
बोगोटा. कहते हैं कि डूबते हुए को तिनके का सहारा मिल जाए तो वो भी किनारे तक पहुंच जाता है और इसकी बानगी देखने को मिली कोलंबिया में. समुद्र में लापता युवक 24 दिन तक टोमैटो केचप और मैगी खाकर खुद को जिंदा रखा. कोलंबियाई नौसेना ने डोमिनिका के एक व्यक्ति को बचाया, जिसने बताया कि वह केचप, लहसुन पाउडर और सीजनिंग क्यूब्स खाकर एक सेलबोट पर कैरिबियन समंदर में 24 दिनों तक भटकता रहा. सेलबोट पर रखे पतवार पर युवक ने अंग्रेजी में हेल्प लिखकर एक टापू पर धंसा दिया था, जिसे देखकर नौसैनिक सेलबोट के पास आए और उसको खोजा.
अधिकारियों ने बताया कि एल्विस फ्रेंकोइस के इस कदम से ही उसकी जान बची है. कैरिबियाई द्वीप डोमिनिका के एल्विस ने बताया कि कोलंबियाई समुद्र से बचाए जाने से पहले वह केचप खाकर एक सेलबोट में समुद्र में खो जाने के 24 दिनों तक जीवित रहा. यह जानकारी देश के नौसेना प्राधिकरण ने दी. एल्विस का एक वीडियो कोलंबियाई नौसेना द्वारा जारी किया गया है, जिसमें वह कहता हुआ नजर आ रहा, ‘मेरे पास खाना नहीं था. नाव पर केवल केचप की एक बोतल थी, लहसुन पाउडर और मैगी थी. इसलिए लगातार 24 दिन तक उसे थोड़े-थोड़े पानी में मिलाकर खाता रहा, ताकि वह जिंदा रह सके.’
नौसैनिक पेट्रोलिंग पर थे तो उन्होंने टापू पर पतवार को देखा, जिसपर हेल्प लिखा हुआ था. इसके बाद नौसैनिकों ने खोजबीन शुरू किया तो एल्विस ला गुआजीरा के उत्तरी विभाग में प्यूर्टो बोलिवार के उत्तर-पश्चिम में 120 समुद्री मील की दूरी पर मिला. फ्रेंकोइस ने कहा कि उन्होंने अन्य नावों को गुजरते हुए देखा और उन्हें झंडी दिखाने की कोशिश की, यहां तक कि उसने आग भी लगाई, लेकिन उन्होंने उन्हें नहीं देखा.
नौसेना द्वारा जारी किए गए वीडियो में एक डॉक्टर एल्विस फ्रेंकोइस की जांच करते दिख रहे हैं, जो अच्छे स्वस्थ नजर आ रहा है. एल्विस ने कहा, ‘यह बहुत कठिन था. मुझे नहीं पता कि मैं आज कैसे जीवित हूं, लेकिन मैं जीवित हूं. और मैं इसके लिए आभारी हूं. नौसेना ने कहा कि वह पिछले साल दिसंबर में नीदरलैंड्स एंटिलीज में कैरेबियाई द्वीप सेंट मार्टिन के बंदरगाह पर एक सेलबोट की मरम्मत करने के लिए काम कर रहा था, अचानक मौसम खराब हो गया और वह समुद्र में बह गया.
बयान में कहा गया है, ‘नेविगेशन के बारे में जानकारी के बिना वह खो गया था और समुद्र में भटक गया था. पोत और उपकरण को चलाने के उनके प्रयासों का कोई फायदा नहीं हुआ. फ्रेंकोइस ने कहा, ’24 दिन, कोई जमीन नहीं. कोई भी बात करने के लिए नहीं. पता नहीं क्या करना है. नहीं जानते कि आप कहां हैं. यह कठिन था. जब भी उम्मीद खोता तो मैं अपने परिवार को याद करता था.’
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FIRST PUBLISHED : January 20, 2023, 05:20 IST
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