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रिपोर्ट – वसीम अहमद

अलीगढ़. यूपी के अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय की ऐतिहासिक मौलाना आजाद लाइब्रेरी कई मायनों में बहुत खास है. इसकी 7 मंजिला इमारत 4.75 एकड़ में फैली हुई है. जबकि मौलाना आजाद लाइब्रेरी में लगभग 14 लाख किताबों का खजाना है. यही वजह है कि मौलाना आजाद लाइब्रेरी अलीगढ़ शहर के चर्चित स्थलों में से एक है.

बहरहाल, इस लाइब्रेरी में कई ऐतिहासिक चीजें मौजूद हैं, जिसमें मुगलों के शासन काल के पुराण, रामायण, कुरान, मुगलों का कुर्ता आदि शामिल हैं. जबकि एक भगवत गीता भी मौलाना आजाद लाइब्रेरी में मौजूद है, जो कि करीब 400 साल पुरानी है. इसे फारसी भाषा लिखा गया था.

क्यों ट्रांसलेट कराई भगवत गीता?
अकबर के जमाने में हिंदू मुस्लिम को एक दूसरे और एक दूसरे के मजहब को समझने के लिए संस्कृत की किताबों का फारसी में ट्रांसलेशन करवाया गया था. दरअसल उस जमाने में पर्शियन सरकारी भाषा हुआ करती थी और उस समय के पढ़े लिखे लोगों की, जो पब्लिक जुबान फारसी ही थी. इसमें गीता का तर्जुमा अबुल फैज फैजी से करवाया था.

वहीं, NEWS 18 LOCAL से बीत करते हुए अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय की मौलाना आजाद लाइब्रेरी की लाइब्रेरियन निशात फातिमा ने बताया कि आज भी यहां कुरान की एक लगभग 1400 साल पुरानी लिपि मौजूद है. इस लाइब्रेरी की यह भी एक खासियत है कि यहां पर कुरान और भगवत गीता दोनों ही उपलब्ध हैं. साथ ही उन्‍होंने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी इसकी भव्यता और संग्रह देखकर तारीफ किए बिना नहीं रह सके. उनकी पहल पर इसे मिनी इंडिया की उपाधि से सुशोभित किया जा चुका है.

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Maulana Azad Library

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