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नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को एक फैसले में कहा कि सड़क दुर्घटना के मामलों में पीड़ित परिवार द्वारा दावा की गई राशि से अधिक मुआवजा देने के लिए ट्रिब्यूनल/अदालत पर कोई प्रतिबंध नहीं है और एक दुर्घटना में जान गंवाने वाले 12 साल के लड़के के परिवार को 5 लाख रुपये का मुआवजा देने का निर्णय सुनाया. हालांकि, मृतक के परिजनों ने सिर्फ 2 लाख रुपये के मुआवजे का दावा किया था. मुआवजे की राशि को बढ़ाते हुए, जस्टिस संजीव खन्ना और के. माहेश्वरी की पीठ ने कहा कि दावा की गई राशि के बावजूद, मुआवजा कानून के अनुसार उचित होना चाहिए.

पीठ ने शीर्ष अदालत के पहले के फैसले का जिक्र करते हुए कहा, ‘इस बात पर कोई प्रतिबंध नहीं है कि ट्रिब्यूनल/अदालत दावा की गई राशि से अधिक मुआवजे का आदेश नहीं दे सकते हैं. ट्रिब्यूनल/अदालत को न्यायसंगत मुआवजा देना चाहिए, जो रिकॉर्ड में पेश किए गए सबूतों के आधार पर तथ्यात्मक और उचित लगे. इसलिए, यदि कोई ऐसा मामला हो जिसमें, दावा याचिका में किया गया मूल्यांकन कम हो, दावा की गई राशि से अधिक मुआवजा देने में बाधा नहीं होगी.’

उपरोक्त मामले में दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण (Motor Accidents Claims Tribunal) ने परिवार को एकमुश्त 1.5 लाख रुपये का मुआवजा दिया था, जिसे झारखंड उच्च न्यायालय ने दावा याचिका के मूल्य तक बढ़ाकर 2 लाख रुपये कर दिया था. यह देखते हुए कि मृतक एक मेधावी छात्र था और एक निजी स्कूल में पढ़ रहा था, शीर्ष अदालत ने कहा कि परिवार के लिए आय के नुकसान का फैसला करने के लिए उसकी अनुमानित कमाई 30,000 रुपये प्रति माह मानी जानी चाहिए. पीठ ने कहा, ‘हमारे विचार में, मुआवजे की उक्त राशि उचित नहीं है. इसलिए, हम कुल मुआवजे को 5 लाख रुपये निर्धारित करते हैं.’

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Tags: Compensation, Supreme Court

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