
हाइलाइट्स
वनस्पति वैज्ञानिकों के मुताबिक, ब्रह्म कमल एस्टेरेसी कुल का पौधा माना गया है.
यह पौधा सामान्य कमल की तरह पानी में नहीं उगता.
Lucky Flower : हिंदू धर्म में ब्रह्म कमल के फूल को ब्रह्मा जी का प्रतिरूप माना जाता है. कई लोग यह भी मानते हैं कि जब यह फूल खिलता है तो इस पर भगवान विष्णु की शैया दिखाई देती है. भारतवर्ष में ब्रह्मा कमल का फूल हिमालय के तराई वाले क्षेत्रों में पाया जाता है. यह फूल साल में सिर्फ एक बार खिलता है. ब्रह्म कमल उत्तराखंड का राज्य पुष्प है. उत्तराखंड में इन पुष्पों की खेती भी की जाती है. यह फूल विशेष तौर पर पिंडारी से लेकर जपला रूपकुंड, हेमकुंड, ब्रिज गंगा फूलों की घाटी और केदारनाथ तक में पाया जाता है. साल में एक बार होने के कारण इस फूल को देखना सौभाग्य माना गया है. भारतवर्ष में इस फूल को कई अन्य नामों से भी जाना जाता है. ब्रह्म कमल का धार्मिक महत्व बता रहे हैं भोपाल निवासी ज्योतिषी एवं वास्तु सलाहकार पंडित हितेंद्र कुमार शर्मा.
फूल का धार्मिक महत्व
हिंदू धर्म में ब्रह्म कमल के फूल को सौभाग्य और समृद्धि का प्रतीक माना गया है. यह फूल धार्मिक मान्यताओं में बहुत प्रसिद्ध है. धर्म पुराणों की मानें तो ब्रह्म कमल मां नंदा का प्रिय पुष्प होता है, इसलिए इसे नंदा अष्टमी के दिन तोड़ा जाता है. ब्रह्म कमल का शाब्दिक अर्थ है “ब्रह्मा का कमल”. ऐसा माना जाता है कि केवल भाग्यशाली लोग इस फूल को खिलते हुए देख पाते हैं और जो भी व्यक्ति इस फूल को खिलते हुए देखता है उसे अपने जीवन में सुख और समृद्धि प्राप्त होती है.
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फूल का औषधीय उपयोग
ब्रह्म कमल फूल ना सिर्फ देखने में ही सुंदर होता है, बल्कि इस फूल के कई औषधीय उपयोग भी हैं. इस फूल का उपयोग जलने, सर्दी-जुकाम, हड्डी के रोगों में प्रयोग किया जाता है. ऐसा माना जाता है कि इससे निकलने वाला पानी पीने से थकान भी दूर होती है. चिकित्सकीय प्रयोगों में इस फूल के 174 अलग-अलग फॉर्मूलेशंस पाए गए हैं. वनस्पति वैज्ञानिकों ने इस दुर्लभ फूल की 31 अलग-अलग प्रजातियां खोज निकाली हैं.
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4 हजार मीटर से अधिक की ऊंचाई पर खिलता है ब्रह्म कमल
वनस्पति वैज्ञानिकों के मुताबिक, ब्रह्म कमल एस्टेरेसी कुल का पौधा माना गया है. यह पौधा सामान्य कमल की तरह पानी में नहीं उगता, बल्कि जमीन पर यह पौधा 4000 मीटर से अधिक की ऊंचाई वाले जगहों पर खिलता है, लेकिन अभी कुछ सालों से इस पौधे को 3000 मीटर की ऊंचाई वाले इलाकों में भी देखा गया है.
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Tags: Astrology, Dharma Aastha, Religion
FIRST PUBLISHED : January 16, 2023, 01:35 IST
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