
हाइलाइट्स
रुपया पिछले महीने अपने सर्वकालिक न्यूनतम स्तर तक टूट गया था.
शुक्रवार को यह मजबूत होकर डॉलर के मुकाबले 80.80 के स्तर पर बंद हुआ.
रुपये में गिरावट को रोकने के लिए आरबीआई ने फॉरेक्स रिजर्व से डॉलर बेचा.
नई दिल्ली. आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने शनिवार को एक कार्यक्रम में कहा कि फॉरेक्स रिजर्व को दिखावे के लिए नहीं रखा गया है बल्कि ऐसे समय पर इस्तेमाल के लिए जमा किया गया है. दरअसल, आरबीआई ने रुपये में जारी गिरावट को रोकने के लिए विदेशी मुद्रा भंडार का इस्तेमाल किया जिसकी थोड़ी आलोचना हुई थी. दास ने इसी संबंध में आरबीआई की स्थिति साफ की. उन्होंने कहा कि फॉरेक्स रिजर्व को काम में लाना इसलिए जरूरी है ताकि एक्सचेंज रेट में बड़ी अस्थिरता से बचा जा सके.
बकौल दास, “कुछ लोगों ने कहा कि आरबीआई भंडार (विदेशी मुद्रा) को अंधाधुंध खर्च कर रही है. ऐसा नहीं है. हमने इन्हें बचाकर ऐसे ही समय के लिए रखा है, मैं पहले भी कह चुका हूं कि आपको बरसात में अपने छाते का इस्तेमाल करना ही पड़ता है. हमने रिजर्व को केवल दिखावे के लिए नहीं रखा है.”
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रुपये की स्थिति में सुधार
आरबीआई ने गिरते रुपये को उठाने के लिए डॉलर की बिक्री शुरू की थी जिससे देश के फॉरेक्स रिजर्व को तगड़ा झटका लगा था. 4 नवंबर को भारत का फॉरेक्स रिजर्व 530 अरब डॉलर हो गया था जो इससे पिछले साल के समान समय के मुकाबले 111 अरब डॉलर था. अब रुपये की स्थिति में सुधार देखने को मिल रहा है. शुक्रवार को डॉलर के मुकाबले रुपये में 4 साल की सबसे बड़ी एकदिनी बढ़त देखने को मिली. रुपया अपने 2 माह के सर्वोच्च स्तर 80.80 पर पहुंच गया. जबकि हाल ही में भारतीय करेंसी गिरावट के नए रिकॉर्ड बनाते हुए 1 डॉलर के मुकाबले 83 के स्तर को भी छू गई थी. दास ने कहा कि फॉरेक्स रिजर्व से खर्च के बावजूद भंडार अभी संतोषजनक स्थिति में है.
दुनिया ने झेले 3 बड़े झटके
शक्तिकांत दास ने कहा, ‘पूरी दुनिया ने कई झटके झेले हैं. मैंने इन्हें तीन झटके कहता हूं. पहला कोविड-19 महामारी, फिर यूक्रेन में युद्ध और अब वित्तीय बाजार में उथल-पुथल.’ आरबीआई गवर्नर ने कहा कि वित्तीय बाजार में उथल-पुथल मुख्य रूप से केंद्रीय बैंकों द्वारा दुनिया भर में सख्त मौद्रिक नीति से उत्पन्न हो रही है. विशेष रूप से विकसित देशों के कारण और इनके अप्रत्यक्ष नुकसान भारत समेत उभरती अर्थव्यवस्थाओं को झेलना पड़ रहे हैं.
7 फीसदी की दर से बढ़ेगा भारत
उन्होंने कहा, “मौजूदा संदर्भ में वृद्धि के आंकड़े अच्छे दिख रहे हैं. हमारा अनुमान है कि भारत की अर्थव्यवस्था करीब सात प्रतिशत की दर से बढ़ेगी. आईएमएफ ने अनुमान जताया है कि चालू वित्त वर्ष में भारत की आर्थिक वृद्धि दर लगभग 6.8 प्रतिशत रहेगी. यह आंकड़े भारत को दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में रखते हैं.” हालांकि, आरबीआई प्रमुख ने कहा कि मुद्रास्फीति के मामले में भारत के सामने एक बड़ी चुनौती है. गौरतलब है कि सितंबर में खुदरा मुद्रास्फीति बढ़कर 7.4 प्रतिशत हो गई जबकि अगस्त में यह सात प्रतिशत पर थी
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Tags: Dollar, Indian currency, RBI Governor, Rupee weakness
FIRST PUBLISHED : November 13, 2022, 10:26 IST
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