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(रिपोर्ट- रोहित भट्ट)

अल्मोड़ा. बैडमिंटन मेंअंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत का नाम रोशन करने वाले लक्ष्य सेन (Lakshya Sen) को आज कौन नहीं जानता. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) भी उनके खेल के मुरीद हैं. सांस्कृतिक नगरी अल्मोड़ा के रहने वाले लक्ष्य ने यहीं रहकर पहली बार बैडमिंटन थामा था. पिता डीके सेन (DK Sen) ही उनके गुरु थे. पिता ने गुरु की हैसियत से अपने शिष्य के खेल को इस कदर संवारा कि आज लक्ष्य अपने हर लक्ष्य को भेद रहे हैं. डीके सेन इन दिनों अल्मोड़ा आए हुए हैं और वह हेमवती नंदन बहुगुणा स्टेडियम में बच्चों को बैडमिंटन के गुर सिखा रहे हैं.

डीके सेन बच्चों को नई तकनीक से खेलना सिखा रहे हैं. बैडमिंटन के खेल में किस तरह सुधार लाना है, इसके लिए वह खिलाड़ियों को टिप्स भी दे रहे हैं. अल्मोड़ा के हेमवती नंदन बहुगुणा स्टेडियम में वह बच्चों को तीन शिफ्ट (सुबह, दोपहर और शाम) में बैडमिंटन सिखा रहे हैं. दूरदराज से आए खिलाड़ी भी उनसे बैडमिंटन के गुर सीखने में काफी दिलचस्पी दिखा रहे हैं.

दिल्ली से अल्मोड़ा पहुंचे शिरीष बिष्ट ने कहा, ‘डीके सेन सर जहां-जहां बैडमिंटन सिखाने जाएंगे, मैं भी वहां जाऊंगा.’ अल्मोड़ा की रहने वालीं स्नेहा रजवार ने कहा, ‘सेन सर हमें 5 दिन के लिए सिखाने आए हैं. मैं बहुत खुश हूं. हमें उनसे नई टेक्निक और नए स्ट्रोक्स सीखने को मिल रहे हैं.’

डीके सेन ने बताया कि लक्ष्य के दादाजी चंद्रलाल सेन ने अल्मोड़ा में बैडमिंटन की नींव रखी थी. करीब चार साल की उम्र में लक्ष्य और चिराग सेन अपने दादाजी के साथ स्टेडियम आने लगे. उसके बाद डीके सेन अपने दोनों बच्चों को लेकर सुबह-शाम प्रैक्टिस के लिए स्टेडियम पहुंच जाते थे. यह पूरी कहानी गवाही देती है कि लक्ष्य सेन आज सफलता की जिन ऊंचाइयों पर हैं, इसका पूरा श्रेय उनके पिता डीके सेन को जाता है.

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Tags: Badminton, Lakshya Sen

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