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नई दिल्‍ली. रुपये में लगातार गिरावट आने और बढ़ते राजको‍षीय घाटे से सरकार चिंतित है. अब सरकार रुपये आई अस्थि‍रता को दूर करने और बढ़ते राजकोषीय घाटे पर लगाम लगाने के लिए सक्रिय हो गई है. मिंट की एक रिपोर्ट के मुताबिक, रॉयटर्स को उच्‍च पदस्‍थ सरकारी अधिकारी ने बताया है कि सरकार हर हाल में राजकोषीय घाटे को वित्त वर्ष 2022-23 में कुल जीडीपी का 6.4 फीसदी रखने पर प्रतिबद्ध है.

वैश्विक चुनौतियों से निपटने के लिए भारत के मैक्रोइकॉनॉमिक फंडामेंटल मजबूत हैं. इसी को देखते हुए सरकार को विश्‍वास है कि वह राजकोषीय घाटे में बढ़ोतरी पर लगाम लगा लेगी. अधिकारी ने बताया कि सरकार अंतरराष्‍ट्रीय बाजार में कच्‍चे तेल कीमतों में हुई वृद्धि से निपटने के लिए भी कदम उठा रही है. भारत अपनी कच्‍चे तेल की कुल खपत का 85 फीसदी आयात ही करता है. अब रुपया कमजोर होने से आयात बहुत महंगा पड़ रहा है.

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कमोडिटी कीमतों में उछाल से दबाव
रूस-यूक्रेन जंग के बाद से ही कच्‍चे तेल सहित सभी कमोडिटी की कीमतों में भारी उछाल आया है. इससे भारत सहित विश्‍व के सभी देशों में महंगाई काफी बढ़ गई है. आयात बिल बढ़ने से भारतीय करंसी पर लगातार दबाव बना हुआ है और इसमें गिरावट आ रही है. सोमवार को भी भारतीय रुपया बढ़त के साथ 78.97 पर खुला था. लेकिन इंट्रा डे में इसमें गिरावट आ गई और यह 79.06 पर जा पहुंचा. कारोबार के अंत में यह अपने पिछले स्‍तर 78.94 पर ही बंद हुआ. वहीं डॉलर इंडेक्‍स भी सोमवार को छह करेंसीज के बॉस्‍केट के मुकाबले मजबूती के साथ खुला. परंतु बाद में 0.13 फीसदी गिरकर 104.99 रुपये पर पहुंच गया.  इसी तरह ब्रेंट क्रूड फ्यूचर भी सोमवार को 0.26 फीसदी गिरकर 111.34 अमेरिकी डॉलर पर पहुंच गया.

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एफआईआई बने बिकवाल
रुपये में गिरावट और भू-राजनीतिक तनाव से भारतीय शेयर बाजारों से विदेशी संस्‍थागत निवेशकों की बिकवाली जारी है. पिछले शुक्रवार को भी एफआईआई ने भारतीय बाजारों से 2324.74 करोड़ रुपये निकाल लिए. वहीं 24 जून को समाप्‍त हुए सप्‍ताह में भारत का विदेशी मुद्रा भंडार में बढ़ोतरी हुई और यह 2.734 बिलियन डॉलर से बढ़कर 593.323 बिलियन डॉलर हो गया. गौरतलब है कि भारतीय रिजर्व बैंक के हस्‍तक्षेप के बाद ही लगातार तीन सप्‍ताह तक भारत का विदेशी मुद्रा भंडार लगातार तीन सप्‍ताह तक गिरने के बाद पिछले सप्‍ताह ही बढ़ा है.

Tags: Business news, Economy, Fiscal Deficit, Rupee weakness

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