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हाइलाइट्स

भारतीय उद्योग जगत बीते दिनों ब्याज दरों में हुई बढ़ोतरी के प्रतिकूल असर को महसूस कर रहा है.
“RBI को मौद्रिक सख्ती की रफ्तार को पहले के 0.5 प्रतिशत से कम करने पर विचार करना चाहिए.”
बढ़ती महंगाई से निपटने के लिए रिजर्व बैंक ने इस साल तेजी से ब्याज दरें बढ़ाई हैं.

नई दिल्ली. बढ़ती महंगाई पर नियंत्रण पाने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक ने पिछले कुछ महीनों में लगातर ब्याज दरों में बढ़ोतरी का ऐलान किया है और इसका अर्थव्यवस्था पर प्रभाव देखने को मिल रहा है. भारतीय उद्योग परिसंघ (CII) ने रविवार को कहा कि भारतीय उद्योग जगत बीते दिनों ब्याज दरों में हुई बढ़ोतरी के प्रतिकूल असर को महसूस कर रहा है.

सीआईआई ने भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) से अनुरोध किया है कि वह ब्याज दर में बढ़ोतरी की रफ्तार घटाए. आरबीआई ने चालू वित्त वर्ष में अभी तक रेपो दर में 1.9 प्रतिशत की बढ़ोतरी की है. ब्याज दर पर विचार करने के लिए केंद्रीय बैंक की मौद्रिक नीति की समिति की बैठक दिसंबर के पहले सप्ताह में होगी.

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कंपनियों के मुनाफे में आई कमी
सीआईआई के विश्लेषण के मुताबिक, चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही (जुलाई-सितंबर 2022) में बड़ी संख्या में कंपनियों की आय और मुनाफे में कमी आई है. ऐसे में सीआईआई ने तर्क दिया कि मॉनेटरी पॉलिसी की सख्ती में नरमी की जरूरत है. सीआईआई के अनुसार, आंकड़े बताते हैं कि घरेलू मांग में सुधार का रुख है. हालांकि, वैश्विक सुस्ती का असर भारत की वृद्धि संभावनाओं पर भी पड़ सकता है.

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उद्योग निकाय ने कहा, ‘‘वैश्विक अनिश्चितताओं के बीच घरेलू वृद्धि को बनाए रखने के लिए आरबीआई को अपनी मौद्रिक सख्ती की रफ्तार को पहले के 0.5 प्रतिशत से कम करने पर विचार करना चाहिए.”

दुनियाभर के सेंट्रल बैंकों ने तेजी से बढ़ाई ब्याज दरें
बता दें कि दुनियाभर में मुद्रास्फीति की बढ़ती रफ्तार पर कंट्रोल करने के लिए अमेरिकी फेडरल रिजर्व समेत दुनियाभर के सेंट्रल बैंकों ने ब्याज दरों में तेजी से इजाफा किया है. महंगाई और इंटरेस्ट रेट में बढ़ोतरी से यूरोप और अमेरिका समेत दुनिया की अन्य अर्थव्यवस्थाएं प्रभावित हुई हैं.

महंगाई और बढ़ती ब्याज दरों की दोहरी मार से यूरोप और अमेरिका की इकोनॉमी पर मंदी का खतरा बढ़ने लगा है. कई अर्थशास्त्रियों ने चेताया है कि अगले साल तक ग्लोबल इकोनॉमी मंदी की चपेट में आ सकती है.

(भाषा से इनपुट के साथ)

Tags: RBI, Rbi policy, Recession

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