
नई दिल्ली. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को कहा कि हिंदी में मेडिकल की पढ़ाई की शुरुआत से देश में बड़ा सकारात्मक बदलाव आएगा. उन्होंने कहा कि लाखों छात्र अपनी भाषा में अध्ययन कर सकेंगे और उनके लिए कई नए अवसरों के द्वार भी खुलेंगे.
प्रधानमंत्री ने भोपाल में गृह मंत्री अमित शाह द्वारा इस तरह के एक पाठ्यक्रम की शुरुआत पर यह टिप्पणी की. शाह ने रविवार को हिंदी भाषा में चिकित्सा शिक्षा प्रदान करने के लिए मध्य प्रदेश सरकार की एक महत्वाकांक्षी परियोजना के तहत एमबीबीएस छात्रों के लिए हिंदी में तीन विषयों की पाठ्यपुस्तकों का विमोचन किया.
हिंदी में MBBS कराने वाला MP पहला राज्य
गृहमंत्री अमित शाह ने इसे इतिहास का एक महत्वपूर्ण दिन बताते हुए कहा कि मध्य प्रदेश देश का पहला ऐसा राज्य बन गया है, जिसने हिंदी में एमबीबीएस (बैचलर ऑफ मेडिसिन एंड बैचलर ऑफ सर्जरी) पाठ्यक्रम शुरू किया है.
बता दें कि देश में यह पहला मौका है जब एमबीबीएस की किताबें हिंदी में प्रकाशित हुई हैं और इसी के साथ मध्य प्रदेश रविवार से हिंदी में एमबीबीएस पाठ्यक्रम शुरू करने वाला देश का पहला राज्य बन गया है. अमित शाह ने रविवार को जिन तीन किताबों का भोपाल में विमोचन किया, उनके नाम एनाटॉमी, फिजियोलॉजी एवं बायो केमिस्ट्री हैं. 97 डॉक्टरों के दल ने प्रचलित अंग्रेजी पुस्तकों का हिंदी रूपांतरण किया है.
केन्द्रीय गृह मंत्री के साथ मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और प्रदेश के चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग ने पुस्तकों का विमोचन किया. इस मौके पर शाह ने कहा, ‘स्वभाषा के विकास एवं उपयोग से भारत अनुसंधान के क्षेत्र में विश्व में बहुत आगे जाएगा.’ उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी वैश्विक मंचों पर हिन्दी में बोलते हैं और शिक्षा नीति में प्राथमिक, तकनीकी तथा चिकित्सा शिक्षा में हिन्दी और अन्य भारतीय भाषाओं को प्राथमिकता दी जा रही है.
अमित शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने नयी शिक्षा नीति में प्राथमिक, तकनीकी और मेडिकल शिक्षा में बच्चे की मातृभाषा को महत्व देकर एक बहुत बड़ा ऐतिहासिक निर्णय लिया है. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने हिंदी, तमिल, तेलुगू, मलयालम, गुजराती, बंगाली आदि सभी क्षेत्रीय भाषाओं में मेडिकल और इंजीनियरिंग की शिक्षा उपलब्ध कराने का आह्वान किया था और मध्य प्रदेश की शिवराज सिंह चौहान सरकार ने सबसे पहले प्रधानमंत्री की यह इच्छा पूरी की है.
इंजीनियरिंग की पढ़ाई भी हिंदी में होगी
अमित शाह ने कहा, ‘आज मेडिकल की पढ़ाई हिंदी में शुरू हो रही है और जल्द ही इंजीनियरिंग की पढ़ाई भी हिंदी में शुरू होगी. देशभर में आठ भाषाओं में इंजीनियरिंग की पुस्तकों का अनुवाद शुरू हो चुका है और कुछ ही समय में देश के सभी विद्यार्थी अपनी मातृभाषा में तकनीकी और मेडिकल शिक्षा लेने की शुरुआत करेंगे.’ उन्होंने कहा, ‘आज का दिन इसीलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि आज से हमारे बच्चों को अपनी मातृभाषा में तकनीकी और मेडिकल शिक्षा तो मिलेगी ही, इसके साथ ही वे आगे अनुसंधान भी अपनी भाषा में कर सकेंगे.’
गृह मंत्री शाह ने कहा कि 21वीं सदी में कुछ ताकतों ने ‘ब्रेन ड्रेन’ (प्रतिभा पलायन) का सिद्धांत अपनाया और आज प्रधानमंत्री मोदी ‘ब्रेन ड्रेन’ की थ्योरी को ‘ब्रेन गेन’ (प्रतिभाओं को देश में लाने) थ्योरी में बदल रहे हैं. उन्होंने कहा, ‘आज मोदी जी के नेतृत्व में नयी शिक्षा नीति के माध्यम से हमारी भाषाओं को महत्व देने की शुरुआत हुई है. जेईई, नीट और यूजीसी परीक्षाओं को देश की 12 भाषाओं में आयोजित करने की हमने शुरुआत की गई है. इसी तरह कॉमन यूनिवर्सिटी एंट्रेंस टेस्ट देश की 13 भाषाओं में आयोजित किया जा रहा है और 10 राज्यों ने इंजीनियरिंग पाठ्यक्रम का तमिल, तेलुगू, मराठी, बंगाली, मलयालम और गुजराती में अनुवाद करके इसकी शिक्षा शुरू की है.’
अमित शाह ने कहा कि केंद्र की मोदी सरकार ने तकनीकी और चिकित्सा शिक्षा के क्षेत्र में कई परिवर्तन किए हैं. उन्होंने कहा कि 2014 में मेडिकल कॉलेज 387 थे जो बढ़कर 596 हो गए हैं, एमएमबीएस सीट की संख्या को 51,000 से बढ़ाकर 89,000 कर दिया गया है. शाह ने कहा कि आईआईटी 16 थे जो अब 23 हैं, आईआईएम 13 थे जो अब 20 हैं और आईआईआईटी नौ थे जो अब बढ़कर 25 हो गए हैं. उन्होंने कहा कि 2014 में देश में कुल विश्वविद्यालय 723 थे जिन्हें बढ़ाकर 1043 करने का काम केन्द्र की मोदी सरकार ने किया है.
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Tags: Amit shah, Medical Education, PM Modi
FIRST PUBLISHED : October 16, 2022, 20:37 IST
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