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हाइलाइट्स

सीजेआई रहने के बाद आठ नवम्बर को यूयू ललित सेवानिवृत्त हो जाएंगे.
यूयू ललित को अगस्त, 2014 को शीर्ष अदालत का न्यायाधीश नियुक्त किया गया था.
न्यायमूर्ति ललित ने दिल्ली में अपनी वकालत जनवरी 1986 में शुरू की थी.

नई दिल्ली. भारत के मनोनीत मुख्य न्यायाधीश यूयू ललित ने शुक्रवार को न्यायपालिका के प्रमुख के रूप में अपने 74 दिनों के कार्यकाल के दौरान तीन क्षेत्रों पर काम करने का इरादा जाहिर किया और कहा कि वह यह सुनिश्चित करने के लिए कड़ी मेहनत करेंगे कि कम-से-कम एक संविधान पीठ साल भर सुप्रीम कोर्ट में काम करे. 27 अगस्त को भारत के 49वें प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) के रूप में कार्यभार संभालने वाले न्यायमूर्ति ललित ने कहा कि अन्य दो क्षेत्र हैं – शीर्ष अदालत में सुनवाई के लिए मामलों को सूचीबद्ध करना और जरूरी मामलों का उल्लेख करना.

सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (एससीबीए) द्वारा निवर्तमान सीजेआई एन वी रमण को विदाई देने के लिए आयोजित एक समारोह में बोलते हुए, न्यायमूर्ति ललित ने कहा कि उनका हमेशा से मानना ​​है कि शीर्ष अदालत की भूमिका स्पष्टता के साथ कानून बनाना और इसका सर्वोत्तम संभव तरीका है जितनी जल्दी हो सके बड़ी बेंचों का गठन करना है ताकि मुद्दों को तुरंत स्पष्ट किया जा सके. उन्होंने कहा, ‘इसलिए, हम इस बात के लिए कड़ी मेहनत करेंगे कि हमारे पास पूरे साल कम-से-कम एक संविधान पीठ हमेशा काम करेगी.’

न्यायमूर्ति ललित ने कहा कि जिन क्षेत्रों में वह काम करना चाहते हैं उनमें से एक संविधान पीठों के समक्ष मामलों की सूची और विशेष रूप से तीन-न्यायाधीशों की पीठ को भेजे गए मामलों के बारे में है. मामलों को सूचीबद्ध करने के मुद्दे पर उन्होंने कहा, ‘…मुझे आपको आश्वस्त करना हूं कि हम लिस्टिंग को यथासंभव सरल, स्पष्ट और पारदर्शी बनाने के लिए कड़ी मेहनत करेंगे.’ जरूरी मामलों का उल्लेख करने के संबंध में, न्यायमूर्ति ललित ने कहा कि वह निश्चित रूप से इस पर भी गौर करेंगे.

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आपको बता दें कि न्यायमूर्ति ललित का कार्यकाल संक्षिप्त होगा. वह तीन माह से भी कम समय तक सीजेआई रहने के बाद आठ नवम्बर को सेवानिवृत्त हो जाएंगे. शीर्ष अदालत के न्यायाधीश 65 वर्ष की आयु पूरी करने के बाद सेवानिवृत्त होते हैं, जबकि देश के 25 उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों की सेवानिवृत्ति की उम्र 62 साल है. न्यायमूर्ति ललित दूसरे सीजेआई होंगे, जो बार से सीधे पदोन्नत होकर उच्चतम न्यायालय पहुंचे हैं. इससे पहले, न्यायमूर्ति एस. एम.सिकरी मार्च 1964 में बार से सीधे शीर्ष अदालत तक पहुंचे थे और 1971 में देश के 13वें सीजेआई नियुक्त हुए थे.

न्यायमूर्ति ललित मुसलमानों में तीन तलाक की प्रथा को गैर-कानूनी और असंवैधानिक घोषित करने सहित विभिन्न ऐतिहासिक फैसलों का हिस्सा रहे हैं. उन्हें 13 अगस्त, 2014 को शीर्ष अदालत का न्यायाधीश नियुक्त किया गया था. न्यायमूर्ति ललित ने दिल्ली में अपनी वकालत जनवरी 1986 में शुरू की थी और 2004 में उन्हें उच्चतम न्यायालय द्वारा वरिष्ठ अधिवक्ता नियुक्त किया गया था. उन्हें टूजी स्पेक्ट्रम आवंटन मामले की सुनवाई में सीबीआई का पक्ष रखने के लिए विशेष लोक अभियोजक नियुक्त किया ग्या था.

Tags: Supreme Court

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