
पटना2 घंटे पहलेलेखक: प्रणय प्रियंवद
कांग्रेस के दो विधायकों को बिहार मंत्रिमंडल में जगह मिली हुई है। ये दो नेता हैं आफाक आलम और मुरारी गौतम। कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने तब इसका खूब विरोध किया था कि कांग्रेस के19 विधायक हैं और उस अनुपात में मंत्री पद नहीं दिया जा रहा है। पहले मंत्रिमंडल विस्तार के समय ही कांग्रेस के प्रभारी भक्त चरण दास ने कहा था कि एक और मंत्री पद कांग्रेस को मिलेगा।
अभी कांग्रेस के आफाक आलम पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग के मंत्री हैं और मुरारी गौतम पंचायती राज विभाग के मंत्री। मुरारी प्रसाद गौतम चेनारी से दूसरी बार विधायक हुए। वे कांग्रेस की कद्दावर नेता मीरा कुमार के खेमा से आते हैं। आफाक आलम, कस्बा से विधायक हैं। वे तीन टर्म से विधायक रहे हैं। कांग्रेस के उपाध्यक्ष भी रहे हैं। इनकी निकटता कांग्रेस के वरिष्ठ नेता तारिक अनवर से मानी जाती है।
कई धुरंधर नेता दिल्ली आ-जा रहे हैं
इसकी चर्चा खूब रही कि छठ पर्व के बाद मंत्रिमंडल का विस्तार होगा और कांग्रेस के एक और विधायक को मंत्री पद दिया जाएगा। इसको लेकर कांग्रेस के कई धुरंधर नेता दिल्ली आ जा रहे हैं। राजनीति में कम बार ऐसा होता है कि बिना लाइजनिंग के कुर्सी मिल जाए। यह बिहार कांग्रेस के सीनियर नेता भी समझते हैं। इसलिए पटना से दिल्ली की यात्रा जारी है। जानकारी है कि कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. मदन मोहन झा, विधायक दल के नेता अजीत शर्मा, वरिष्ठ नेता डॉ. शकील अहमद खान, प्रेमचंद मिश्रा ऐसे वरिष्ठ नेता हैं जिनके नाम की चर्चा तो पहले मंत्रिमंडल विस्तार में रही लेकिन इन्हें मंत्री नहीं बनाया गया।
इसकी चर्चा खूब है कि अब जो एक मंत्री पद मिलेगा। वह किसी सवर्ण जाति के नेता को ही मिलेगा। कांग्रेस से एक दलित और एक मुस्लिम को मंत्री पद मिल चुका है। इस लिहाज से डॉ. शकील अहमद खान की दावेदारी कमजोर है लेकिन शकील अहमद के साथ जेएनयू लॉबी है और वे काफी सुलझे हुए नेता हैं। प्रेमचंद मिश्रा अस्वस्थ चल रहे हैं इसलिए दिल्ली जाना-आना उनके लिए बहुत संभव नहीं है।
इन नेताओं की खासियत जानिए
डॉ. मदन मोहन झा- ये कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष हैं। आलाकमान तक अपनी पहुंच रखते हैं। वे नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव दोनों के प्रति लॉयल माने जाते हैं! संगठन का हाल यह है कि प्रदेश कमेटी चार साल से नहीं बना पाए। पार्टी को धार नहीं मिल पाई। कई बार महागठबंधन के अंदर यही दिखता रहा कि वह राजद की पिछलग्गू पार्टी बन कर रह गई।
अजीत शर्मा- मुखर नेता हैं। नीतीश कुमार और ललन सिंह से नजदीक नेता हैं। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अखिलेश सिंह भी इन्हें काफी मानते हैं। सवर्ण लॉबी में काफी मजबूत हैं। धन-बल से मजबूत माने जाते हैं।
डॉ. शकील अहमद खान- कांग्रेस के सबसे मुखर नेता हैं और इस को पैरोकार हैं कि कांग्रेस के संगठन में सभी जातियों, वर्गों का प्रतिनिधित्व मिलना चाहिए तभी कांग्रेस मजबूत होगी। बड़ी बात यह कि राहुल गांधी हों या सोनिया गांधी कांग्रेस के बड़े नेताओं से राजनीतिक संबंध अच्छे हैं। इस लिहाज से ये बड़े नेता हैं।
प्रेमचंद मिश्रा- इनके अंदर संगठन चलाने की क्षमता काफी है। एनएसयूआई, यूथ कांग्रेस में ताकतवर तरीके से रहे हैं। कांग्रेस पार्टी का लाइन को लोगों के सामने मजबूती से रखने वाले नेता रहे हैं। विधान परिषद में कांग्रेस के ऐसे चेहरा हैं जो सवाल भी पूछते हैं और सत्ता की मनमानी में हस्तक्षेप भी करते हैं।
कांग्रेस को मंत्रिमंडल में दो और जगहें जाहिए- असितनाथ तिवारी, प्रदेश प्रवक्ता, कांग्रेस
कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता असित नाथ तिवारी कहते हैं कि हमारा गठबंधन बिना शर्त के हैं। हमने कोई शर्त नहीं थोपी है। लेकिन जब मंत्रिमंडल विस्तार की बात होती है तो कार्यकर्ताओं की भावना है कि कांग्रेस के दो और लोगों को मंत्रिमंडल में शामिल करना चाहिए।
कांग्रेस से एक अल्पसंख्यक वर्ग से और एक दलित वर्ग से मंत्री हैं। हमें एक पिछड़ा वर्ग से और एक सवर्ण से मंत्री पद मिलना चाहिए। यानी दो जगह और मंत्रिमंडल में मिलनी चाहिए।
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