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नई दिल्ली. भारतीय सशस्त्र सेनाओं में भर्ती के लिए नई योजना की शुरुआत होने जा रही है. इसे टूर ऑफ ड्यूटी ‘अग्निपथ’ नाम दिया जा सकता है. इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, आज बुधवार को इस योजना को लॉन्च किया जा सकता है. इसके तहत चार साल के लिए सैनिकों की भर्ती होगी, जिन्हें अग्निवीर कहा जाएगा. ये भर्तियां थलसेना, वायुसेना और नौसेना में अधिकारी रैंक से नीचे की होगीं. इसके तहत 21 साल तक के युवाओं को लिया जाएगा. कोरोना काल में पिछले दो साल से सेना में भर्ती की प्रक्रिया ठंडी पड़ी हुई है, जिसके मद्देनजर इस योजना को काफी अहम माना जा रहा है. आइए बताते हैं इस योजना की खास संभावित बातें, 10 पॉइंट्स में.

इस योजना के तहत चार साल के लिए युवा सैनिकों को भारतीय सेना में काम करने के लिए लिया जाएगा. चार साल का कार्यकाल खत्म होने पर 25 फीसदी सैनिकों का फिर से मूल्यांकन होगा और उन्हें सेना में फिर से शामिल करने पर विचार किया जाएगा.

सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि इस योजना के लिए 17.5 साल से लेकर 21 साल तक के युवाओं की भर्ती की जाएगी. भर्तियां आवेदकों की मौजूदा क्वालिफिकेशन के हिसाब से और टेस्ट के जरिए होगी.

एक्सप्रेस के मुताबिक, सैनिकों की भर्ती साल में दो बार छह-छह महीने के गैप पर की जाएगी. छह महीने तक उन्हें ट्रेनिंग मिलेगी, उसके बाद सेना में अलग-अलग काम के लिए उन्हें तैनात किया जाएगा. इसमें स्पेशलिस्ट काम भी शामिल होंगे.

हिंदुस्तान टाइम्स की खबर के मुताबिक, इस नई योजना के तहत अगस्त से दिसंबर के बीच भर्ती प्रक्रिया शुरू हो सकती है. इस दौरान पहले फेज में करीब 45 हजार नौजवानों की भर्ती की जाएगी.

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इस योजना के तहत भर्ती हुए युवाओं को 30 हजार रुपये का शुरुआती वेतन देने का प्रस्ताव है, जो चौथे साल के अंत तक बढ़कर 40 हजार रुपये हो सकेगा. सेवा निधि योजना के तहत इस वेतन का 30 फीसदी हिस्सा सेविंग के रूप में रखने की योजना है. सरकार भी इतनी ही राशि का हर महीने योगदान देगी.

एक्सप्रेस के मुताबिक, चार साल पूरे होने पर इन सैनिकों को 10 लाख रुपये का पैकेज दिया जाएगा. ये पैसा पूरी तरह टैक्स फ्री होगा. हालांकि ये सैनिक पेंशन के हकदार नहीं होंगे. जिन सैनिकों को 15 और साल के लिए रखा जाएगा, उन्हें ही रिटायरमेंट बैनिफिट्स मिल सकेंगे.

चार साल की सेवा देने के बाद इन सैनिकों को आम जिंदगी में व्यवस्थित होने में भी सरकार मदद देगी. इन्हें सर्विस के लिए एक डिप्लोमा सर्टिफिकेट भी दिया जाएगा, जिससे आगे नौकरी तलाशने में मदद मिलेगी. ये सर्टिफिकेट सर्विस के दौरान कौशल के आधार पर दिया जाएगा.

बताया जाता है कि इस योजना का खाका 2020 में तत्कालीन चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल विपिन रावत ने तैयार किया था. इसका प्रमुख मकसद सैनिकों की कमी को पूरा करना, सेना के पेंशन खर्चों में कटौती और युवाओं को सेना में शामिल होने के लिए प्रेरित करना रहा है.

एचटी के मुताबिक, सेना में इस वक्त अधिकारी स्तर से नीचे के करीब सवा लाख सैनिकों की कमी महसूस की जा रही है. हर महीने 5 हजार के करीब सैनिक कम होते जा रहे हैं. सेना की आधिकारिक क्षमता 12 लाख सैनिकों की है.

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कोरोना महामारी शुरू होने से पहले सेना साल में करीब 100 भर्ती रैलियां आयोजित करती थी. हर छह से आठ जिलों के बीच ये रैलियां होती थीं. कोरोना शुरू होने से पहले 2019-20 में 80,572 सैनिकों की भर्तियां हुई थीं. जबकी 2018-19 में 53,431 सैनिक शामिल किए गए थे.

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FIRST PUBLISHED : June 08, 2022, 12:05 IST

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