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हाइलाइट्स

प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर कम उपस्थिति को नकारते हुए मीडिया के नेत्रदोष की बात कही.
प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि जो नेता उपस्थित नहीं हैं, उनके बारे में संगठन को जानकारी है.
राजेश ठाकुर ने कहा कुछ विधायक क्षेत्र में हैं जबकि कुछ इलाज के लिए झारखंड से बाहर हैं.

रांची. झारखंड में कांग्रेस को एकजुट रखने की चुनौती समय के साथ बढ़ती ही चली जा रही है. दिल्ली दरबार से लेकर प्रदेश नेतृत्व तक की नजर कांग्रेस के 18 विधायकों पर टिकी है. राष्ट्रपति चुनाव में कांग्रेस विधायकों की क्रॉस वोटिंग के बाद से प्रदेश की राजनीति में हलचल तेज है. लाख प्रयास के बावजूद कांग्रेस के सभी विधायक एक मंच पर नजर नहीं आ रहे हैं. रांची में कांग्रेस के सत्याग्रह कार्यक्रम के दौरान कांग्रेस का सत्य सबके सामने आ गया. कांग्रेस के 18 में से 6 विधायक ही सत्याग्रह कार्यक्रम में शामिल हुए.

बता दें कि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को फिर एक बार ED दफ्तर तलब किए जाने के खिलाफ देश भर में कांग्रेस के नेता और विधायक सड़क पर उतरे. रांची के मोरहाबादी मैदान में भी महात्मा गांधी की प्रतिमा के समक्ष सत्याग्रह का कार्यक्रम हुआ. इस सत्याग्रह में कांग्रेस के 18 में से मात्र 6 विधायक शामिल हुए. कांग्रेस नेताओं की निगाहें अपने विधायकों को ढूंढ़ती रहीं, पर प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर मीडिया पर ही नेत्रदोष की बात कर इस हकीकत को नकारते नजर आए. उनका कहना है कि जो उपस्थित नहीं हैं, उनके बारे में संगठन को जानकारी है. कुछ विधायक क्षेत्र में हैं जबकि कुछ लोग इलाज के लिए झारखंड से बाहर गए हैं.

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वैसे, कांग्रेस भले इस तथ्य से नजर चुराना चाहे पर लोगों के बीच अब यह चर्चा आम है कि झारखंड में कांग्रेस के अंदर खलबली मची है. हर दूसरे दिन कांग्रेस विधायक के टूटने, तो कभी पार्टी छोड़कर भागने, कभी दिल्ली में होने, तो कभी हरियाणा चले जाने की बात अब आम हो गई है. कांग्रेस विधायकों पर ऐसे आरोप के पर्याप्त आधार भी हैं. कई बार कांग्रेस के विधायक दिल्ली का दौरा लगा चुके हैं. राष्ट्रपति चुनाव में कांग्रेस के विधायक क्रॉस वोटिंग कर चुके हैं. कांग्रेस के ही विधायक पाला बदलने को लेकर प्रलोभन मिलने का खुलासा कर चुके हैं. ऐसे में अगर कांग्रेस के अंदर टूट की आशंका का प्रश्न उठता है, तो जवाब कांग्रेस को ही देना होगा. रांची में कांग्रेस के सत्याग्रह कार्यक्रम में दोपहर 3 बजे तक कांग्रेस विधायक उमाशंकर अकेला, ममता देवी, राजेश कच्छप, नमन विकासल कोंगाड़ी के अलावा कांग्रेस कोटे के मंत्री बादल पत्रलेख और बन्ना गुप्ता शामिल हुए.

झारखंड में कांग्रेस शुरू से ही कई खेमों में बंटी है. मौजूदा हालात में यह तस्वीर और ये हकीकत साफ-साफ झलक रही है. आदिवासी विधायकों का खेमा, महिला विधायकों का खेमा, मंत्रिमंडल में शामिल मंत्रियों की राजनीति से बहुत कुछ अंदाजा मिल रहा है. हां, यह बात जरूर है कि कुछ एक विधायक कांग्रेस का हाथ छोड़ने को तैयार नहीं हैं. अब जबकि सवाल कांग्रेस के अंदर संभावित भगदड़ का है, तो जवाब किसी का गोलमटोल, तो किसी का जवाब शेरो शायरी में सुनने को मिल रहा है. सत्याग्रह कार्यक्रम में शामिल कांग्रेस विधायकों ने एक स्वर में कहा कि उन्हें बदनाम किया जा रहा है. कोई कहीं नहीं जा रहा है. या तो वे अपने विधानसभा क्षेत्र में होते हैं या रांची में. कभी कभार इलाज या निजी कार्य से झारखंड से बाहर जाना जरूर होता है.

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