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नई दिल्ली. बढ़ती महंगाई, चालू खाते के घाटे में बढ़ोतरी और रुपये की विनिमय दर में गिरावट के बावजूद भारत चालू वित्त वर्ष (FY23) में दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था होगा. सरकार के एक वरिष्ठ सूत्र ने बुधवार को यह बात कही.

सूत्र ने कहा कि आयात बिल बढ़ने से व्यापार घाटा बढ़ा है और विदेशी मुद्रा भंडार कम हुआ है. इससे चालू खाते के घाटे (CAD) के बढ़ने को लेकर चिंता बढ़ी है. लेकिन स्थिति जल्द स्थिर होने की उम्मीद है. उन्होंने कहा कि सरकार मुद्रास्फीति को काबू में लाने के लिए रिजर्व बैंक के साथ मिलकर लगातार काम कर रही है.

सूत्र ने कहा, ‘‘जमीनी स्तर पर जो जानकारी मिल रही है, उससे पता चलता है कि खाद्य तेल और कच्चे तेल के दाम नरम हुए है… मानसून अच्छा रहने का अनुमान है. इन सबको दुखते हुए आने वाले समय में मुद्रास्फीति को लेकर दबाव कम होने की उम्मीद है.’’

जून महीने में मंहगाई दर 7.01 फीसदी रही
उल्लेखनीय है कि खुदरा मुद्रास्फीति लगातार भारतीय रिजर्व बैंक के संतोषजनक स्तर से ऊपर बनी हुई है. जून महीने में मंहगाई दर 7.01 फीसदी रही है. रिजर्व बैंक को 2 फीसदी घट-बढ़ के साथ मुद्रास्फीति को 4 फीसदी पर रखने की जिम्मेदारी मिली हुई है और यह छह महीने से लगातार संतोषजनक स्तर से ऊपर बनी हुई है. सूत्र ने कहा, ‘‘देश में मंदी आने की आशंका वाली कोई बात नहीं है. हम वृद्धि के रास्ते पर हैं… देश चालू वित्त वर्ष तथा अगले वित्त वर्ष में तेज आर्थिक वृद्धि दर हासिल करने वाली अर्थव्यवस्था होगा.’’

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जीडीपी वृद्धि दर 7% से अधिक रहने का अनुमान
उल्लेखनीय है कि रिजर्व बैंक ने चालू वित्त वर्ष के लिये जीडीपी वृद्धि दर सात फीसदी से अधिक रहने का अनुमान जताया है. यह किसी भी बड़ी अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर से अधिक है.
रुपये के बारे में सूत्र ने कहा, ‘‘अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपये की विनिमय दर में सात फीसदी की गिरावट चिंता का विषय नहीं है और सरकार और आरबीआई स्थिति को संभालने को लेकर प्रतिबद्ध है. सरकार तथा आरबीआई रुपये पर लगातार नजर रखे हुए है….’’ भुगतान संतुलन संकट के बारे में उन्होंने कहा कि कच्चे तेल और इलेक्ट्रॉनिक सामान की कीमतें कम हुई हैं. ऐसे में कैड के कारण कोई खास समस्या नहीं होनी चाहिए.’’

Tags: Economy, Indian economy

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