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हाइलाइट्स

हिंदू धर्म के शास्त्रों में मंत्रों का विशेष महत्व माना गया है.
इन्हें लौकिक व पारलौकिक सुख प्राप्त कराने वाला माना जाता है.

हिंदू धर्म में मंत्रों का विशेष महत्व है. हिंदू शास्त्रों में हर देवी-देवता और पूजा कर्म के अलग-अलग मंत्रों का विधान है. मान्यता है कि मंत्र सिद्ध होने पर व्यक्ति के सभी सांसारिक कार्य सिद्ध होने के साथ मोक्ष की प्राप्ति भी हो जाती है. पंडित रामचंद्र जोशी के अनुसार शास्त्रों में मंत्रों से 10 तरह के सांसारिक कार्य पूरे होने की बात कही गई है.आइए आपको उन कार्यों के बारे में बताते हैं. पंडित जोशी के अनुसार शास्त्रों में किसी भी कार्य सिद्धि के लिए मंत्र को किसी योग्य गुरु की दीक्षा से ही प्राप्त करने का विधान है. सही विधि, समय व संख्या में मंत्र का उच्चारण नहीं होने से वह सफल नहीं होता है.

मंत्र से पूरे होने वाले कर्म

1. शांति कर्म: मंत्र जप मनुष्य को संसार की परेशानियों, रोग और भय से मुक्त करवाते हैं उसे शांति कर्म कहा जाता है. शुद्ध मन और भावना के साथ बिना किसी कामना के जप करना विशुद्ध शांति कर्म के नाम से जाना जाता है. यह मोक्ष दिलाने वाला होता है.

2. स्तंभन: मंत्र जप की शक्ति से किसी व्यक्ति, पशु, पक्षी या अन्य प्राणी के कार्य और गति को स्थिर या चंचलता को शांत करना स्तंभन कर्म होता है.

3. मोहन: वह प्रयोग जिसमें मंत्र के प्रभाव से किसी स्त्री-पुरुष, पशु-पक्षी या अन्य जीवो को सम्मोहित किया जाए वह मोहन कर्म कहलाता है. आधुनिक हिप्नोटिज्म इसी का रूप है.

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4. उच्चाटन.मंत्र के प्रयोग से जब किसी व्यक्ति को भयभीत, विचलित या पागलों के समान आचरण करने वाला बना दिया जाए तो उस प्रयोग को उच्चाटन क्रिया कहते हैं.

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5. वशीकरण: मंत्र शक्ति द्वारा किसी को अपने वश में करने की क्रिया वशीकरण कहलाती है. इसे वश्य कर्म भी कहते हैं.

6. आकर्षण: किसी जानकार प्राणी के प्रति ऐसा मंत्र प्रयोग करना जिससे वह स्वयं आकर्षित होकर मंत्र उच्चारण करने वाले के पास आ जाए, उसे आकर्षक कर्म कहा जाता है.

7. जृंभण: जब उपासक मंत्र शक्ति से वश में हुए प्राणी से अपने अनुसार व्यवहार और आचरण कराता है तो उसे जृंभण क्रिया कहते हैं.

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8. विद्वेष: जब मंत्र का प्रयोग सगे-संबंधियों में आपास में विरोध व शत्रुता के लिए किया जाए तो ये क्रिया विद्वेषण कहलाती है.

9. मारण: मंत्रों के प्रयोग से व्यक्ति, पशु-पक्षी या किसी भी जीव को मारना मारण कर्म कहलाता है.

10. पौष्टिक: साधक द्वारा मंत्र बल का सहारा लेकर धन-धान्य, यश, सम्मान, कीर्ति, वैभव आदि की वृद्धि करना पौष्टिक कर्म कहलाता है.

Tags: Astrology, Dharma Aastha, Dharma Culture

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