
नई दिल्ली. पूर्व थलेसनाध्यक्ष जनरल मनोज मुकुंद नरवणे (सेवानिवृत्त) ने सोमवार को कहा कि 2020 में लद्दाख में गतिरोध के दौरान सशस्त्र बलों ने जो कार्रवाई की वह पूरे राष्ट्र द्वारा किया गया प्रयास था और इसका श्रेय सेना के तीनों अंगों के बीच समन्वय को जाता है. जनरल नरवणे ने कहा कि उस ऊंचाई पर खराब मौसम की कठिनाइयों के बावजूद भारतीय जवान डटे रहे और उनका मनोबल अडिग रहा. उन्होंने यहां एक कार्यक्रम में कहा कि अगर हमारे जवान अच्छा काम नहीं करते तो सशस्त्र बलों द्वारा कार्रवाई करना संभव नहीं था. जनरल नरवणे से अग्निपथ भर्ती योजना के बारे में सवाल पूछा गया तो उन्होंने टिप्पणी करने से मना कर दिया.
सबसे ज्यादा श्रेय जवानों को
जनरल मनोज मुकुंद नरवणे ने कहा, इसमें तीनों सेनाओं के तालमेल का योगदान था. इसके अलावा इस मामले में राजनीतिक, राजनयिक और सैन्य स्तर पर बेहतर तालमेल था जिसके कारण सफलता मिली. उन्होंने कहा कि जब वास्तविक नियंत्रण रेखा पर तनाव चल रहा था तो तीनों सेनाओं के प्रमुख हर रोज सुबह स्थिति की समीक्षा कर रणनीति बनाते थे. पूर्व सेनाध्यक्ष ने कहा, इस कार्रवाई में विशेष रूप से वायु सेना ने बहुत महत्वपूर्ण योगदान दिया था. नरवणे ने कहा कि जवाबी कार्रवाई का सबसे अधिक श्रेय यदि किसी को जाता है तो वह सेना का जवान है जिसने बेहद प्रतिकूल परिस्थितियों में मोर्चे पर डटे रहकर बहादुरी से स्थिति का सामना किया.
40 चीनी जवानों को मार गिराया था
गौरतलब है कि 5 मई 2020 को भारत चीन वास्तविक नियंत्रण रेखा पर दोनों देशों के बीच आक्रामक झड़प हुई थी. दोनों देशों की सेना लद्दाख के पेंगोंग झील के पास गलवान घाटी में एक दूसरे के साथ हिंसक झड़प में शामिल हुए थे. इस घटना में भारतीय रणबांकुरों ने चीन की पूरी मंशा को असफल कर दिया था. इस घटना में भारत के 20 जवान शहीद हो गए थे जबकि भारतीय सेना ने कम से कम 40 चीनी जवानों को मार गिराया था. इस घटना के बाद भारत चीन में जबर्दस्त तनाव हो गया था और वास्तविक नियंत्रण रेखा के पास दोनों तरफ से जवानों की तैनाती हो गई थी.
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FIRST PUBLISHED : June 21, 2022, 00:25 IST
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