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हाइलाइट्स

दो देशों में बिकने वाली एक ही गाड़ी के अलग फीचर्स होने के कई कारण हैं.
सबसे बड़ा कारण कॉस्ट कटिंग का होता है.
वहीं इंजन में बदलाव का कारण माइलेज होता है.

नई दिल्ली. पिछले कुछ सालों में इंडियन ऑटोमोबाइल मार्केट में तेजी से विदेशी कंपनियों का बोलबाला बढ़ गया है, वहीं देसी कंपनियों ने भी अपने पैर पसारने शुरू कर दिए हैं और इंडियन कारों का एक्सपोर्ट ग्राफ ऊंचाइयां छू रहा है. इंडियन बायर का भी रुझान विदेशी कंपनियों की गाड़ियों और उनकी लेटेस्ट टेक्नोलॉजी की तरफ है. लोग विदेशी कंपनियों की गाड़ियों को खरीदना पसंद करते हैं. लेकिन उसी गाड़ी का जब हम यूरोप, ब्रिटेन या फिर अमेरिका में बिकने वाला वही वर्जन देखते हैं तो उसमें काफी फर्क दिखता है.

एक ही कंपनी की गाड़ी के उसी वर्जन में देश और विदेश में ये फर्क फीचर्स से लेकर इंजन कपैसिटी, लुक्स, टायर साइज तक का होता है. आखिर ऐसा क्यों होता है और कंपनियां क्यों नहीं विदेश में दिए जाने वाले फीचर्स के साथ गाड़ियों को इंडिया में लॉन्च करती हैं आइये आपको बताएं…

  • सबसे बड़ा फर्क स्टीयरिंग के लेफ्ट और राइट साइड का होता है. इसका एक आसान जवाब है कि इंडिया में राइट हैंड साइड ट्रैफिक है इसलिए यहां पर स्टीयरिंग राइट साइड में होता है. अमेरिका, जर्मनी, रूस में ट्रैफिक लेफ्ट हैंड साइड है इसलिए वहां पर स्टीयरिंग की माउंटिंग लेफ्ट साइड होती है.
  • ज्यादातर मामलों में देखने को मिला है कि सेम मॉडल के उसी वेरिएंट का इंजन विदेश में अलग और इंडिया में अलग होता है. इसके दो बड़े कारण होते हैं. पहला ये कि इंडियन बायर माइलेज कॉन्‍शियस होता है इसलिए हमारे देश में ज्यादातर कंबशन इंजन परफॉर्मेंस फ्रैंडली नहीं होते हैं. दूसरा कारण पॉल्यूशन नॉर्म्स और कंपनी को मिलने वाले अप्रूवल्स पर बेस्ड होता है.
  • फीचर्स को लेकर भी ये मामला देखने को मिलता है. इंडियन मॉडल्स में कम फीचर्स मिलते हैं. इसका कारण भी कॉस्टिंग होती है. देश में ऑटोमोबाइल मार्केट के अंदर बड़ा कॉम्पीटीशन है जिसके चलते कंपनियों को कॉस्ट कटिंग कर गाड़ी की प्राइस को कम करना होता है.
  • वहीं टायरों के साइज में भी अंतर देखने को मिलता है. इसका सीधा संबंध कंडीशंस, इंजन पावर और कॉस्ट कटिंग तीनों से जुड़ता है. कार का इंजन जितना पावरफुल होता है उतना ही टायर का साइज और चौड़ाई बढ़ जाती है. वहीं बर्फीले इलाकों में भी ऐसा ही होता है. वहीं जब कंपनी को कॉस्ट कटिंग करनी होती है तो कार में छोटे साइज के टायर फिट किए जाते हैं.
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Tags: Auto News, Car Bike News

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