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हाइलाइट्स

रावण की एक हरकत पर सख्त नाराज मंदोदरी ने कुंड में कूदकर की जान देने की कोशिश
मंदोदरी से विवाह से पहले रावण को मिली थी चेतावनी कि पहली संतान की वजह से जाएगी जान
उत्तर रामायण और अद्भुत रामायण के साथ जैन रामायण में मिलता है ये जिक्र

वाल्मीकि रामायण में मंदोदरी की कहानी नहीं है. इसमें सिर्फ इतना जिक्र है कि वे मायासुर और हेमा की संतान थीं. हालांकि उत्तर रामायण में मंदोदरी के सौंदर्य और उनकी सच्चाई का जिक्र मिलता है. रामायण के कई दूसरे संस्करणों में भी मंदोदरी के बारे में विस्तार से लिखा गया. जैसे अद्भुत रामायण में मंदोदरी को सीता की मां बताया गया है. इसी में जिक्र है कि सीता के हरण के बाद गुस्साई मंदोदरी कैसे अपने पति रावण की मौत का कारण बनीं.

अद्भुत रामायण की कथा के अनुसार रावण एक विशाल कुंड में साधुओं का खून जमा किया करता था. एक तपस्वी गृतसामदा सालों से कड़ी तपस्या कर रहा था ताकि वो देवी लक्ष्मी को अपनी पुत्री के रूप में पा सके. तप के ही क्रम में साधु दूब से निकले दूध को एक पात्र में जमा करता. उसे मंत्रों से अभिमंत्रित करता. साधु को विश्वास था कि इससे लक्ष्मी उसमें आ बसेगी. रावण ने अपनी दुष्टता में साधु के दूध वाले पात्र को अपने खून वाले कुंड में मिला दिया.

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मंदोदरी के सौंदर्य पर मोहित रावण जब उससे विवाह की सोचता है, तब उसे चेतावनी भी मिलती है

तब मंदोदरी को पता चलने पर गुस्सा आ गया
मंदोदरी को ये बात पता चलने पर उसे गुस्सा आ गया. उसने तय किया कि वो खून से भरे उसी पात्र में डूबकर जान दे देगी. मान्यता है कि साधुओं के खून से भरा वो पात्र किसी जहर से भी ज्यादा जहरीला था. मंदोदरी खुदकुशी के इरादे से कुंड में कूदी लेकिन मरने की बजाए गर्भवती हो गई. इसकी वजह कुंड में मिला दूध था.

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मंदोदरी का गुस्सा तब भी कम नहीं हुआ. उसने भावी संतान को कलंक मानते हुए उसे कुरुक्षेत्र में जमीन में दफना दिया. यही वो जगह थी, जहां राजा जनक को खेती करने हुए देवी सीता संतान के रूप में मिलीं.

तब रावण को मंदोदरी से विवाह के लिए मिली थी चेतावनी
रामायण के एक और संस्करण देवीभार्गव पुराण में जिक्र है कि मंदोदरी के सौंदर्य पर मोहित रावण जब उससे विवाह की सोचता है, तब उसे चेतावनी मिलती है कि इस शादी से जन्मी पहली संतान उसके विनाश का कारण बनेगी. रावण चेतावनी को नजरअंदाज कर देता है. मंदोदरी से ही विवाह करता है.

बाद में उसकी गर्भ से जन्मी पहली संतान को खुद रावण ही कुरुक्षेत्र में जमीन में दफना आता है. यही बच्ची सीता बनी और रावण की मौत का कारण बनी.

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हनुमान जी ज्योतिष का रुप धारण कर लंका पहुंचे और मंदोदरी से मिले

मृत्यु के डर से पहली संतान को दफनाया था
रामायण के जैन संस्करणों जैसे “वासुदेव हिन्दी” (Vasudevahindi) और उत्तर पुराण में भी मिलता-जुलता प्रसंग है. इनमें भी बताया गया है कि सीता रावण और मंदोदरी की पहली संतान थीं और इसलिए दफना दी गईं क्योंकि रावण को अपनी मृत्यु का डर था.

एशिया के कई देशों जैसे इंडोनेशिया, मलेशिया और थाइलैंड में बोली जाने वाली भाषा- मलय में लिखी गई रामायण “सेरी राम” (Seri Rama) में भी सीता इसी तरह से दिखाई गई हैं. “रामा केलिंग” (Rama Keling) भी कहती है कि सीता असल में रावण की पुत्री थीं.

ये कहानी भी कही जाती है
“आनंद रामायण” के अनुसार, राजा पद्मक्ष की एक बेटी थी जिसका नाम पद्मा था, वे देवी लक्ष्मी का अवतार थीं. जब उनकी शादी का आयोजन होता है, राक्षस उनके पिता को मार देते हैं. दुखी पद्मा आग में कूद जाती हैं. रावण को उसका शरीर मिलता है, जो 5 रत्नों में बदल गया था. वो उसे एक पेटी में बंद करके लंका ले जाता है. मंदोदरी पेटी खोलने पर देखती है कि भीतर पद्मा है.

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मंदोदरी अपने पति को पेटी को खुद से दूर करने की सलाह देती है. उधर पेटी में बंद पद्मा रावण को शाप देती है कि वो दोबारा लंका लौटेगी और उसकी मृत्यु का कारण बनेगी. डरा हुआ रावण पेटी को जनक की नगरी में गाड़ आता है, वहीं राजा जनक को पद्मा सीता के रूप में मिलती हैं.

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रावण वध की वजह उसकी पत्नी मंदोदरी को भी माना जाता है

गलती से मंदोदरी के मुंह से निकला रावण की मृत्यु का रहस्य
एक और कहानी में जिक्र मिलता है कि एक बार रावण, कुंभकर्ण और विभीषण तीनों ने भगवान बह्मा को खुश करने के लिए कड़ी तपस्या की. बह्मा ने वरदान मांगने को कहा तो रावण ने उनसे अमर होने का वरदान मांगा. बह्मा ने इसपर असमर्थतता जताते हुए वरदान दिया कि रावण को सिर्फ एक खास तीर से मारा जा सकेगा. वो तीर भी बह्मा ने खुद रावण को सौंप दिया. प्रसन्न रावण ने तीर अपने सिंहासन के पीछे छिपा दिया और केवल मंदोदरी को ये बात बताई.

राम-रावण युद्ध के दौरान विभीषण भगवान राम को ये तो बता सके कि रावण की मृत्यु उसकी नाभि में तीर मारने से होगी लेकिन वो तीर कहां है, इस बारे में उन्हें कुछ पता नहीं था. यही पता करने के लिए हनुमान जी ज्योतिष का रुप धारण कर लंका पहुंचे और मंदोदरी से मिले. ज्योतिष के असल रूप और मकसद से अनजान मंदोदरी के मुंह से गलती से तीर का राज निकल गया. इसके बाद हनुमान ही वो तीर लेकर राम के पास लौटे और अगले दिन युद्धभूमि में रावण मारा.

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Tags: Hindu, Lord rama, Ravana Dahan, Sita devi

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