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पटना3 घंटे पहलेलेखक: मनीष मिश्रा

सुपौल में कोरोना विस्फोट हुआ है। छातापुर के जीवछपुर गांव स्थित कस्तूरबा विद्यालय की 16 छात्राएं एक साथ कोरोना संक्रमित पाई गई हैं। इन बच्चियों की जांच तब हुई, जब इनमें सर्दी और बुखार के लक्षण पाए गए थे। एक साथ 16 बच्चों में इस तरह की शिकायत के बाद स्कूल प्रबंधन ने इसकी सूचना स्वास्थ्य विभाग को दी। इसके बाद एंटीजेन टेस्ट में सभी बच्चियों को कोरोना पॉजिटिव पाया गया। इधर, पटना एम्स की रिपोर्ट में 19 लोग कोरोना संक्रमित मिले हैं।

वहीं, सुपौल में 22 नए मरीजों के साथ एक्टिव मरीजों की संख्या 50 हो गई है। शनिवार को इन बच्चियों का आरटीपीसीआर टेस्ट भी कराया जाएगा। फिलहाल स्कूल में डॉक्टरों द्वारा उनकी निगरानी की जा रही है। साथ ही विद्यालय को पूरी तरह सैनेटाइज कर दिया गया है।

चकमा दे रहा कोरोना

अगर आप कोरोना को हल्के में ले रहे हैं तो सावधान हो जाएं। वायरस एक बार फिर बिहार में जानलेवा हो रहा है। नए लक्षण से डॉक्टरों को चकमा देने वाला वायरस अब बच्चों पर बड़ा अटैक कर रहा है। एक 4 माह के बच्चे का चमकी बुखार मानकर इलाज किया जा रहा था, लेकिन मौत के 48 घंटे पहले वह कोरोना संक्रमित पाया गया।

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घर में परिवार के किसी सदस्य को खांसी बुखार तक नहीं हुआ लेकिन मासूम की मौत कोरोना से हो गई। पटना AIIMS में 7 दिन एक अंदर शुक्रवार को दूसरी मासूम की मौत हुई है। इसके पहले 4 साल के बच्चे की मौत भी ऐसे चकमा देने वाले लक्षण में कोरोना से हुई है।

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डॉक्टरों को नहीं मिला कोरोना का लक्षण

मुजफ्फरपुर के सरबरीपुर के रहने वाले रिजवान के 4 माह के बेटे अहद को तेज बुखार आया। घर वाले मुजफ्फरपुर में एक निजी अस्पताल में इलाज के लिए ले गए। डॉक्टर ने चमकी बुखार बताया और बच्चे को भर्ती कर लिया। परिजनों का कहना है कि 4 माह के बच्चे को भर्ती कर डॉक्टर ने एक सप्ताह से अधिक समय तक इलाज किया लेकिन कोई सुधार नहीं हुआ।

बच्चे का बुखार कम नहीं हो रहा था। हर दिन बुखार 105 डिग्री तक पहुंच जा रहा था। बच्चे का बुखार जब नहीं उतरा तो मुजफ्फरपुर के निजी अस्पताल ने पटना AIIMS के लिए रेफर कर दिया।

पटना AIIMS में नहीं पकड़ में आया कोरोना

बच्चे के रिश्तेदार गुलाम गौस ने बताया कि बच्चे को आनन फानन में पटना AIIMS में भर्ती कराया गया लेकिन वहां भी डॉक्टर कोरोना नहीं पकड़ पाए। परिवार वालों का कहना है कि पटना AIIMS में भी बुखार का इलाज किया जा रहा था। शुक्रवार को मासूम की मौत हुई लेकिन मौत का कारण चमकी बुखार नहीं कोरोना था। पटना AIIMS के डॉक्टरों ने मौत से 48 घंटे पहले कोरोना का संक्रमण बताया था।

इलाज में मुजफ्फरपुर के निजी अस्पताल में काफी पैसा खर्च करने के बाद भी डॉक्टर कोरोना नहीं डिटेक्ट कर पाए। घर वालों का कहना है कि डॉक्टर चमकी बुखार मानकर इलाज कर रहे थे, लेकिन मौत के पहले जब हालत काफी बिगड़ गई तो कोरोना का पता चल पाया। पटना AIIMS में भी डॉक्टर उसे नहीं बचा पाए क्योंकि हालत काफी बिगड़ गई थी।

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बड़ा सवाल मासूम को कहां से आया कोरोना

परिवार वालों का कहना है कि घर में किसी की भी तबियत खराब नहीं थी, ऐसे में कोरोना कहां से आया कोई पता नहीं चल रहा है। मासूम में कोरोना की पुष्टि होने के बाद मां बाप के साथ परिवार के अन्य सदस्यों की भी कोरोना की जांच कराई गई लेकिन कोई भी सदस्य पॉजिटिव नहीं पाया गया। ऐसे में बड़ा सवाल है कि आखिर 4 माह का मासूम संक्रमित कहां से हुआ। आशंका इलाज के दौरान अस्पताल में संक्रमित होने को लेकर है, लेकिन इसकी पुष्टि नहीं हो पा रही है।

पटना AIIMS के कोरोना के नोडल डॉ. संजीव कुमार का कहना है कि कोरोना गंभीर हो रहा है। एक सप्ताह में मासूम की यह दूसरी मौत है, ऐसे में लोगों को पूरी तरह से अलर्ट और सावधान रहना होगा। जानकारी के मुताबिक 7 दिन पहले पटना AIIMS में मुजफ्फरपुर के ही एक 4 साल के मासूम की कोरोना से मौत हो गई थी, वह भी ऐसे ही चकमा देने वाले बुखार से पीडंत था।

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