहले दूर किया. बैजबॉल क्रिकेट यानी आक्रामक खेल की उनकी सोच से जो खिलाड़ी मेल खाता दिखा, उसे टीम में फौरन शामिल किया. हैरी ब्रूक और 6 साल बाद टेस्ट टीम में वापसी करने वाले बेन डकेट इसका सबूत हैं. इन दोनों ने पाकिस्तान के खिलाफ रावलपिंडी टेस्ट में जिस तरह की बेखौफ बल्लेबाजी की, वैसा कोई भी खिलाड़ी कोच और कप्तान के विश्वास के बगैर नहीं कर सकता.

ब्रूक ने तो अपने दूसरे टेस्ट में ही इंग्लैंड के लिए तीसरा सबसे तेज शतक ठोका और डकेट ने 6 साल बाद वापसी के बाद अपनी पहली सेंचुरी जड़ी. ओली पोप का भी मैकुलम ने नंबर-3 पर प्रमोशन किया और जिस तरह की वो बल्लेबाजी कर रहे हैं. उन्हें इंग्लैंड के अगले टेस्ट कप्तान के रूप में देखा जाने लगा है. खिलाड़ियों को पता है कि अगर वो आक्रामक क्रिकेट खेलने के चक्कर में नाकाम भी हुए तो टीम में उनकी जगह कोई खतरा नहीं है.

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बतौर कोच मैकुलम क्यों हैं खास?
हर दौर में ऐसे क्रिकेट खिलाड़ी हुए हैं, जिन्होंने खेल को देखने और समझने का नजरिया बदला है. मैकुलम भी उनमें से एक हैं. आज जिस बैजबॉल के कारण उनका नाम चर्चा में है. वो जब, न्यूजीलैंड के कप्तान थे, तब इसी आक्रामक सोच के हिसाब से खेलते थे. कप्तान होने के बावजूद उनकी बल्लेबाजी का अंदाज कभी नहीं बदला. उनकी कप्तानी में न्यूजीलैंड की टीम 2015 के वनडे विश्व कप का फाइनल खेली थी. उस टूर्नामेंट में भी मैकुलम का खेलने का अंदाज नहीं बदला था.

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वो जुनूनी इंसान हैं और मैदान पर कड़ी प्रतिस्पर्धा में यकीन रखते हैं. बेन स्टोक्स में भी यही खूबी है. टी20 विश्व कप के फाइनल में स्टोक्स इसे दिखा चुके हैं. ऐसे में दो एक जैसी सोच के लोगों के एकसाथ आने के कारण इंग्लैंड की टेस्ट टीम पूरी तरह बदल गई है.

Tags: Ben stokes, Brendon McCullum, England cricket team, England vs Pakistan, James anderson

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