
नई दिल्ली. सार्वजनिक क्षेत्र के सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया (Central Bank of India) के लिए राहत की खबर है. दरअसल, भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के प्राम्प्ट करेक्टिव एक्शन फ्रेमवर्क यानी पीसीएएफ (Prompt Corrective Action Framework) के तहत आए सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया को वित्तीय स्थिति में सुधार के बाद पाबंदियों से जल्द मुक्ति मिल सकती है.
सूत्रों ने बताया कि बैंक ने आरबीआई को प्रस्तुतिकरण दिया है जिसमें बताया गया है कि बीती 5 तिमाहियों में उसके वित्तीय मानदंडों में निरंतर सुधार आया है. उन्होंने कहा कि आरबीआई बैंक के अनुरोध पर गौर कर रहा है और जल्द ही इस बारे में राय बना सकता है.
पहली तिमाही में सेंट्रल बैंक के नेट प्रॉफिट में 14.2 फीसदी की बढ़ोतरी
चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में सेंट्रल बैंक का नेट प्रॉफिट 14.2 फीसदी बढ़कर 234.78 करोड़ रुपये रहा है जो एक साल पहले जून तिमाही में 205.58 करोड़ रुपये था. रिपोर्टिंग तिमाही में कंपनी की ग्रॉस नॉन परफॉर्मिंग एसेट (NPA) गिरकर ग्रॉस एडवांस का 14.9 फीसदी रह गईं जो पिछले वर्ष समान तिमाही में 15.92 फीसदी थीं. नेट एनपीए भी पिछले वर्ष जून तिमाही के 5.09 फीसदी से घटकर इस जून तिमाही में 3.93 फीसदी रह गया.
सेंट्रल बैंक को जून 2017 में पीसीए फ्रेमवर्क के तहत रखा गया
सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया को नेट एनपीए बहुत अधिक होने और एसेट्स पर कम रिर्टन मिलने की वजह से जून 2017 में पीसीए फ्रेमवर्क के तहत रखा गया था. किसी भी बैंक को पीसीए के तहत चुनिंदा नियामक आवश्यकताओं का उल्लंघन होने पर लाया जाता है. इंडियन ओवरसीज बैंक और यूको बैंक को पीसीए फ्रेमवर्क से सितंबर 2021 में हटाया गया था.
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बता दें कि अगर कोई बैंक आरबीआई के पीसीए फ्रेमवर्क के अंतर्गत रहता है तो उस पर लोन बांटने और कारोबार करने संबंधी कई तरह के बंदिशें लगे होते हैं.
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Tags: Central bank of india, RBI
FIRST PUBLISHED : August 21, 2022, 20:17 IST
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