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हाइलाइट्स

सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के फैसले को बदलते हुए महिला की शादी को बहाल कर दिया.
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने महिला की शादी को भंग कर दिया था.
सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए मौखिक रूप से टिप्पणी की.

नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को एक अनूठा फैसला सुनाया, जिसमें विवाहित महिलाओं के अधिकारों को और बढ़ावा मिला है. सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाने के दौरान टिप्पणी करते हुए कहा कि हिंदू धर्म में विवाहित महिला के सुहाग और सिंदूर की अहमियत होती है और समाज उनको उसी नजरिये से देखता है. ऐसे में पति से अलग भी रह रहीं महिलाएं इसी सिंदूर के सहारे अपनी पूरी जिंदगी काट सकती हैं. जस्टिस यूयू ललित और जस्टिस एस रवींद्र भट की पीठ ने एक बड़ा कदम उठाते हुए पति के पक्ष में दिए गे तलाक की डिक्री को रद्द कर दिया.

एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक सुनवाई के दौरान पत्नी की तरफ से पेश अधिवक्ता पुरुषोत्तम शर्मा त्रिपाठी ने अदालत को बताया था कि मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने विशेष रूप से नोट किया था कि पति के साथ कोई क्रूरता नहीं हुई थी और उसने अपने ससुराल को अपने दम पर नहीं छोड़ा था. इसलिए हाईकोर्ट का शादी भंग करने का फैसला सही नहीं हैं.  अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि महिला अपनी शादी बहाल रखना चाहती हैं. वहीं कोर्ट में पति की तरफ से पेश वकील शिशर सक्सेना ने पत्नी के पक्ष के वकील की मांग का खंडन किया. इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 18 साल से अलग रह रहे दंपत्ति के लिए अब साथ रहना असंभव हो सकता है, लेकिन जिस तरह से समाज महिलाओं के साथ व्यवहार करता है, उसके देखते हुए विवाह और विवाह की स्थिति की अवधारणा काफी जरूरी है.

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मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के शादी भंग करने के फैसले को रद्द करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने महिला की शादी फिर से बहाल कर दी. जस्टिस यूयू ललित ने मौखिक रूप से टिप्पणी करते हुए कहा कि भारत में यहां की सामाजिक स्थिति को देखते हुए वैवाहिक स्थित महिलाओं के लिए महत्वपूर्ण है. खास बात यह है कि पति की तरफ से कहा गया था कि अब साधु बन गया है और उसने सबकुछ त्याग दिया है. पीठ पत्नी द्वारा दायर एक याचिका पर विचार कर रही थी, जिसमें मध्य प्रदेश हाईकोर्ट द्वारा दी गई तलाक की डिक्री को चुनौती दी गई थी.

Tags: Madhya Pradesh High Court, Supreme Court

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