पटना2 घंटे पहलेलेखक: प्रणय प्रियंवद
उमाशंकर सिंह।
‘ महारानी ‘ सीजन टू आया है। इसको लेकर कई तरह के सवाल उठ रहे हैं। कई पात्र रीयल पॉलिटिकल पात्रों के नजदीक आते हैं और फिर दूर भी चले जाते हैं। क्या यह एक चालाकी के तहत किया गया है? महारानी वन में एक डायलॉग था – ‘नवीनवां के पेट में दांत है।’ दूसरा डायलॉग था- ’50लीटर दूध दुहवा लो, 500 गोबर का गोयठा बनवा लो पर एक दिन में इतनी फाइल पर हमसे अंगूठा नहीं लग पाएगा।’ सीजन टू का डायलॉग है-‘ बीमा भारती के कई रुप हैं, राजनीतिक मकसद के लिए वह किसी भी हद से आगे जा सकता है।’ यह डायलॉग भी काफी चर्चा में है- ‘जब-जब आपको लगता है कि आप बिहार को समझ गए हैं, बिहार आपको झटका देता है।’ महारानी वेब सीरीज के स्क्रिप्ट राइटर उमाशंकर सिंह से प्रणय प्रियंवद ने बात की। बता दें कि उमाशंकर सिंह बिहार के सुपौल के रहने वाले हैं।
सवाल- महारानी सीजन टू के बारे में कहा जा रहा है कि इसमें आप बिहार को दिखाना भी चाहते हैं और नहीं भी? ऐसी भ्रम की स्थिति क्यों है?
जवाब- अगर आप हिस्ट्री का बिहार देखना चाहते हैं और पिछले 20 साल का बिहार देखना चाहते हैं तो निराश होंगे। ऐसा हमने प्रॉमिस इसलिए नहीं किया है कि हम काल्पनिक कहानी कह रहे हैं। इसमें बिहार रीयल है। राजनीति हमने गढ़ी है। इसमें बिहार के नेताओं को खोजेंगे तो आप निराश होंगे। आप इसमें रानी भारती, बीमा भारती, नवीन कुमार को देखते हैं तो बहुत अच्छा लगेगा।
सवाल- इन तीनों पात्रों रानी भारती, बीमा भारती और नवीन कुमार की आप बात कर रहे हैं, उसमें बिहार की राजनीति के रीयल पात्र नजदीक आते हैं। महारानी वन में ज्यादा नजदीक आते थे, महारानी टू में ज्यादा नजदीक नहीं आते हैं?
जवाब- नजदीक तो कभी थे नहीं। मैं फिर कहता हूं। बिहार बेस्ड जब कभी कुछ बनेगा और उसमें महिला मुख्यमंत्री होंगी तो आपको खटके से राबड़ी देवी याद आएंगी। ये तो होगा। लेकिन राबड़ी देवी नाम का कोई किरदार हमारे यहां नहीं है। रानी भारती है। ये साम्य है और यह बस संयोग है। हम तो अपनी कहानी कहना चाह रहे हैं। अभी की राजनीति या अभी की राजनीति के एलिमेंट्स उसमें हैं।
सवाल- ये तो सिर्फ संयोग नहीं हो सकता। ये तो स्क्रिप्ट राइटिंग से ही हो सकता है कि राबड़ी देवी के करेक्टर को कहीं दिखाते हैं और कहीं नहीं?
जवाब- ये हमारे सीरीज की सफलता है कि आपको वास्तविक राजनीतिक किरदारों की याद आती है। यह इसका प्रमाण है कि एक्टर्स ने बेहतर काम किया है। हम ऐसा तो नहीं कि विशुद्ध काल्पनिक कहानी बता रहे हैं। इसी लोक की कहानी है। इसमें कुछ मिलता-जुलता जैसा लग सकता है। यह संयोग मात्र है।

उमाशंकर सिंह ने ये बातें कही।
सवाल- आप कीर्ति सिंह की बात करते हैं तो इसमें बिहार की राजनीति की एक नेत्री दिखती है?
जवाब- मुझे नहीं पता किसका किसके साथ है। मैं इतना जानता हूं कि कीर्ति सिंह नाम जैसी कोई मंत्री थीं। मेरे यहां पात्र का नाम तो कीर्ति सिंह है। कीर्ति सिंह का ग्राफ भी दिखता है। वे महिला मोर्चा की कार्यकर्ता थीं और राजनीति में आगे बढ़ीं।
सवाल- हम यही कह रहे हैं कि कई बार पात्रों को आप रीयल पात्रों के नजदीक लाते हैं और फिर दूर ले जाते हैं?
जवाब- इस पर मैं क्या कर सकता हूं।
सवाल- ये भ्रम जानबूझ कर बनाया है आपने ?
जवाब– हमारा मकसद किसी को नीचा दिखाना या ऊंचा उठाना नहीं है। जीवन में जो चीजें मैंने देखी हैं उस देखे हुए का असर किरदारों पर हो सकता है। लेकिन मैं फिर कहता हूं कि हमारा मकसद किसी को ऊंचा उठाना, नीचा दिखना नहीं है।
सवाल- सीजन टू में किन बातों का ध्यान आपने रखा?
जवाब- महारानी वन में हमने देखा कि राजनीति में सभी कुर्सी के भूखे हैं। मुझे लगा कि एक महिला जो गांव में रहती है वह प्योर माइंड सेट के साथ आयी हैं वैसी ही लोग आकर राजनीति में कड़े फैसले लें। उसे बाजार ने, पॉलिटिक्स ने करप्ट नहीं किया है। वह ताजा विचारों के साथ आती हैं। महारानी वन में हमने ये देखा। रानी कंपरमाइज नहीं करती। पार्ट टू में रानी भारती सभी के लिए असुविधाजनक हो जाती है।
सवाल- सीजन टू में रानी भारती क्रांतिकारी हो जाती हैं ?
जवाब- वह बंदूक उठा कर क्रांति नहीं करती पर संसदीय राजनीति के दायरे में रहकर संवैधानिक तरीके से सब कुछ करती हैं।
सवाल- एक पात्र में लोगों को नीतीश कुमार भी दिखते हैं?
जवाब- हर कोई अपने खास चश्मे से देखता है। मैं अपना चश्मा बांट नहीं सकता। मैं चाहता हूं कि उस तरह से देखिए जिस तरह से हमने बनाया है। नीतीश कुमार से समानता का सवाल नहीं है। हमारे पात्र नवीन कुमार उस पृष्ठभूमि से नहीं आते। नीतीश कुमार और नवीन कुमार में समानता नहीं है। चूंकि वे उस समय ऑपोजिशन में थे इसलिए आपको ऐसा लग सकता है। मुझे नहीं लगता कि नीतीश कुमार ने कभी धर्म की राजनीति की है। आपको उनकी याद आनी चाहिए जो धर्म की राजनीति कर रहे हैं।
लोगों का कैसा रिस्पांस है ?
जवाब- लोगों का बहुत बढ़िया रिस्पांस हैं। लोग बता रहे हैं कि अभ तक का देश का बेस्ट पॉलिटिकल ड्रामा है। रीयल पॉलिटिकल लीडर रानी भारती की तरह होते तो भारत की तस्वीर कुछ और होती।
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