नई दिल्ली: क्रिकेट में भारत और पाकिस्तान के बीच प्रतिद्वंद्विता की कहानी किसी से छिपी नहीं है. यही कारण है कि इनके बीच क्रिकेट का मैच हमेशा से ही खेल से आगे बढ़कर रहा. हालांकि दोनों देशों के बीच उतार चढ़ाव वाले रिश्तों के कारण इन दोनों ही टीमों ने लंबे समय से कोई भी सीरीज नहीं खेली. लेकिन अब कहानी बदलती दिख रही है. कम से कम हलचल तो यही है. भारत और पाकिस्तान (India vs Pakistan) के बीच द्विपक्षीय सीरीज 2012-13 के बाद से नहीं हुई है. ये दोनों टीमें 2013 के बाद से केवल एशिया कप और आईसीसी टूर्नामेंट में ही एक-दूसरे से भिड़ती हैं. जाहिर है, इन दोनों टीमों की प्रतिद्वंद्विता जितनी पुरानी है, इनके बीच होने वाले कई टूर्नामेंट का रोमांच भी कम शानदार नहीं है.

शारजाह में होने वाले मैचों का तूफानी रोमांच हो या कनाडा में होने वाला सहारा कप. कनाडा के टोरंटो में होने वाले सहारा कप ने कम समय में सबसे ज्यादा सुर्खियों बंटोरीं. कई भारतीय सितारे इसी टूर्नामेंट की वजह से टीम इंडिया को मिले. इनमें से ही एक रहे टीम इंडिया के सबसे दबंग कप्तानों में से एक सौरव गांगुली. यूं तो गांगुली ने अपने पहले दौरे में इंग्लैंड में ही बल्ले से काफी कुछ बता दिया था, लेकिन सहारा कप ने कोलकाता के इस प्रिंस की झोली में इतने सितारे भर दिए, कि उनके ऊपर लगा सिफारिशी क्रिकेटर का तमगा भी हमेशा के लिए निकल गया.

हर साल 5 मैचों की वनडे सीरीज तय हुई थी
90 के दशक में 1996 का साल क्रिकेट की शक्ल बदलने वाला साल साबित हुआ था. ये वो दौर था, जब 1996 में भारत में वर्ल्ड कप का आयोजन हुआ था. भारत में क्रिकेट को मैदान के बाहर नई दिशा का काम जगमोहन डालमिया जैसा प्रशासक के हाथ में थी, तो दूसरी ओर मैदान के अंदर सचिन तेंदुलकर, अनिल कुंबले और कप्तान अहरुद्दीन भारतीय क्रिकेट के नुमाइंदे थे. क्रिकेट के बाजार के रूप में नए कौने खोजे जा रहे थे. इसी समय भारत और पाकिस्तान के खेल को रोमांच देने के लिए एक और जगह तय की गई. कनाडा का टोरंटो शहर. क्रिकेट के लिए जो कुछ चाहिए था, वह सब यहां था. भारत और पाकिस्तान के बेहिसाब दर्शक और खूब पैसा. नाम दिया गया सहारा कप. शुरुआत में 1996 से 2000 तक हर साल 5 मैचों की वनडे सीरीज पक्की की गई. ये सीरीज हर साल सितंबर में तय हुई.देर रात होने वाले मैचों को उत्सव की तरह लिया गया

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कनाडा में होने वाले मैचों से भारतीयों की रातों की नींद उडने वाली थी, लेकिन क्रिकेट के फैंस ने इसे उत्सव की तरह लिया. छोटे बडे शहरों में गली चौराहों पर लोगों ने देर रात शुरू हुए इन मैचों को अल सुबह ऊपर नीचे होती सांसों के साथ देखा. इसी सीरीज के साथ पहली बार देश में ईएसपीएन चैनल का आगमन हुआ और देश में ये चैनल घर घर की पहचान बना.

अजहर के हाथ से निकलकर सचिन के पास पहुंची कप्तानी
वर्ल्डकप 1996 में सेमीफाइनल की हार, फिर सिंगर कप, शारजाह और बाद में इंग्लैंड में मिली एक के बाद एक हार ने भारतीय टीम के समीकरण को बदल दिया. टीम इंडिया की कमान 23 साल के सचिन तेंदुलकर के पास पहुंच गई. सचिन ने पहले श्रीलंका में हुई सीरीज में कप्तानी की, लेकिन श्रीलंका ने अपने ही घर में हुई सीरीज में ऑस्ट्रेलिया, भारत और जिंबाब्वे जैसी टीमों को धूल चटा दी. इसके बाद टीम सितंबर में पहली बार सहारा कप खेलने पहुंची. टीम इंडिया इस समय अपनी बल्लेबाजी के पूरी तरह से सचिन पर ही निर्भर थी. हालांकि सौरव गांगुली और द्रविड भी साथ थे, लेकिन तब टीम को जीत की दहलीज पर पहुंचाना इनके लिए काफी कठिन काम था. दूसरी तरफ पाकिस्तान की टीम वसीम अकरम की कप्तानी में भारत के मुकाबले ज्यादा मजबूत थी.

16 सितंबर 1996 को खेला गया पहला मैच
सहारा कप के पहले टूर्नामेंट का पहला 16 सितंबर 1996 को खेला गया. लेकिन टोरंटो का मैदान आम क्रिकेट की मैदान की तरह नहीं था. यहां स्कोर छोटे बनने वाले थे. पहले ही मैच में पाकिस्तान की टभ्म 170 रन बना सकी. वजह बने जवागल श्रीनाथ. 23 रन देकर उन्होंने 3 विकेट लिए. जवाब में भारत ने सचिन के 89 रनों की मदद से ये मैच जीत लिया. दूसरे मैच में पाकिस्तान ने वापसी की और 264 रन बनाने के बाद भी भारत मैच 2 विकेट से हार गया. राहुल द्रविड ने 90 रन बनाए. तीसरे मैच में भारत ने पाकिस्तान की चुनौती को तोडते हुए मैच 55 रनों से जीत लिया. मैच के हीरो राहुल द्रविड रहे. अनिल कुंबले ने 4 विकेट लिए. पहले खेलते हुए भारत 191 रन पर आउट हुआ, लेकिन पाक 136 रन ही बना सका. लेकिन इसके बाद पाकिस्तान ने चौथे और पांचवें मैच में भारत को कोई मौका नहीं दिया. दोनों मैच जीतकर 5 मैचों की सीरीज 3-2 से अपने नाम कर ली. इस सीरीज के हीरो अनिल कुंबले रहे. उन्हें मैन ऑफ द सीरीज का खिताब मिला.

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दूसरी सीरीज से मिला प्रिंस ऑफ कोलकाता नाम
सहारा कप के पहले आयोजन में ये तय हो गया था कि यहां पर भारत और पाकिस्तान का रोमांच दोगुना ही रहेगा. लेकिन इसके दूसरे आयोजन में जो होने वाला था, उसका शायद ही किसी को अहसास रहा. ये सीरीज पूरी तरह से नए नवेले सौरव गांगुली के नाम रहने वाली थी. इसी सीरीज में उन्हें नया नाम प्रिंस ऑफ कोलकाता मिला. इस सीरीज में उन्हें लगातार चार मैन ऑफ द मैच के खिताब मिले. और जब ये खिताब पाकिस्तान जैसी टीम के खिलाफ मिलें तो उनका होना कितना खास होता है, ये किसी भारतीय प्रशंसक को बताने की जरूरत नहीं है. इस टूर्नामेंट में खेलने पहुंची भारतीय टीम अपने 8 में से 7 मुकाबले हार कर पहुंची थी, ऐसे में पाकिस्तान जैसी टीम के सामने वह कितने दबाव में होगी, इसका अंदाजा आसानी हो सकता है.

वर्ष 1997 में पहले मैच में भारत ने तमाम आशंकाओं को पीछे छोडते हुए पाकिस्तान को हरा दिया. भारत ने 208 रन बनाए. लेकिन पाकिस्तान की टीम 188 रन बनाकर आउट हो गई. मैच के हीरो अजय जडेजा बने. सीरीज के दूसरे मैच से ये पूरी सीरीज सौरव गांगुली वर्सेज पाकिस्तान बन गई. छोटे स्कोर वाली इस सीरीज में भारत ने पाकिस्तान को 4 के मुकाबले 1 से रौंद दिया. सौरव गांगुली ने गेंद और बल्ले दोनों से पाकिस्तानी खिलाडियों की खबर ली. पूरी सीरीज में उन्होंने 222 रन बनाए और 15 विकेट लिए. वह मैन ऑफ द सीरीज रहे. सचिन तेंदुलकर की कप्तानी में टीम इंडिया की इस जीत को सबसे शानदार माना जाता है. जिसके सबसे बडे हीरो सौरव गांगुली थे. दूसरी तरफ इस हार से तिलमिलाए पाकिस्तान ने रमीज रजा को तुरंत कप्तानी से हटा दिया था.

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तीसरे आयोजन पर विवाद, दो टीमें और सहारा कप पर संकट
इस कप के दो आयोजन जितने कामयाब रहे, तीसरे आयेाजन के साथ ही इस पर संकट के बादल छाने लगे. 1998 में जब इस टूर्नामेंट का आयोजन होना था, उसी समय कॉमनवेल्थ गेम्स भी आ गए. दोनों टूर्नामेंट की तारीखें आपस में टकरा गईं. ऐसे में भारत और पाकिस्तान के सामने ये संकट हो गया कि वह किस टूर्नामेंट में अपनी अच्छी टीम भेजे. भारत के पास तब पूल इतना मजबूत नहीं था कि वह दो अच्छी टीमें भेज सके. अजहर की कप्तानी में एक टीम सहारा कप के लिए गई. तो सचिन, जडेजा और कुंबले जैसे खिलाडियों के साथ कॉमनवेल्थ में दूसरी टीम गई. सहारा में पहले मैच में सौरव गांगुली फिर अपने पुराने रंग में दिखे और मैन ऑफ द मैच बनकर टीम को जीत दिलाई.

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इस मैच में पाक टीम की कप्तानी आमिर सोहेल ने की और उन्होंने खुद को नीचे करते हुए ओपनिंग की जिम्मेदारी दूसरे मैच में शाहिद आफरीदी को दी. 1998 में दो टीमें बनाने के चक्कर में इस टूर्नामेंट का रोमांच फीका पड गया. पाक ने भारत को सीरीज में 4-1 से हरा दिया. उसके बाद 1999 में शुरू हुए कारगिल वार के बाद भारत और पाकिस्तान के रिश्ते पटरी से उतर गए. जाहिर है इसका असर इस टूर्नामेंट पर भी हुआ. इसके बाद कई कोशिशों के बाद भी इस टूर्नामेंट का आयोजन नहीं हो पाया.

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