
नई दिल्ली. देश में चारे की कमी को दूर करने के लिए सरकार ने अंततः चालू वित्त वर्ष के दौरान 100 चारा केंद्रित किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) की स्थापना के लिए राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (एनडीडीबी) को कार्यान्वयन एजेंसी के रूप में नामित किया है. मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय ने वर्ष 2020 में चारा केंद्रित एफपीओ की स्थापना का प्रस्ताव दिया था और कृषि मंत्रालय से केंद्रीय योजना ‘‘10,000 नए एफपीओ के गठन और संवर्धन’’ के तहत ऐसे एफपीओ को अनुमति देने का अनुरोध किया था.
प्रस्ताव पर गंभीरता से विचार किया गया और कृषि मंत्रालय ने आखिरकार चार नवंबर को एक आदेश जारी किया.
आदेश में कहा गया है कि कृषि और किसान कल्याण विभाग में सक्षम प्राधिकारी ने एनडीडीबी को 10,000 किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) के गठन और बढ़ावा देने की योजना के तहत कार्यान्वयन एजेंसी के रूप में नामित करने के लिए मंजूरी दे दी है ताकि एफपीओ, मुख्य रूप से चारा केंद्रित एफपीओ और पशुपालन गतिविधियों को एक माध्यमिक गतिविधि (चारा प्लस मॉडल) के रूप में बढ़ावा दिया जा सके.
2022 23 के दौरान 100 एफपीओ
इसमें कहा गया है कि एनडीडीबी को 2022 23 के दौरान योजना दिशानिर्देशों के तहत 100 एफपीओ बनाने का काम सौंपा गया है. पिछले महीने चारा संकट पर समीक्षा बैठक के बाद मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा था कि एक सामान्य वर्ष में देश में चारा, सूखा चारा और सुकेंद्रित चारे की कमी क्रमश: 12 15 प्रतिशत, 25 26 प्रतिशत और 36 प्रतिशत की होती है, जो मुख्यत: मौसमी और क्षेत्रीय कारकों के कारण होता है.
अधिकारी ने कहा कि हालांकि, चारे में मौजूदा मुद्रास्फीति की प्रवृत्ति गेहूं की फसल में गिरावट और डीजल की लागत बढ़ने के कारण है. चारे का कुल क्षेत्रफल, फसली क्षेत्र के लगभग 4.6 प्रतिशत तक ही सीमित है और यह पिछले चार दशकों से स्थिर बना हुआ है.
जानें क्या है FPO
किसान उत्पादक संगठन यानी एफपीओ, किसानों द्वारा बनाया गया एक स्वंय सहायता समूह होता है. किसानों का यह समूह खुद किसानों के हित में काम करता है. किसान उत्पादक संगठनों से जुड़कर किसान निश्चिंत होकर कृषि कार्यों के साथ साथ अपने हितों की रक्षा कर पाते हैं.
जाहिर है कि किसान खून पसीना एक करके मेहनत से अनाज, फल फूल और सब्जियां उपजाते हैं. लेकिन कई बार बाजार में उनकी उपज का वाजिब दाम नहीं मिल पाता, जिस कारण किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ जाता है. ऐसी स्थिति में किसान उत्पादक संगठन (Farmer Producer Organization) बाजार में मोलभाव के वक्त किसानों के हित में पूरी ताकत के साथ खड़े रहते हैं. किसान उत्पादक संगठनों से जुड़ने पर छोटे किसानों को उपज का अच्छा मोल मिल जाता है. इससे किसानों की आजीविका में भी वृद्धि होगी.
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Tags: Business news in hindi, Modi government, Modi Govt
FIRST PUBLISHED : November 09, 2022, 20:59 IST
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