e0a4b8e0a581e0a4aae0a58de0a4b0e0a580e0a4ae e0a495e0a58be0a4b0e0a58de0a49f e0a4a8e0a587 e0a4ade0a582e0a4b2 e0a49ce0a4bee0a4a8e0a587
e0a4b8e0a581e0a4aae0a58de0a4b0e0a580e0a4ae e0a495e0a58be0a4b0e0a58de0a49f e0a4a8e0a587 e0a4ade0a582e0a4b2 e0a49ce0a4bee0a4a8e0a587 1

नई दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट ने ’भूलने के अधिकार’ को निजता के अधिकार के एक पहलू के रूप में स्वीकार किया है. शीर्ष अदालत ने यौन अपराध के एक मामले में सुनवाई के दौरान दोनों पक्षों के व्यक्तिगत विवरण को छिपाने का आदेश दिया. दरअसल, यौन अपराध की शिकार महिला ने सुप्रीम कोर्ट से विवरण छिपाने की मांग की थी. उसने कहा था कि मुकदमे से जुड़ा विवरण सार्वजनिक होने पर उसे शर्मिंदगी और सामाजिक कलंक का सामना करना पड़ेगा.

‘लाइव लाॅ’ की रिपोर्ट के मुताबिक, इस मामले में सुनवाई कर रही न्यायमूर्ति संजय किशन कौल की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा, ‘इस प्रकार हम सुप्रीम कोर्ट की रजिस्ट्री से इस मुद्दे की जांच करने और यह पता लगाने के लिए कहते हैं कि कैसे याचिकाकर्ता और प्रतिवादी नंबर-1 दोनों का नाम और पता छिपाया जा सकता है, ताकि वे किसी भी सर्च इंजन (इंटरनेट) में न दिखें.’ सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने पीड़ित महिला की याचिका का निपटान करते हुए, 18 जुलाई के अपने आदेश में कहा कि रजिस्ट्री द्वारा आज से 3 सप्ताह के भीतर यह जरूरी काम किया जाना चाहिए.

पीड़िता की याचिका को प्रतिवादी नंबर-1 के वकील ने भी समर्थन दिया
सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने अपने आदेश में उल्लेख किया, ‘यदि प्रतिवादी संख्या 1 का नाम प्रकट होता है, तो भी यह वही परिणाम देता है. याचिकाकर्ता निजता का अधिकार होने के नाते ‘भूलने का अधिकार’ की दलील देता है. याचिकाकर्ता के साथ.साथ प्रतिवादी का नाम, पता, पहचान से संबंधित विवरण और केस नंबर के साथ हटा दिया जाना चाहिए मास्क किया जाना चाहिए. ताकि ये विवरण सर्च इंजन पर दिखाई नहीं दें.’ पीड़ित महिला की याचिका को प्रतिवादी नंबर 1 के वकील ने भी समर्थन दिया.

READ More...  ओडिशा में पिकअप वैन पलटी, 10 लोगों की मौत, 15 घायल

‘निजता के अधिकार’ को सुप्रीम कोर्ट ने मान चुका है मौलिक अधिकार
सुप्रीम कोर्ट ने 24 अगस्त, 2017 को एक ऐतिहासिक फैसले में ‘निजता के अधिकार’ को संविधान के तहत मौलिक अधिकार घोषित किया था. सर्वसम्मत फैसले में, तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश जेएस खेहर की अध्यक्षता वाली 9 जजों की संविधान पीठ ने फैसला सुनाया था कि निजता का अधिकार संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत मिलने वाले ‘जीवन और स्वतंत्रता के अधिकार’ का एक हिस्सा है.

Tags: Constitution, Law, Supreme Court

Article Credite: Original Source(, All rights reserve)