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रिपोर्ट:अंजलि सिंह राजपूत,लखनऊ

लखनऊ के थाना काकोरी में तैनात चौकी इंचार्ज की बेटी ने IAS बन कर पिता का मान बढ़ाया है.News18 Localपर मिलिए काकोरी थाने के सब-इंस्पेक्टर सुरेश नारायण मिश्रा से, जिनकी बड़ी बेटी ने कड़ीमेहनत के दमयूपीएससी की परीक्षा में 432वीं रैंक हासिल करके पूरे परिवार का नाम रोशन किया है.दरोगा सुरेश नारायण मिश्रा ने बताया कि उनकी बेटी ज्योति मिश्रा शुरुआत से ही पढ़ाई में होनहार थीं.रायबरेली से उसकी स्कूलिंग हुई और 16 साल की उम्र में ज्योति ने दिल्ली विश्वविद्यालय के बीकॉम में दाखिला लिया था.वर्तमान में ज्योति मिश्रा दिल्ली के गृह मंत्रालय में अपनी सेवाएं दे रही हैं.जैसे ही उनको अपनी पत्नी द्वारा बेटी के आईएएस बनने की सूचना मिली तो आंख खुशी के आंसुओं से नम हो गई.उन्होंने बताया कि जैसे ही उनकी अफसर बेटी दिल्ली से लखनऊ आएगी तो सबसे पहले अपने दादा जी का आशीर्वाद लेने जाएगी.

पुलिस में होने के नाते बेटी को नहीं दे पायासमय
उन्होंने बताया कि पुलिस में नौकरी करते हुए वह अपनी बेटी को समय नहीं दे पाए.उन्होंने सिर्फ अपनी बेटी को संसाधन ही उपलब्ध कराए और बेटी ने अपनी मेहनत से यूपीएससी की परीक्षा निकाल कर उनका और पूरे परिवार का सिर गर्व से ऊंचा कर दिया है.थोड़ा भावुक होते हुए सुरेश नारायण कहते हैं कि उन्होंने कभी भी अपनी मर्जी बच्चों पर नहीं थोपी.ज्योति के अलावा उनकी दो और बेटियां हैं जो भी पढ़ाई कर रही हैं.उनकी बिटिया की सफलता पर पूरा विभाग उनको बधाइयां दे रहा है.

पत्नी ने बताया कि बेटी अफसर बन गई
सब इंस्पेक्टर सुरेश कुमार मिश्रा ने बताया कि जिस दिन यूपीएससी का रिजल्ट आया उस दिन सबसे पहले ज्योति ने अपनी मां को यह शुभ समाचार दिया था.इसके बाद उनकी पत्नी ने उन्हें जब फोन किया तो वह कचहरी जा रहे थे रास्ते में थे और जैसे ही उन्होंने यह समाचार सुना कि उनकी बेटी ने यूपीएससी परीक्षा उत्तीर्ण कर ली है तो वह भावुक हो गए.उन्होंने अपनी बेटी को फोन करके कहा कि तुमने मेरा मान बढ़ाया है.फोन पर बातचीत के दौरान पिता और बेटी दोनों ही भावुक हो गए थे.उन्होंने बताया कि पूरे परिवार में कोई भी इतने ऊंचे पद पर नहीं पहुंच सका जहां ज्योति पहुंच गई है.

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23 साल की उम्र में दूसरे प्रयास में बनी अफसर
यूपीएससी परीक्षा में 432वीं रैंक हासिल करने वाली ज्योति मिश्रा मात्र 23 साल की उम्र में अफसर बन गई हैं.जी हां ज्योति मिश्रा ने बताया कि उनका यह दूसरा प्रयास था.यूपीएससी परीक्षा का जिसमें वह सफल हो सकी हैं.पहले प्रयास में वह सफल नहीं हो पाई थीं.उन्होंने बताया कि जब उन्होंने यूपीएससी परीक्षा की लिस्ट में अपना नाम देखा तो खुशी से आंखें उनकी भर आई थीं और सबसे पहले उन्होंने अपने माता और बहनों को फोन करके समाचार दिया. उन्होंने आगे बताया कि उन्होंने बीकॉम सेकंड ईयर से ही यूपीएससी की परीक्षा की तैयारी करनी शुरू कर दी थी.वह कहती हैं कि यूपीएससी परीक्षा में कोचिंग का उतना महत्वपूर्ण रोल नहीं होता जितना कि सेल्फ स्टडी का होता है.उन्होंने बताया कि उन्होंने खुद एक साल तक सेल्फ स्टडी की.इसके बाद कोचिंग की और तब उन्हें दूसरे प्रयास में सफलता मिली.कोई महत्व नहीं होता है कि आप कितने घंटे पढ़ाई करते हैं, उन्होंने बताया कि महत्व होता है कि आप कितनी लगन से और कितनी शिद्दत से स्टडी कर रहे हैं.उन्होंने यह भी बताया कि उन्हें जो भी जिम्मेदारी दी जाएगी उसे वह बखूबी निभाएंगी.

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