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नई दिल्ली. मेक इन इंडिया के तहत बना मिसाइल का दिमाग यानि “फेज कंट्रोल माड्यूल” पहली बार भारत के साथ-साथ दुनिया को भी दिखाएगा अपनी ताकत. ये तकनीक भारत में दुश्मनों के मिसाइल की गहन निगरानी कर उनके मंसूबे को नस्तेनाबूत कर रहा है. जिसके बाद अब ये आर्मेनिया, पोलैंड और विएतनाम जैसे देशों की भी अभेद्य दीवार बनने को तैयार है.

फेज कंट्रोल माड्यूल (Phase Control Module) तकनीक एक रॉड और चिप का समूह है जो दुश्मन के मिसाइल को ट्रैक करता है और अपने मिसाइल की निगरानी. ये अपना सिग्नल पैदा करता है, सारे सिग्नल मिलकर एक बीम बन जाते हैं और फिर यह बीम ट्रांसमिट होता है जिससे दुश्मन के मिसाइल का पता चल जाता है.  बता दें कि इसका इस्तेमाल एयरफोर्स, व्यवसायिक जहाज और पहाड़ी इलाकों में भी होता है. यह तकनीक भारत के सभी प्रमुख मिसाइल में मौजूद है. भारत विश्व के उन तीन चुनिंदा देशों में से एक है जिसके पास ऐसा सिस्टम है. इस तकनीक की सफलता को देखते हुए आर्मेनिया पोलैंड ने इसे अपने यहां मंगवाया हैं और चीन सीमा के पास वियतनाम ने भी इस तकनीक में अपनी गहरी रुचि दिखाई है. न्यूज18 इंडिया भी उस तकनीक की बारीकियों को जानने पहुंचा जिसकी मुरीद अब दुनिया हो रही है.

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चेतन प्रकाश जैन, अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक, सेन्ट्रल इलेक्ट्रॉनिक लिमिटेड (भारत सरकार का उपक्रम) के मुताबिक गहन शोध के साथ इस तकनीक का विकास किया गया है. जब-जब जरूरत पड़ी है संबधित उपक्रमों को एक्सपोर्ट के लिए इसकी सप्लाई की गई है. यही नहीं तापमान के हिसाब से इसकी बराबर टेस्टिंग होती रहती है.

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भारत सरकार का उपक्रम सीईएल यानी सेंट्रल इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड, इस विशेष तकनीक के जरिए फेज्ड कंट्रोल मॉड्यूल तकनीक का निर्माण कर रहा है. इस तकनीक की सबसे बड़ी खूबी ये है कि इससे एक्स बैंड का ट्रांसमिशन होता है जो कि विश्व की सबसे अनोखी तकनीकों में से एक है. एक्स बैंड के जरिए तुरंत संदिग्ध फ्रीक्वेंसी को चिन्हित कर लिया जाता है और मिसाइल की दिशा को गति दी जाती है. यह तकनीक पाउडर से लेकर एक चिप युक्त प्रोडक्ट के रूप में परिवर्तित होता है जिसके बाद इसको मिसाइल सिस्टम के रडार में लगाया जाता है. यही नहीं कश्मीर, राजस्थान, कन्याकुमारी, आंध्र प्रदेश, पोलैंड, आर्मेनिया और वियतनाम, के तापमान में इसका क्वालिटी टेस्ट किया जाता है.

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इस तकनीक की एक और खास बात यह है कि यह पाउडर टू प्रोडक्ट की तर्ज पर विकसित किया जाता है. एक रडार सिस्टम में 5000 पीसीएम फेस कंट्रोल मॉड्यूल लगते हैं. कमांड एंड विदाउट कमांड इन दोनों शैली के तहत इस को विकसित किया जा रहा है. ये तकनीक वेपन लोकेटिंग रडार, फ्लाइट लेवल रडार, ट्रूप लेवल रडार इन तीनों में इस्तेमाल होती है. एक और खास बात है कि यह पहले डेवलपमेंट फेज मे था, 2022 से फेज कंट्रोल माड्यूल तकनीक पूर्ण उत्पादन में है. ये भारत के गौरव आकाश मिजाइल के राजेन्द्र रडार का हिस्सा भी है. आने वाले दिनों में उत्पादन क्षमता और उत्पाद की क्वालिटी पर भी खास ध्यान दिया जा रहा है ताकि भारत का गौरव विश्व में लगातार बरकरार रहे.

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