
हाइलाइट्स
भारत सरकार डिफेंस कंपनियों को विदेशों में रोड शो करने के लिए कह रही है.
डिफेंस सेक्टर की कंपनियां अभी उतनी महंगी नहीं है जितनी बाकी सरकारी कंपनियां
एनालिस्ट और ब्रोकेरज हाऊस अब डिफेंस सेक्टर को कमाऊ पूत बताने लगे हैं.
नई दिल्ली. कुछ दशक पहले तक डिफेंस सेक्टर को सफेद हाथी कहकर निवेश की कैटेगरी से बाहर कर दिया जाता था लेकिन पिछले कुछ समय में इस सेक्टर को ‘ब्लू ऑइड बॉय’ मान लिया गया है. आत्मनिर्भर भारत और न्यू इंडिया थीम के तहत एनालिस्ट और ब्रोकेरज हाऊस अब डिफेंस सेक्टर को कमाऊ पूत बताने लगे हैं.
इस सेक्टर में पहले से ही काम कर रहीं दो प्रमुख कंपनियों, भारत डायनामिक्स और हिंदुस्तान एयरोनॉटिकल लिमिटेड, ने पहले ही निवेशकों को 115 प्रतिशत का रिटर्न दिया है. भारत सरकार डिफेंस कंपनियों को विदेशों में रोड शो करने के लिए कह रही है. इसका मतलब ये है कि सरकार अपनी हिस्सेदारी को भी घटाने के लिए तैयार है. इससे ये माना जा रहा है डिफेंस सेक्टर में भारत सरकार बड़ा रिफार्म कर रही है. फिलहाल यूएई में कई डिफेंस कंपनियों के रोड शो हो रहे हैं.
वैल्युएशन
वैल्युएशन की बात की जाए तो डिफेंस सेक्टर की कंपनियां अभी उतनी महंगी नहीं है जितनी बाकी सरकारी कंपनियां. डिफेंस कंपनियों को सबसे ज्यादा फायदा भारत सरकार की आत्मनिर्भर पॉलिसी से मिला है. साल 2021 में भारत का डिफेंस एक्सपोर्ट भी 1,940 करोड़ रुपये से बढ़कर 13 हजार करोड़ रुपये हो गया है. भारत सरकार का 2025 तक डिफेंस एक्सपोर्ट 35,000 करोड़ रुपये तक ले जाने का लक्ष्य है. सरकार को उम्मीद है कि ये लक्ष्य अकेले मिसाइल और तेज़स के एक्सपोर्ट से ही आसानी से पूरा हो जाएगा.
विदेशी ऑर्डर से आएगी बहार
ऐसा माना जा रहा है कि अगले तीन सालों में ही डिफेंस कंपनियों को करीब पांच लाख करोड़ रुपये के ऑर्डर मिल सकते हैं. अकेले मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स को ही करीब 1.59 लाख करोड़ रुपये के ऑर्डर मिल सकते हैं. डिफेंस सेक्टर में रिफॉर्म और निवेश का अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं कि पिछले चार सालों में डिफेंस कंपनियों ने करीब ढाई लाख पेंटेट अप्लाई किए हैं. अमेरिकी कंपनियां भी भारतीय कंपनियों के पास अपने शिप रिपेयर्स के लिए भेज रही हैं.
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निजी क्षेत्र की भागीदारी से बदला माहौल
पिछले कुछ समय में निजी क्षेत्र की कुछ कंपनियां जैसे Data Patterns, MTAR Technologies, Paras Defence, Astra Microwave, Dynamatic Technologies, Taneja Aerospace भी इस स्पेस में आई हैं. पिछले बुल रन में MTAR और PARAS के आईपीओ को निवेशकों का अच्छा रिस्पांस भी मिला था. हाल ही में फिलीपीन्स ने ब्रह्मोस मिसाइल की खरीद को मंजूरी दी थी. इससे पहले मलेशिया तेजस विमान को खरीदने में दिलचस्पी दिखा चुका है. अब भारतीय डिफेंस कंपनियां ग्लोबल लेवल पर विदेशी कंपनियों के साथ कंपीट करने की स्थिति में आ गई है. 2022 में कई फंड हाउसेज भी डिफेंस कंपनियों में अपने एक्सपोजर को बढ़ा रहे हैं. कई फंड हाउस कंपनियों की इन कंपनियों में हिस्सेदारी पोर्टफोलियों के 5 प्रतिशत तक हो गई है. ऐसे में ब्रोकेरज हाउसेज भी डिफेंस कंपनियों के कवरेज को लगातार बढा रहे हैं.
यूक्रेन युद्ध से मिलेगा फायदा
यूक्रेन और रूस के बीच हुए युद्ध के बाद पूरी दुनिया में डिफेंस कंपनियों के बीच हथियार बेचने की होड़ सी मच गई है. ताइवान विवाद के बाद जापान, फिलीपीन्स, मलेशिया, आस्ट्रेलिया आश्चर्यजनक तौर पर अपनी मिलिट्री का आधुनिकीकरण कर रहे हैं. ऐसे में भारतीय कंपनियों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपने पैर पसारने का मौका मिलेगा. पश्चिम एशियाई देशों में भारतीय डिफेंस कंपनियों के रोड शो का मकसद भारत की सैन्य ताकत का नमूना पेश करना भी है. भले ही भारतीय कंपनियों को ऑर्डर मिले या नहीं लेकिन इससे भारत के बढ़ते हुए डिफेंस सेक्टर की एक झलक तो मिलेगी ही.
HAL है सेक्टर की लीडर कंपनी
डिफेंस सेक्टर में जिस तरह की तेजी आ रही है इसका अंदाज दिग्गज डिफेंस कंपनी एचएएल के शेयर से लग सकता है. ये कंपनी 2018 में करीब 4 हजार करोड़ का आईपीओ लेकर आई थी. उस वक्त इस शेयर की लिस्टिंग करीब 1, 215 रुपये प्रति शेयर के भाव पर हुई थी लेकिन 2018 से अब तक ये स्टॉक दुगुना हो चुका है. कंपनी को सबसे ज्यादा फायदा मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत की नीति से मिला है और उम्मीद है कि ये कंपनी आने वाले समय में भी सेक्टर की लीडर बनी रहेगी. ICICI सिक्योरिटीज की रिपोर्ट के मुताबिक, कंपनी का आउटलुक पॉजिटिव है और कंपनी की ऑर्डर बुक भी शानदार है.
मामला अकेले HAL का नहीं है डिफेंस सेक्टर की बाकी कंपनियां भी अच्छा प्रदर्शन कर रही हैं.
( ये लेखक के निजी विचार हैं, कोई खरीद या ब्रिकी की सलाह नहीं है, निवेश करने के जोखिम से पहले अपने वित्तीय सलाहकार की राय लें)
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FIRST PUBLISHED : September 14, 2022, 08:10 IST
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