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नई दिल्लीः प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने नेशनल हेराल्ड से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में कांग्रेस नेता सोनिया गांधी और राहुल गांधी को समन भेजे हैं. इस पर कांग्रेस पार्टी ने तीखी प्रतिक्रिया दी है. कांग्रेस प्रवक्ता सुरजेवाला ने सरकार पर बदले की कार्रवाई का आरोप लगाया तो पार्टी के नेता और सीनियर एडवोकेट अभिषेक मनु सिंघवी ने केस के कानूनी पहलू बताए. उन्होंने कहा कि जब इस मामले में प्रॉपर्टी और पैसे का कोई लेन-देन ही नहीं हुआ तो मनी लॉन्ड्रिंग का केस कैसे बनता है. उन्होंने आरोप लगाया कि इस केस में कोई दम नहीं है. ये महंगाई और लोगों में बढ़ रहे सामाजिक भेदभाव से ध्यान हटाने की कोशिश है.

वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने दावा किया कि ईडी ने जिसे मनी लॉन्ड्रिंग का मामला बताकर भेजा है, उसमें कहीं से भी मनी इन्वॉल्व नहीं है. ये सिर्फ इनकी कोरी कल्पना है. उन्होंने कहा कि ईडी ने 2015 में इस मामले में जांच बंद कर दी थी. तब से लेकर अब तक उन्हें ये मामला इस लायक नहीं लगा था कि सोनिया गांधी और राहुल गांधी को समन भी भेजे जाएं. अब बिल्कुल उन्हीं तथ्यों के आधार पर समन जारी किए गए हैं. तथ्यों में कॉमा, फुलस्टॉप तक भी नहीं बदला है.

सिंघवी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि एजेएल बहुत पुरानी कंपनी है, जो दशकों से आदर्शों और मूल्यों के आधार पर नेशनल हेराल्ड चला रही है. चूंकि ये आदर्शो और मूल्यों को बढ़ावा देने का काम करती रही. इसलिए अखबार कमर्शल रूप से कामयाब नहीं हुआ. उस पर कई दशकों के दौरान करीब 90 करोड़ रुपये का कर्ज हो गया. तब उस कंपनी को मजबूत करने के लिए, उसके कर्जों को हटाने के लिए, उसके खातों को साफ करने के सरल सी चीज की गई, जो देश-विदेश में हर कंपनी करती है.
उसने इस ऋण को इक्विटी में बदलने का फैसला किया. इससे जो रुपया आया, उसमें से 67 करोड़ का भुगतान कर्मचारियों की सैलरी आदि के लिए कर दिया गया.

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उन्होंने कहा कि जिस नई कंपनी यंग इंडिया के नाम ये ऋण इक्विटी में बदलकर दिए गए, उसका गठन कंपनी एक्ट के विशेष प्रावधान 25 के तहत किया गया था. इसकी दो प्रमुख शर्तें होती हैं. ये कंपनी न तो कोई डिविडेंड दे सकती है और न ही कमर्शल प्रॉफिट का इस्तेमाल कर सकती है. अगर वो 10 हजार करोड़ भी कमा तो एक पैसा भी ऋण के रूप में बाहर नहीं निकल सकता. इस कंपनी में 90 करोड़ का कर्ज ट्रांसफर हुआ. ये नॉट फॉर प्रॉफिट कंपनी थी. इसका कोई भी डिविडेंड उसके शेयरहोल्डर और डायरेक्टरों को नहीं मिलना था.

सिंघवी ने दलील दी कि यंग इंडिया ने कर्जे और शेयर जरूर अपने नाम ले लिए थे. लेकिन एजेएल पहले की ही तरह काम करती रही, नेशनल हेराल्ड भी उसी के तहत चलता रहा. प्रिंटर और पब्लिशर तक नहीं बदला. चल अचल संपत्ति भी उसी के पास रही. उन्होंने कहा कि ये कानून की पहली क्लास का बच्चा भी बता बता सकता है कि जब प्रॉपर्टी या पैसे का कभी ट्रांसफर ही नहीं हुआ, जब सब चीज वैसी ही हैं तो मनी लॉन्ड्रिंग का सवाल ही कहां उठता है. इन्हीं सब दलीलों के आधार पर 2015 में ईडी ने ये केस बंद कर दिया था. सिंघवी ने आरोप लगाया कि सत्तारूढ़ सरकार को ये अच्छा नहीं लगा, उसने ईडी में लोगों को बदलवाकर फिर से केस खुलवाया. अब सात साल बाद समन भेज दिए गए हैं. इसलिए अगर थोड़ी सी भी समझ है तो इस केस को बंद कर दीजिए.

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Tags: Abhishek Manu Singhvi, Enforcement directorate, Rahul gandhi, Sonia Gandhi

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