
हाइलाइट्स
हस्त रेखा शास्त्र में व्यक्ति की हथेली की त्वचा का विशेष महत्व है.
त्वचा का प्रकार व्यक्ति के चरित्र व भाग्य को बताने वाला माना जाता है.
हस्त रेखा शास्त्र में व्यक्ति की हथेली की त्वचा का विशेष महत्व है. त्वचा का प्रकार व्यक्ति के चरित्र व भाग्य को बताने वाला माना जाता है. मौटे तौर पर त्वचा को चार भागों में बांटा जा सकता है.
हस्तरेखा शास्त्र यानी समुद्र शास्त्र में हाथ की हथेली से व्यक्ति के चरित्र व भाग्य को पढ़ा जाता है. इस हथेली में रेखाओं व चिन्हों के अलावा त्वचा का भी अहम रोल माना जाता है, जिसके आधार पर व्यक्ति के सामान्य चरित्र को समझने का दावा किया जाता है. मान्यता है कि हथेली की त्वचा व्यक्ति की संवेदनशीलता, व्यवहार व पसंद-नापसंद को व्यक्त करती है. आइए जानते हैं कि किस तरह से हथेली की त्वचा व्यक्ति का चरित्र बताती है.
हथेली की त्वचा से व्यक्ति का भाग्य
पंडित रामचंद्र जोशी के अनुसार, हस्त रेखा शास्त्र में हथेली की त्वचा को मोटे तौर पर चार भागों में बांटा गया है, जिसके आधार पर ही व्यक्ति के चरित्र का निर्धारण होता है. ये प्रकार इस तरह हैं:
1. खुरदुरी त्वचा: यदि किसी व्यक्ति का हाथ ठंडा, कठोर, भारी और खुरदुरा है तो वह आदिम संवेगो का प्रतीक है. हथेलियों की तरह उस व्यक्ति के व्यवहार और कार्य में भी एक खुरदुरापन होगा. वह खरी भाषा बोलने वाला और कम सलीके वाला होगा. उसकी संगीत, साहित्य व कला में रुचि नहीं होगी. ऐसी त्वचा वालों को पेट भरने के लिए कठिन कार्य करने पड़ते हैं.
2.नरम व लचीली त्वचा: यदि किसी व्यक्ति के हथेली की त्वचा लचीली व नर्म है तो ऐसे लोग आत्मकेंद्रित व कमजोर इरादे वाले होते हैं. यह जीवन के कठोर यथार्थ से घबराए हुए होते हैं. शारीरिक मेहनत के लायक नहीं होने के साथ अव्यवहारिक व ऐश्वर्य पसंद होते हैं.
3. मध्यम त्वचा: ऐसी त्वचा जो ना तो बहुत कठोर और ना बहुत नर्म हो, वह मध्यम त्वचा होती है. यह संतुलित संवेदनशीलता का प्रतीक है.ऐसे व्यक्तियों में व्यावहारिकता और कल्पनाशीलता का तालमेल होता है, जो जीवन के हर क्षेत्र में उनकी सहायता करता है.
4.आदर्श त्वचा: जिस हथेली की त्वचा में कठोरता, मांसलता और अत्यधिक कोमलता नहीं होकर एक लचक होती है, वह आदर्श त्वचा होती है. इस तरह के व्यक्ति जीवन के हर क्षेत्र में सक्रीय होते हैं. वे स्वभाव से स्वच्छ और विवेक से निर्णय लेने वाले होते हैं.
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Tags: Astrology, Dharma Aastha, Dharma Culture, Religion
FIRST PUBLISHED : December 21, 2022, 03:45 IST
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