
नई दिल्ली. देश के राष्ट्रपति (President of India) पद के चुनाव (Election) को लेकर सरगर्मी अपने चरम पर है. इस चुनाव में जनता द्वारा चुने गए जनप्रतिनिधियों द्वारा ही राष्ट्रपति का चयन होगा. अलग-अलग राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में विधायक वोट करेंगे तो वहीं राज्यसभा और लोकसभा में सांसद अपने मत का प्रयोग करेंगे. ऐसे में क्षेत्रीय दलों (Regional Parties in India) की भूमिका भी बहुत अहम हो जाती है. इस खास चुनाव में वोट का वेटेज सबसे महत्वपूर्ण होता है. जिस राज्य की जनसंख्या सबसे अधिक होगी, वहां के विधायकों के वोट का मूल्य सबसे अधिक और जिस राज्य की आबादी कम उसके विधायकों का वोट कम वेटेज का होता है.
राष्ट्रपति पद का चुनाव एक जटिल प्रक्रिया है. इसमें दो अलग-अलग राज्यों के विधायकों के वोटों का वेटेज भी अलग-अलग होता है. वेटेज के लिए राज्य की आबादी मुख्य मानक होता है. राज्य की जनसंख्या को चुने हुए विधायक की संख्या से बांटा (डिवाइड) जाता है और फिर उसे 1000 से भाग दिया जाता है. इसके बाद जो अंक मिलता है, वह उस राज्य के एक विधायक के वोट का वेटेज होता है.
सांसदों के वेटेज का गणित अलग
राज्यों की विधानसभाओं के इलेक्टेड मेंबर्स के वोटों का वेटेज जोड़ देते हैं. इस सामूहिक वेटेज को राज्यसभा और लोकसभा के चुने गए मेंबर्स की कुल संख्या से डिवाइड करते हैं और इस तरह जो अंक हासिल होता है, वह एक सांसद के वोट का वेटेज होता है. अगर भाग देने पर शेष 0.5 से ज्यादा हो तो वेटेज में एक अंक की बढ़ोतरी कर देते हैं.
क्षेत्रीय दलों की भूमिका हो सकती है अहम
बंगाल से तृणमूल कांग्रेस, तेलंगाना से टीआरएस, महाराष्ट्र में शिवसेना, एनसीपी और अन्य दल अगर एक साथ रणनीति बनाकर वोटिंग करते हैं तो इसका असर राष्ट्रपति चुनाव में देखा जा सकता है. हालांकि इस चुनाव में सबसे बड़ा प्रभाव उत्तर प्रदेश के विधायक और सांसदों का होता है, क्योंकि उत्तर प्रदेश की जनसंख्या सबसे अधिक है. ऐसे समझें कि उत्तर प्रदेश के एक विधायक के वोट का वेटेज 208 है तो सिक्कम के विधायक के वोट वेटेज का महज 7. यानी जब कोई उत्तर प्रदेश का विधायक वोट देता है तो उसकी गिनती 208 और सिक्कम के विधायक के वोट की गिनती 7 गिनी जाती है.
राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार को लेकर है उत्सुकता
देश के अगले राष्ट्रपति के रूप में कौन-कौन उम्मीदवार होगा, इसको लेकर उत्सुकता है. राजनीतिक दलों ने अभी किसी भी नाम को आगे नहीं किया है. बीते चुनावों की बात करें तो राजनीतिक दल अपने उम्मीदवारों के लिए क्षेत्रीय दलों और सहयोगी दलों से वोट की अपील करते हैं. वहीं इस चुनाव में निर्दलीय उम्मीदवार भी होते हैं जो सभी दलों से अपने समर्थन की अपील करते हैं. उम्मीदवारों के नामों की घोषणा के बाद क्षेत्रीय दलों अपनी प्रतिक्रिया देंगे. किसी खास नाम के सामने आने पर दलों के नेता आपस में बैठक कर, समर्थन और समीकरणों पर चर्चा करते हैं.
भाजपा सहित अन्य दलों ने क्षेत्रीय दलों से किया संपर्क
राष्ट्रपति चुनाव को लेकर भाजपा सहित अन्य दलों ने अपने संपर्क बढ़ाते हुए समर्थन जुटाने की कोशिशें की हैं. भाजपा को बिहार के मुख्यमंत्री के रुख से कुछ आशंका थी तो उसने बीजू जनता दल (बीजेडी) और वाईएसआर कांग्रेस का समर्थन हासिल करने की कोशिश की है.
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Tags: Election, President of India, Regional parties in India
FIRST PUBLISHED : June 09, 2022, 21:15 IST
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