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रोहित भट्ट

अल्मोड़ा. उत्तराखंड के अल्मोड़ा में कई मकान ऐसे हैं जो धरोहर को संजोए हुए हैं. इन मकानों की काष्ठकला और नक्काशी को देखकर हर कोई मोहित हो जायेगा. पुराने मकान अल्मोड़ा की बाजार में अब कुछ ही जगह पर देखने को मिलेंगे. लोगों ने पुराने मकानों को तोड़कर अब लिंटर वाले मकान बनाने शुरू कर दिए हैं, पर जो कुछ पुराने मकान बचे हैं उनकी खूबसूरती पहले जैसी ही है. इन मकानों में अलग-अलग तरह की की नक्काशी देखने को मिलेंगी जैसे- भगवान की आकृतियां और उनके पूर्वजों की तस्वीरें मकानों के बाहर से बनी हुई हैं.

पुराने मकानों को देखने और उनकी तस्वीर खींचने के लिए लोग अल्मोड़ा में दूर-दूर से आते हैं. इसके अलावा लोग शोध भी करते हैं कि इन मकानों को कैसे बनाया गया होगा. स्थानीय लोग बताते हैं कि पुराने मकान लगभग 200 से 250 साल पहले के बने हैं. उस समय पर घरों के बाहर यह नक्काशी शानो-शौकत का प्रतीक हुआ करती थी.

स्थानीय निवासी उदय राज साह ने बताया कि अल्मोड़ा के मकान बहुत पुराने हैं और यह हस्तशिल्प से बनाए गए थे. उन्होंने बताया यह कला नेपाल से आई थी. पुराने मकानों में लकड़ी पर जो तस्वीरें देखने को मिलती हैं, वो उनके पूर्वजों की हैं. उस जमाने में कैमरा नहीं हुआ करता था, तो लोग अपने मकानों के बाहर पूर्वजों, भगवान की तस्वीरें व अन्य कलाकृति बनवाते थे. कई घरों के बाहर भगवान की तस्वीरें बनी हुई देखने को मिलेंगी जैसे गणेश, भैरव, हनुमान और फूल के अलावा अलग-अलग नक्काशी देखने को मिलेगी.

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उन्होंने कहा कि आधुनिक दौर में अब यह कला समाप्त हो गई है क्योंकि अब इनको बनाने वाले कारीगर कम हो गए हैं. बताया जाता है अस्कोट के कुछ परिवार हैं, जो आज भी लकड़ी पर नक्काशी को उकेरते हैं. इन पुराने मकानों में अब मेंटेनेंस पर खर्च काफी आता है. इसके अलावा अल्मोड़ा में पुराने मकानों को तोड़ कर लोग अब लिंटर का मकान बना रहे हैं.

एक अन्य स्थानीय निवासी ध्रुव जोशी ने बताया कि अल्मोड़ा के इन पुराने लकड़ी के मकानों को देखने के लिए लोग देश-विदेश से आते हैं. आर्ट्स कॉलेज ऑफ लखनऊ, आर्ट्स कॉलेज ऑफ कोलकाता और मुंबई की टीम अल्मोड़ा आ चुकी है. उन्होंने बताया कि तुन की लकड़ी में यह नक्काशी बनाई जाती है. अगर इन पुराने मकानों को देखा जाए, तो इसमें हर एक नक्काशी अलग कहानी बयां करती है. इनको देखने और इनकी फोटो खींचने के लिए लोग यहां पहुंचते हैं.

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