
नई दिल्ली. दिल्ली पुलिस ने कांग्रेस नेता शशि थरूर को उनकी पत्नी सुनंदा पुष्कर की मौत के मामले में बरी किए जाने के 15 महीने बाद बृहस्पतिवार को निचली अदालत के इस फैसले को दिल्ली उच्च न्यायालय में चुनौती दी तथा पुनरीक्षण याचिका दायर करने में देरी के लिए माफी मांगी. उच्च न्यायालय ने दिल्ली पुलिस की अर्जी पर थरूर का जवाब मांगा और इस मामले को सात फरवरी, 2023 को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया.
तिरुवनंतपुरम के सांसद थरूर को (निचली अदालत से) अगस्त, 2021 में क्रूरता एवं आत्महत्या के लिए उकसाने जैसे सभी अपराधों से बरी कर दिया गया था. इस फैसले से सात साल से भी अधिक समय पहले उनकी पत्नी एवं कारोबारी सुनंदा पुष्कर यहां एक लक्जरी होटल में मृत पायी गयी थीं. सुनंदा पुष्कर 17 जनवरी 2014 की रात दिल्ली के एक लग्जरी होटल के कमरे में मृत पायी गई थीं. थरूर के आधिकारिक बंगले में मरम्मत का काम होने के कारण दंपति होटल में ठहरा हुआ था.
थरूर के वकील द्वारा उच्च न्यायालय में याचिका दाखिल करने में बहुत देरी किये जाने का उल्लेख करने पर न्यायमूर्ति डी के शर्मा ने कांग्रेस नेता को नोटिस जारी किया और देरी को लेकर पुलिस के माफीनामे पर उनका जवाब मांगा. न्यायमूर्ति शर्मा ने कहा, ‘पहले हम देरी के लिए माफी संबंधी आवेदन पर फैसला करेंगे.’ उच्च न्यायालय ने दिल्ली पुलिस से थरूर के वकील को याचिका की प्रति प्रदान करने के लिए कहा.
पुलिस ने निचली अदालत के 2021 के आदेश को दरकिनार करने तथा थरूर के विरूद्ध भादंसं की धारा 498 (महिला पर पति या अन्य रिश्तेदार द्वारा क्रूरता करना) और 306 (हत्या के लिए उकसाना) के तहत आरोप तय करने का निर्देश देने की मांग करते हुए पुनरीक्षण याचिका दायर की है. उसने अपनी स्थायी वकील रूपाली बंदोपाध्याय के माध्यम से यह याचिका दायर की है. थरूर के वकीलों- विकास पहवा और गौरव गुप्ता ने दावा किया कि याचिका की प्रति उन्हें नहीं दी गई थी और यह “जानबूझकर” एक गलत ईमेल आईडी पर भेजी गई थी.
पहवा ने कहा कि पुलिस ने एक साल से अधिक समय बाद पुनरीक्षण याचिका दायर की है तथा मुख्य अर्जी पर उन्हें नोटिस जारी किये जाने से पूर्व उच्च न्यायालय को देरी पर माफी संबंधी आवेदन पर उनका पक्ष सुनना चाहिए. उन्होंने कहा कि पहले इस बात कई आदेश जारी किये गये हैं कि मामला लंबित रहने के दौरान रिकार्ड संबंधित पक्षों को छोड़कर किसी अन्य को नहीं दिया जाए. उन्होंने कहा, ‘ मीडिया ट्रायल चलता रहता है. इससे निष्पक्ष सुनवाई के अधिकार पर असर पड़ता है.’
जब पुलिस की वकील ने कहा कि उन्हें इस पर (बचाव पक्ष के अनुरोध पर) कोई ऐतराज नहीं है तब उच्च न्यायालय ने निर्देश दिया कि मामले से संबंधित दस्तावेज या उनकी प्रतियां किसी ऐसे व्यक्ति को न दी जाएं जो अदालत में इस मामले में पक्षकार नहीं है. थरूर पर क्रूरता एवं हत्या के लिए उकसाने जैसे भादंसं के प्रावधानों में आरोप लगे लेकिन उन्हें कभी गिरफ्तार नहीं किया गया. कांग्रेस नेता के वकील ने कहा कि मामले में उनके खिलाफ कोई सबूत नहीं हैं. उन्होंने कहा कि पोस्ट मार्टम रिपोर्ट और अन्य मेडिकल दस्तावेजों से साबित हुआ है कि यह मामला न तो आत्महत्या का है और न ही गैर-इरादतन हत्या का है.
ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें News18 हिंदी| आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट News18 हिंदी|
Tags: SHASHI THAROOR, Sunanda Pushkar
FIRST PUBLISHED : December 01, 2022, 22:01 IST
Article Credite: Original Source(, All rights reserve)