हरियाणा की राजनीति में पहली बार चौटाला परिवार सियासी महाभारत के दौर से गुज़र रहा है. चौटाला परिवार की चौथी पीढ़ी अब परदादा की पार्टी इंडियन नेशनल लोकदल के वर्चस्व की लड़ाई में इतिहास को पीछे छोड़ चुकी है. पिता के सियासी अपमान का प्रतिशोध लेने के लिए दुष्यंत चौटाला जननायक जनता पार्टी के साथ चुनावी कुरक्षेत्र में उतर चुके हैं. इनेलो और परिवार से बगावत कर नई पार्टी बनाने वाले दुष्यंत हरियाणा की राजनीति में उथल-पुथल मचा सकते हैं. दुष्यंत की नई पार्टी का विकल्प मिलने से इनेलो के कई दिग्गज पार्टी छोड़कर जा चुके हैं तो कुछ बीजेपी में शामिल हो चुके हैं. इस वजह से इनेलो को सबसे खराब दौर से गुज़रना पड़ा रहा है.
जींद से दूसरी बार बीजेपी की प्रेमलता से मुकाबला
साल 2019 के विधानसभा चुनाव में दुष्यंत चौटाला जींद जिले के उचाना कलां से चुनावी रण में हैं जहां उनका मुख्य मुकाबला बीजेपी उम्मीदवार प्रेमलता से है. दुष्यंत सिंह का लगातार दूसरा मुकाबला प्रेमलता से होगा. इससे पहले साल 2014 के विधानसभा चुनाव में दुष्यंत उचाना कलां से प्रेमलता के मुकाबले हार चुके हैं. हालांकि ये कहा जाता है कि हिसार से सांसद रहते हुए दुष्यंत ने विधानसभा चुनाव लड़ने का गलत फैसला किया था. क्योंकि उचाना कलां की जनता की ही वजह से वो कम उम्र में हिसार से सांसद बन पाने में कामयाब हुए थे.
2019 के लोकसभा में मिल चुकी है हार
वहीं इस साल हुए लोकसभा चुनाव में भी दुष्यंत चौटाला को हिसार से अपनी नई पार्टी जजपा के टिकट से हार का मुंह देखना पड़ा था. ऐसे में दुष्यंत के राजनीतिक भविष्य के लिए उचाना कलां की सीट से जीत बेहद जरूरी है. अगर वो इस सीट पर जीतते हैं तो ये न सिर्फ उनके परिवार की प्रतिष्ठा का मान बढ़ाएगी बल्कि उनकी नई पार्टी के राजनीतिक रसूख का भी पुरज़ोर ऐलान होगा.
दादा ने जेल से किया बेटे और पोते को पार्टी से बाहर
जननायक जनता पार्टी इनेलो से टूटकर बनी है. चौधरी देवीलाल की चौथी पीढ़ी के बिखराव के साथ ही उनकी बनाई पार्टी भी टूट गई. साल 2018 के आखिरी महीने दिसंबर में दुष्यंत ने जजपा का गठन किया. दुष्यंत ने परदादा चौ. देवी लाल को मिली उपाधि जननायक का इस्तेमाल करते हुए जननायक जनता पार्टी का गठन किया.
ये सब हुआ जेल में बंद इनेलो प्रमुख ओमप्रकाश चौटाला के एक फैसले के साथ. चौटाला परिवार में छिड़ी सियासी जंग की वजह से ओमप्रकाश चौटाला ने अजय सिंह चौटाला को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया. इससे पहले दोनों पोते दुष्यंत और दिग्विजय सिंह पर अनुशासनात्मक कार्रवाई करते हुए पार्टी से बाहर कर दिया था. इसी घटनाक्रम के साथ ही भतीजे दुष्यंत और चाचा अभय सिंह चौटाला के बीच राजनीतिक तलवारें खिंच गई. अब दुष्यंत चौटाला की नई पार्टी इंडियन नेशनल लोकदल पर भारी पड़ती दिख रही है. पिछले 5 साल में 19 विधायकों से घटकर 3 पर आ गई है INLD. अभय सिंह चौटाला अपने पिता के साथ हैं और पार्टी की कमान उनके पास है.
हरियाणा में चौटाला की वजह से जाटों के सबसे ज्यादा वोट इंडियन नेशनल लोकदल को ही मिलते आए है. जो वोट बच जाते थे वो बीजपी-कांग्रेस को मिला करते थे. लेकिन इस बार इंडियन नेशनल लोकदल के विधायकों के बीजेपी में शामिल होने से जहां सीधा नुकसान इनेलो का है तो वहीं सीधा फायदा दुष्यंत चौटाला का है. अगर इसी तरह इनेलो कमजोर होती रही तो अपने जाट समीकरण के चलते हरियाणा में दुष्यंत की जननायक जनता पार्टी बीजेपी के बाद दूसरे नंबर की पार्टी हो सकती है.
दरअसल, जींद में विधानसभा के हुए उपचुनाव में जजपा के दिग्विजय सिंह चौटाला दूसरे नंबर पर रहे थे जबकि कैथल से कांग्रेस विधायक रणदीप सुरजेवाला तीसरे नंबर पर रहे. ऐसे में दुष्यंत जजपा को जनता से मिल रहे समर्थन से भरपूर आत्मविश्वास से भरे हुए हैं. वैसे भी राजनीति में संभावनाएं और संवेदनाएं कब किसे राजा बना दे ये कोई नहीं जानता. आंध्रप्रदेश में कांग्रेस के पूर्व मुख्यमंत्री वाईएस राजशेखर रेड्डी के बेटे जगनमोहन रेड्डी ने अपनी नई पार्टी बनाई और आज वो सत्ता में हैं.
दुष्यंत की जींद की रैली में टूटे थे पिछले रिकॉर्ड
इतना ही नहीं जब 9 दिसंबर 2018 को इंडियन नेशनल लोकदल से निकाले जाने के बाद दुष्यंत ने जींद में अपनी नई पार्टी का ऐलान करते हुए रैली की तो उसमें 6 लाख से ज्यादा लोग शामिल हुए जो कि साल 1986 में स्वर्गीय चौधरी देवी लाल की रैली के बाद पहली बार सबसे ज्यादा उमड़ा जनसैलाब था. जींद के उप-चुनाव में जननायक जनता पार्टी की पहली परीक्षा थी जिसमें उसे 37631 वोट मिले.
अजय सिंह चौटाला के बड़े बेटे दुष्यंत चौटाला का जन्म 3 अप्रैल 1988 को हिसार जिले के दारोली में हुआ. हिसार और हिमाचल प्रदेश से आरंभिक शिक्षा के बाद दुष्यंत ने कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी से बिज़नेस एडमिनिस्ट्रेशन में ग्रेजुएट किया और नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी से मास्टर ऑफ लॉ किया. दुष्यंत की शादी मेघा चौटाला से 18 अप्रैल 2017 को हुई.
दुष्यंत देश के सबसे युवा सांसद होने का नाम लिम्का बुक ऑफ रिकार्ड में दर्ज करा चुके हैं. दुष्यंत चौटाला मात्र 26 साल की उम्र में साल 2014 के लोकसभा चुनाव में हिसार से सांसद चुने गए थे.
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Tags: Haryana Assembly Election 2019, Haryana Assembly Profile
FIRST PUBLISHED : October 20, 2019, 14:38 IST
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