हाइलाइट्स
दूसरे विश्व युद्ध के दौरान महिंद्रा थार का अस्तित्व शुरू हुआ.
1949 में महिंद्रा एंड महिंद्रा मॉडल को पहली बार भारत में लाए.
2010 में महिंद्रा ने जीप को रिप्लेस करते हुए थार को लॉन्च किया.
Mahindra Thar: महिंद्रा थार वर्तमान में देश की सबसे ज्यादा बिकने वाली ऑफरोडर SUV है. आज एसयूवी के लिए एक साल से ज्यादा वेटिंग रहती है. थार की डिमांड भारत ही नहीं, बल्कि दुनिया भर में है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि आज जिस थार पर दुनिया का दिल आया है, उसे पहली बार सेना के लिए बनाया गया था. इसे ऐसे जंग के मैदान में तोप और हथियार ले जाने के लिए इस्तेमाल करते थे, जहां ट्रक तक नहीं पहुंच पाते थे. महिंद्रा थार का ये सफर काफी दिलचस्प है.
1939-1945 के बीच दूसरा विश्व युद्ध लड़ा गया. इसी दौरान महिंद्रा थार के अस्तित्व में आने की शुरुआत हुई. दरअसल, अमेरिका को जंग के मैदान में सस्ता, छोटा और मजबूत वाहन की जरूरत थी. इन जरूरतों को पूरा करने के लिए अमेरिका ने देश की सभी ऑटोमोबाइल कंपनियों से सेना के लिए मॉडल तैयार करने के लिए कहा. अमेरिका ने इसके लिए सिर्फ 49 दिन का ही समय दिया. इतने कम वक्त में सिर्फ एक कंपनी वेंटम ही मॉडल तैयार कर पाई, लेकिन वेंटम उस वक्त बहुत छोटी कंपनी थी और सेना की मांग के हिसाब से प्रोडक्शन नहीं कर सकती थी. इसलिए अमेरिका ने दूसरी कंपनी विलिज ऑवरलैंड डिजाइन को वेंटम के डिजाइन के साथ वाहन तैयार करने का ऑर्डर दिया.
सेना के लिए बनाए गए थे 6 लाख मॉडल
विलिज ओवरलैंड ने जो वाहन तैयार किया उसका नाम JEEP रखा. यह किसी भी तरह के ऊबड़-खाबड़ रास्तों पर चल सकती थी. साथ ही यह इतनी मजबूत थी कि छोटे-मोटे बंदूक और धमाके के हमलों का भी इस पर कुछ असर नहीं होता था. इन्हीं सब खूबियों की वजह से जीप दूसरे विश्व युद्ध का एक अहम हिस्सा बन गई. विलिज ने युद्ध के दौरान अमेरिकी सेना के लिए करीब 6 लाख मॉडल तैयार किए. 1945 में युद्ध खत्म होने के बाद जीप की डिमांड पूरी तरह खत्म हो गई थी.

सेना ने भी इसे खरीदना बंद कर दिया.
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इस तरह हुई महिंद्रा एंड महिंद्रा की एंट्री
विलिज ने घाटे से बचने के लिए जीप को बाजार में बेचना शुरू किया, लेकिन जैसी सफलता इसे युद्ध के मैदान में मिली, वैसी सफलता सड़कों पर नहीं मिल पाई. इसके बाद तो कंपनी बंद होने की कगार पर आ गई. यही वो वक्त है, जब कहानी में महिंद्रा एंड महिंद्रा की एंट्री होती है. दरअसल, महिंद्रा के फाउंडर जेसी महिंद्रा और केसी महिंद्रा ने कुछ वक्त अमेरिका में बिताया था. इसी दौरान उन्होंने जीप को देखा. केसी महिंद्रा को ये मॉडल काफी पसंद आया. उन्होंने विलिज से जीप को इंडिया इंपोर्ट करने की डील की. इस तरह साल 1949 में महिंद्रा एंड महिंद्रा जीप को भारत लेकर आए.

महिंद्रा थार, स्कॉर्पियो और जीप का कॉम्बिनेशन था.
भारत में जीप की सफलता
भारत में जीप की कीमत बहुत ज्यादा थी और लेफ्ट हैंड ड्राइव होने के चलते यह शुरुआत में कुछ खास कमाल नहीं कर पाई. इसके बाद महिंद्रा ने हार नहीं मानी और 1960 में जीप के मॉडल को इंडिया में बनाने का लाइसेंस हासिल किया. अब भारत में बनने से जीप की कीमत कम हो गई और भारतीय सड़कों के हिसाब से राइट हैंड ड्राइव स्टीयरिंग भी मिलने लगी. बुनियादी बदलावों की बदौलत जीप कुछ समय बाद भारत में सफल हो गई. इसके बाद महिंद्रा 40 साल तक जीप के अलग-अलग वर्जन बनाती रही और हर एक वर्जन इंडियन मार्केट में धूम मचाता रहा, लेकिन 1990 के बाद से इसकी मांग कम होती गई.
जीप से थार का जन्म
साल 2000 में महिंद्रा ने जब बोलेरो और स्कॉर्पियो जैसी कार लॉन्च की तो जीप की बिक्री बंद हो गई. लोग अब जीप की जगह पर बोलेरो और स्कॉर्पियो को खरीद रहे थे. इस तरह जीप का फेल होना महिंद्रा के लिए एक बहुत बड़ा झटका था और कंपनी को ऐसी कार की जरूरत थी, जो जीप की कमी को पूरा कर सके. ऐसे में साल 2010 में महिंद्रा ने जीप को रिप्लेस करते हुए थार को लॉन्च कर दिया. महिंद्रा थार, स्कॉर्पियो और जीप का कॉम्बिनेशन था. इसलिए लॉन्च होते ही थार ने बाजार में धूम मचाना शुरू कर दिया.
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FIRST PUBLISHED : February 18, 2023, 14:35 IST
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