भोपाल. भोपाल में पिछले 20 साल से ज्यादा समय से एक शख्स एक अनोखा मिशन चला रहा है. यह मिशन है परिंदों को पिजड़ों से मुक्त करके उनको खुले आसमान में उड़ने का मौका देना. पेशे से व्यापारी धर्मेंद्र शाह पिछले 20 साल में 20,000 से ज्यादा तोतों को पिजड़ों से मुक्त कराने का काम कर चुके हैं. इसके लिए वे ‘मिशन पंख’ चला रहे हैं. तोतों को पिजड़ों से मुक्त कराने के लिए धर्मेंद्र शाह कई रास्ते अपनाते हैं. पहले तो वह इन तोतों को व्यापारियों से खरीद लेते थे और पिजड़े में कैद परिंदों को खोलकर खुले आसमान में छोड़ देते थे.
15 साल की उम्र से तोतों को पिजड़े की कैद से आजाद कर रहे धर्मेंद्र शाह पहले इस काम में अपनी जेब से काफी पैसा खर्च करते थे. क्योंकि वे तोतों को खरीद कर आजाद कराते थे. धर्मेंद्र शाह के प्रयासों से भोपाल के जहांगीरपुरी के सबसे बड़े पक्षी बाजार में तोतों का बिकना अब बंद हो गया है. इसके लिए धर्मेंद्र शाह ने प्रशासनिक अधिकारियों और नेताओं से मिलकर पहल की. इसके कारण धर्मेंद्र शाह को पक्षियों के व्यापार से जुड़े लोगों की धमकियों का भी सामना करना पड़ा. पक्षियों के व्यापार का एक बड़ा हिस्सा तोते का होता है. इसके कारण पक्षियों के व्यापारियों के धंधे पर चोट लग रही थी.
तोते खुले आसमान की पुरानी जीवनशैली में लौटने में समर्थ
पहले तोते को सीधे खुले आसमान में छोड़ने वाले धर्मेंद्र शाह को बाद में महसूस हुआ कि अगर पिंजड़े में तोते को आठ-नौ महीने से ज्यादा समय से कैद करके रखा गया है तो वह उड़ना भूल चुका होता है. ऐसे तोते को खुले आसमान में छोड़ना खतरनाक होता है. इसलिए वे ऐसे तोते को पिंजरे से आजाद करके खुले में घूमने और चलने की आजादी देने के लिए उसके मालिकों से कहते हैं, जिससे पिजड़े में कैद तोते की जीवनशैली बदल जाती है. जबकि पिजड़े में कैद आठ-नौ महीने पुराना तोता आसानी से अपनी पुरानी जीवन शैली में लौट जाता है. धर्मेंद्र शाह ने बताया कि वे केवल तोते को ही पिजड़े की कैद से आजाद कराने का काम करते हैं. क्योंकि तोते के अपनी पुरानी खुली जीवन शैली में लौटने की सबसे ज्यादा संभावना होती है. जबकि बाकी पक्षियों के लिए ऐसा करना बहुत मुश्किल होता है.
धर्मेंद्र शाह की पहल ‘मिशन पंख’ से जुड़े 10 हजार लोग
धर्मेंद्र शाह केवल भोपाल में ही अपना मिशन पंख नहीं फैला रहे हैं. उन्होंने अपना मिशन पंख अहमदाबाद, बड़ोदरा, पूना और सीकर में भी फैला दिया है. उनके साथ काम करने के लिए करीब 10 हजार से ज्यादा लोग अब तक जुड़ चुके हैं. ये सभी लोग तोतों को पिजड़ों से आजाद करके उनको खुला आसमान देने में धर्मेंद्र शाह की मदद करते हैं. ये लोग अपने आसपास इस बात पर नजर रखते हैं कि किसने पिजड़े में तोते को पाल रखा है. इसके बाद वे धर्मेंद्र शाह को फोन करके इसकी जानकारी देते हैं कि कहां पर किस इंसान ने पिजड़े में तोते को पाल रखा है. सूचना मिलने के बाद धर्मेंद्र शाह अकेले या अपनी टीम के साथ उस व्यक्ति के घर जाकर उसे समझाते हैं कि तोते को पिंजड़े में कैद रखना उसके स्वास्थ्य लिए अच्छा नहीं है.
लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में भी मिशन पंख
धर्मेंद्र शाह के इस कार्य को मान्यता भी मिली है. उनके मिशन पंख को लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में शामिल किया गया है. इसके साथ ही करीब 48 से ज्यादा वर्ल्ड रिकॉर्ड्स बुक में मिशन पंख को शामिल किया जा चुका है. उनको 100 से ज्यादा पुरस्कार और सम्मान मिल चुके हैं. मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री और राज्यपाल ने भी उनको सम्मानित किया है. अभी हाल ही में लोकप्रिय टेलीविजन शो ‘कौन बनेगा करोड़पति’ (केबीसी) की ‘कर्मवीर’ कैटेगरी में उनका चयन किया गया है. केबीसी की इस श्रेणी में केवल सोशल वर्कर को ही बुलाया जाता है. इसकी शूटिंग नवंबर-दिसंबर में होने वाली है. उसके बाद ये एपिसोड प्रसारित किया जाएगा.
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धर्मेंद्र शाह का मिशन पंख-पिजड़े में न रहे कोई तोता
धर्मेंद्र शाह भविष्य में पूरे देश में अपने मिशन पंख को फैलाना चाहते हैं. उनका लक्ष्य है कि इस देश में कोई तोता पिजड़े में कैद होकर नहीं रहे. उन्होंने अपने संगठन मिशन पंख को रजिस्टर्ड नहीं कराया है. उनका कहना है कि वे इसे किसी एनजीओ की तरह नहीं बनाना चाहते हैं. इसके बावजूद उनके संगठन मिशन पंख को जरूरी काम के लिए पर्याप्त डोनेशन मिलता रहा है. उनके साथ जुड़े सभी लोग और वॉलंटियर्स अपनी आय का एक छोटा सा हिस्सा मिशन पंख में लगाते हैं. इस तरह धर्मेंद्र शाह ने पिंजड़े में कैद पक्षियों को खुला आसमान देने के लिए एक बड़ी पहल की है. वे इस मिशन पर अकेले ही चले थे लेकिन अब उनके साथ 10,000 से ज्यादा लोगों का कारवां जुड़ गया है.
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FIRST PUBLISHED : June 02, 2022, 09:15 IST
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