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- The Real Family Members Of The Boy Who Came Back After Death Due To Snake Bite Came In Front; Both The Families Clashed In Chapra, The Police Decided
छपरा21 मिनट पहले
छपरा के तरैया में आज दिन भर अफरा-तफरी का माहौल रहा। दैनिक भास्कर की खबर का बड़ा असर हुआ था। 26 तारीख को प्रकाशित भास्कर की खबर ‘मृत समझकर नदी में बहाया, 5 साल बाद लौटा’ के बाद उसके असली परिजनों ने पहचान लिया। वे यूपी के कुशीनगर से अपने बच्चे को लेने तरैया के गंडार गांव पहुंचे।
अपनी मां मीरा देवी को देखते ही बच्चा लिपट कर रोने लगा। यह देख दो दिन पहले उसे अपना बेटा बताने वाली सुनीता देवी ने हंगामा कर दिया। दोनों पक्षों के पुरुष और महिलाएं आपस में भिड़ गए। मौके पर बढ़ते बवाल की जानकारी मिलने पर तरैया थाना की पुलिस भी पहुंची और मामला शांत कराते हुए बच्चे को उठाकर थाना ले आई और असली परिजनों को सौंप दिया।

क्या है मामला
दरअसल यह बच्चा 3 दिन पहले इसुआपुर थाना क्षेत्र के विष्णुपुरा गांव में घूम रहा था। तभी गंडार निवासी सुनीता देवी उसे अपने घर ले आई। उसने बताया कि 5 वर्ष पहले सावन में उसके बेटे को सांप ने काट लिया था और उसे गंडकी नदी में प्रवाहित कर दिया था। वही बच्चा वापस लौट आया है। भास्कर पर खबर आने के बाद क्षेत्र में चमत्कार होने की चर्चा चल रही थी। परिवार तीन दिनों से खुश भी था, लेकिन बच्चा किसी को पहचान नहीं रहा था।
इसी बीच आज शुक्रवार सुबह उसका असली परिवार उत्तर प्रदेश से पहुंच गया। बच्चा अपनी मां मीरा देवी को देखते ही लिपट कर रोने लगा। परिवार उसे ले जाने लगा। लेकिन उसे अपना बेटा बताने वाली सुनीता देवी का परिवार व गांववाले उन लोगों से भिड़ गए।
सुनीता देवी का दावा था कि शव को प्रवाहित करने के दो माह बाद उसने सपना देखा था कि उसका बेटा जीवित हो गया है। तब से वो अपने बेटे को ढूंढ़ रही थी। सुनीता देवी का एक बेटा और बेटी पहले से है। पति असम में रहकर नौकरी करते हैं।
जहां मसा था, वहां इसे भी है
सुनीता का दावा है कि यह उनका वही बच्चा (कृष्णा) है, जिसे उन्होंने मृत समझ नदी में बहा दिया था। कृष्णा के चेहरे पर मसा था, इसे भी है। कृष्णा की दाढ़ी के नीचे कटे का निशान था। वह निशान इस बच्चे में भी है।

गांववालों से बचाकर बच्चे को गाड़ी में बिठाती उसकी मां।
पुरानी तस्वीर और आधार कार्ड भी लाए थे
बाद में पुलिस के सामने बच्चे ने कुशीनगर से आए परिजनों को पहचाना। वे लोग अपने साथ उसकी पुरानी तस्वीर और आधार कार्ड भी लाए थे। इससे उसकी पहचान कुशीनगर के कप्तानगंज थाना क्षेत्र अंतर्गत मदरहवा टोला निवासी श्रवण महतो के 15 साल के बेटे मोनू के रूप में हुई है। जबकि सुनीता देवी के पास उससे जुड़ा कोई सबूत नहीं था। इसलिए पुलिस ने पूछताछ के बाद कुशीनगर से आए परिजनों को बच्चा सौंप दिया।

यूपी से आए परिवार के पास मौजूद बच्चे की तस्वीर।
परिवार ने भास्कर को दिया धन्यवाद
यूपी से आए मोनू के रिश्ते में चाचा किशोर ने बताया कि उन्होंने भास्कर की खबर पढ़ी, जिसमें बच्चे की तस्वीर थी। इसी से उसकी पहचान की। उन्होंने भास्कर को इसके लिए धन्यवाद भी दिया। कहा कि मोनू बचपन से ही किसी वजह से दिमागी तौर पर थोड़ा कमजोर है। वो बीते सोमवार को घर से निकल कप्तानगंज तक चला गया था। वहां से किसी तरह ट्रेन पकड़ लिया। उसे कप्तानगंज स्टेशन के आसपास स्थानीय लोगों ने देखा भी था।
यह डिसोसिएटिव डिसऑर्डर से होता है
मनोचिकित्सक डॉ. मनोज कुमार का कहना है कि ऐसे लक्षण डिसोसिएटिव डिसऑर्डर के हैं। जिस इंसान का बच्चा मर जाता है या गायब हो जाता है, वो हमेशा उसी के बारे में सोचता है। उस उम्र के बच्चों में खुद के बच्चे को ही देखता है। ऐसा व्यक्ति वह आवाज, चलने का तरीका, शरीर पर निशान अन्य कई वजहों की बात कह किसी भी बच्चे को अपना बच्चा होने का दावा करता है।
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