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हाइलाइट्स

सूरत में जुटे देशभर से दिग्‍गज, सूरत लिटफेस्‍ट में साझा किए विचार
नाट्य शास्त्र, फिल्म इतिहास से लेकर न्‍यायिक सुधारों पर हुई चर्चा
भारत@ 2047 बना सूरत में अपनी तरह का पहला साहित्‍य उत्‍सव

सूरत. दुनिया भर में डायमंड सिटी के नाम से मशहूर सूरत में बीते दिनों सूरत लिटफेस्‍ट (Surat Litfest) का आयोजन हुआ. इसमें देश भर से तमाम दिग्‍गज शामिल हुए और कई अहम बिंदुओं पर चर्चा हुई. यह सूरत में अपनी तरह का पहला साहित्‍य उत्‍सव था जो 20-22 जनवरी को वीर नर्मद दक्षिण गुजरात विश्वविद्यालय, सूरत में संपन्‍न हुआ. इसमें 32 लेखकों, मीडिया विशेषज्ञों, अर्थशास्त्रियों, महिला अधिकार कार्यकर्ताओं, धर्म, सिनेमा और टेक्नोक्रेट्स ने भारत@2047 में अपने विषयों में भारत की स्थिति पर चर्चा की. इस कार्यक्रम में स्वामी परमात्मानंदजी व माधव प्रिया दासजी ने आशीर्वाद दिया. उन्होंने खुद से जुड़ने पर चर्चा की और वीएनएसजीयू के कुलपति किशोरभाई चावड़ा के एआई प्रौद्योगिकी और गुरुकुल प्रणाली को एकीकृत करने के प्रयासों की प्रशंसा की.

पहले सत्र की थीम विदेश नीति थी, जिसमें विषय विशेषज्ञ आलोक बंसल, अभिजीत अय्यर मित्रा और डॉ. विजय चौथाईवाले शामिल थे. संचालन प्रियंका देव जैन ने किया. दूसरा सत्र शिक्षा था, जिसमें डॉ. निरंजन कुमार और प्रफुल्ल केतकर ने शैक्षिक दृष्टिकोण को बढ़ावा देने के लिए एनईपी के निर्माण, उपनिवेशवाद की समाप्ति, शिक्षाशास्त्र और बाद के संशोधनों की समीक्षा की. पूर्व CJI रंजन गोगोई, तीसरे न्यायिक सुधार सत्र के लिए वर्चुअली शामिल हुए. उन्होंने कहा, ‘लोगों को अपने अधिकारों की पहचान करनी चाहिए और उनके लिए लड़ना चाहिए.’ वहीं, पीआईएल मैन ऑफ इंडिया, एडवोकेट अश्विनी उपाध्याय और एडवोकेट एमआर वेंकटेश ने न्याय प्रणाली में सुधार और कानून के शासन पर अपने गहन विचार साझा किए.

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अभिनेता-निर्देशक चंद्रप्रकाश द्विवेदी ने ‘बायकॉट’ पर की चर्चा
चौथे सत्र में, ‘चाणक्य’ फेम अभिनेता-निर्देशक चंद्रप्रकाश द्विवेदी और मीडिया दिग्गज अनंत विजय ने बहिष्कार की प्रवृत्ति सहित नाट्य शास्त्र, फिल्म इतिहास और अन्‍य विषयों पर चर्चा की. पांचवें सत्र में जाने-माने पत्रकार उदय माहुलकर, प्रो. राकेश गोस्वामी और एल.पी. पंत ने प्रिंट मीडिया के भविष्य और भूमिका पर विचार प्रकट किए. छठे सत्र में श्रीमती रेखा शर्मा, एस्थर जॉनसन और सिनू जोसेफ ने लैंगिक समानता, नारीवाद, आधुनिक संस्कृति और महिलाओं की जैविक वास्तविकताओं पर चर्चा की. विजुअल मीडिया पर सातवें सत्र में, राष्ट्रीय एंकर सुश्री पद्मजा जोशी, अमन चोपड़ा, और श्रीमती शेफाली वैद्य, कुशाल मेहरा ने निष्पक्ष और तथ्यात्मक कथा निर्माण, दृश्य मीडिया कठिनाइयों और प्रेस की जिम्मेदारी पर चर्चा की. प्रौद्योगिकी आठवां सत्र था. आनंद रंगनाथन, उपेंद्र गिरी और अरविंद गुप्ता ने चर्चा का नेतृत्व किया और लेखक अनुराग सक्सेना ने मध्यस्थता की. बातचीत सामाजिक, टिकाऊ और जैव प्रौद्योगिकी पर केंद्रित थी.

सुशासन से लेकर धर्मांतरण तक कई मुद्दों पर हुआ संवाद
सुरेश पटेल (पूर्व सीवीसी), कमल ताओरी आईएएस (आर), और बंचनिधि पाणि आईएएस ने सुशासन पर नौवें सत्र में शहरीकरण, स्थिरता और नगर नियोजन पर चर्चा की. दसवें सत्र में भारतीय अर्थव्यवस्था हावी रही. गौतम चिकरमाने, अनुराग सक्सेना, और लेखक हर्ष गुप्ता ने भू-राजनीति, डिजिटलीकरण और भारतीय आर्थिक विकास को गति देने वाली ताकतों पर चर्चा की. चिलकुर बालाजी रंगनाथन और सुश्री एस्थर जॉनसन के साथ सिनु जोसेफ ने 11वें और अंतिम धर्म-केंद्रित सत्र का संचालन किया. पैनल ने छद्म धर्मनिरपेक्षता- राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा, सबरीमाला मामले, जबरन धर्मांतरण जैसे कई मुद्दों पर चर्चा की.

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