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हाइलाइट्स

भोपाल गैस त्रासदी अपडेट
पुनर्वास की दिशा में नहीं हुआ संतोषजनक काम
भोपाल गैस पीड़ित महिला उद्योग संगठन की याचिका पर हुई सुनवाई

भोपाल. भोपाल गैस त्रासदी (Bhopal Gas Tragedy) के पीड़ितों के लिए मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने उनके पुनर्वास (Rehabilitation) की दिशा में संतोषजनक काम ना होने पर नाराजगी व्यक्त की है. शुक्रवार को मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस शील नागू की डिवीजन बेंच ने निर्देश दिए हैं कि इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) के डिप्टी डायरेक्टर 4 सप्ताह के भीतर पूरा ब्यौरा पेश करें कि अब तक हाईकोर्ट (High Court) के पूर्व निर्देशों की दिशा में क्या कुछ काम किए गए हैं. सुनवाई के दौरान वर्चुअल मोड के माध्यम से हाईकोर्ट में मौजूद रहे आईसीएमआर के सीनियर डिप्टी डायरेक्टर आर रामाकृष्णन ने बताया कि उनके द्वारा भोपाल बीएमएचआरसी अस्पताल में नियुक्त स्पेशलिस्ट डॉक्टरों और रिक्त पदों के सिलसिले में दो बार पत्राचार किया गया है.

इस दौरान यह बात भी सामने आई है कि चिकित्सकों का वेतन बढ़ाने में और नई नियुक्तियों में हर साल 7 करोड़ से अधिक का अतिरिक्त खर्च भी सरकार को वहन करना होगा. इस पूरे मामले पर कार्रवाई प्रगतिशील है और जवाब का इंतजार है. पूरे मामले में हाई कोर्ट ने निर्देश दिए हैं कि आईसीएमआर के सीनियर डिप्टी डायरेक्टर जनरल 4 सप्ताह के भीतर पूरे मामले पर जवाब प्रस्तुत करें और मिनिस्ट्री ऑफ हेल्थ रिसर्च के जवाब को भी प्रस्तुत करें. हाईकोर्ट ने कहा कि अगर 4 सप्ताह के भीतर जवाब पेश नहीं किया जाता है तो केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के सचिव को हाईकोर्ट में वर्चुअल मोड से उपस्थित होकर जवाब पेश करना होगा. पूरे मामले की अगली सुनवाई 18 जनवरी 2023 को नियत की गई है.

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2012 में दायर की गई थी याचिका
उल्लेखनीय है कि साल 2012 में भोपाल गैस पीड़ित महिला उद्योग संगठन समेत अन्य के द्वारा उच्च न्यायालय में याचिका दायर की गई थी. उसमें भोपाल गैस पीड़ितों के उपचार और पुनर्वास के संबंध में सुनवाई के दौरान निर्देश जारी किए गए थे. इन बिंदुओं का क्रियान्वयन सुनिश्चित करने के लिए मॉनिटरिंग कमेटी का भी गठन किया गया था. उसे हर 3 माह में अपनी रिपोर्ट हाईकोर्ट के समक्ष पेश करने के निर्देश दिए गए थे. हाई कोर्ट में याचिका विचाराधीन होने के दौरान कमेटी की अनुशंसाओं का परिपालन नहीं किया गया. उसके बाद अवमानना याचिका दायर की गई थी. अवमानना याचिका में कहा गया था कि अब तक भोपाल के गैस पीड़ितों के हेल्थ कार्ड तक नहीं बन पाए.

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इनको बनाया गया है पक्षकार
अस्पताल में आवश्यकतानुसार उपकरण और दवाओं समेत हेल्थ स्पेशलिस्ट भी उपलब्ध नहीं हैं. वहीं बीएमएचआरसी में भर्ती नियम का निर्धारण नहीं होने के कारण डॉक्टर और पैरामेडिकल स्टाफ स्थाई तौर पर अपनी सेवाएं भी प्रदान नहीं कर रहा. याचिका में केंद्रीय पर्यावरण कल्याण विभाग के सचिव, केंद्रीय रसायन व उर्वरक विभाग के सचिव, प्रदेश सरकार और भोपाल गैस त्रासदी सहायता एवं पुनर्वास विभाग के सचिव समेत आईसीएमआर और अन्य को पक्षकार बनाया गया था.

Tags: Bhopal Gas Tragedy, Bhopal news, Madhya Pradesh High Court, Madhya pradesh news

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