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पटना. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर रविवार को आरोप लगाया कि उसने 2020 के विधानसभा चुनाव में गठबंधन में होने के बावजूद जनता दल-यूनाइटेड (जदयू) के खिलाफ काम किया और कोशिश की कि उसके उम्मीदवारों की हार हो. साथ में अगले आम चुनाव में भाजपा को करारा जवाब देने का संकल्प लिया. जदयू के पूर्ण अधिवेशन को यहां संबोधित करते हुए कुमार ने हाल में एक उपचुनाव में मिली हार को ज्यादा महत्व न देते हुए कहा कि भाजपा का विरोध करने वाले दल अगर एक साथ आने पर सहमत हो जाएं, तो वे 2024 के लोकसभा चुनाव में ‘भारी बहुमत’ से जीत सकते हैं.

जदयू नेता ने कहा, ‘उन्होंने (भाजपा ने) अरुणाचल प्रदेश में हमारे विधायकों को तोड़ लिया. क्या वे हमारे साथ गठबंधन में रहते हुए इससे ज्यादा खराब काम कर सकते थे?’ उन्होंने कहा कि इस घटनाक्रम की वजह से वह गठबंधन से अलग होने को मजबूर हुए. वह राष्ट्रीय प्रजातांत्रिक गठबंधन (राजग) से अगस्त में अलग हो गए थे.

बिहार विधानसभा के 2020 में हुए चुनावों में जदयू के खराब प्रदर्शन का जिक्र करते हुए, उन्होंने कहा कि भाजपा ने इससे पहले ‘हमसे ज्यादा सीटें कभी नहीं जीतीं थी, चाहे 2005 हो या 2010. हमारे सभी उम्मीदवारों, चाहे वे जीते हों या हारे हों, ने बाद में मुझसे शिकायत की कि उन्होंने हमारी हार सुनिश्चित करने की कोशिश की.’

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गौरतलब है कि जदयू आरोप लगाती रही है कि भाजपा ने तब लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) प्रमुख चिराग पासवान की मदद से विधानसभा चुनाव में बढ़त हासिल करने के लिए साज़िश रची थी. पासवान ने मुख्यमंत्री के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था. कुमार ने कहा कि वह फिर से मुख्यमंत्री नहीं बनना चाहते थे, लेकिन भाजपा के आग्रह पर पद स्वीकार करने पर सहमत हुए थे.

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हाल में हुए कुढ़नी विधासभा उपचुनाव में भाजपा के हाथों शिकस्त खाने का परोक्ष हवाला देते हुए बिहार के मुख्यमंत्री ने कहा, ‘ऐसा लगता है कि वे उस एक जीत से बेहद खुश हैं. उन्हें पहले की दो हार और दूसरे राज्यों में मिली पराजय क्यों याद नहीं है?’ वह इस साल के शुरू में हुए बोचहां और मोकामा उपचुनाव में भाजपा की हार का जिक्र कर रहे थे. कुमार ने कहा, ‘उनको 2024 में पता चलेगा.’ उन्होंने यह भी दोहराया कि ‘उनका (भाजपा का) विरोध करने वाले सभी दल साथ आ जाएं. अगर उनमें से अधिकतर एक साथ आ जाएं तो भी प्रचंड बहुमत की गारंटी होगी. विचार किसी तथाकथित तीसरे मोर्चे का नहीं है. यह मुख्य मोर्चा होगा.

शराबबंदी का जिक्र करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि शराब को महात्मा गांधी के विश्वासों के अनुरूप प्रतिबंधित किया गया है. उन्होंने परोक्ष रूप से संकेत किया कि भाजपा के शीर्ष संगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की ‘आज़ादी की लड़ाई में कोई भूमिका नहीं थी.’ कुमार ने यह भी कहा कि नरेंद्र मोदी की सरकार ने बिहार को विशेष दर्जा देने की उनकी मांग पर कोई ध्यान नहीं दिया और कहा कि मोदी ऐसे राज्य (गुजरात) से आते हैं जो ब्रिटिश शासन के वक्त से ही समृद्ध है. समारोह में पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन, संसदीय बोर्ड के प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा और प्रधान राष्ट्रीय महासचिव केसी त्यागी सहित अन्य नेता शामिल हुए.

ललन ने आरोप लगाया कि देश में मौजूदा शासन ने आपातकाल के दौरान “अधिनायकवाद” (तानाशाही) और संवैधानिक संस्थानों के खुले दुरुपयोग की याद दिला दी. उन्होंने देश के अन्य हिस्सों, खासकर पूर्वोत्तरी राज्य नगालैंड के पार्टी कार्यकर्ताओं से जदयू को ‘राष्ट्रीय पार्टी’ बनाने की दिशा में काम करने का आह्वान किया. ललन ने कहा, ‘हमें राष्ट्रीय पार्टी बनने के लिए सिर्फ एक और राज्य में पहचान बनाने की जरूरत है. हम पिछली बार नगालैंड में महज 0.4 फीसदी से पीछे रह गए थे. हमें अगले साल की शुरुआत में होने वाले चुनावों में जरूरी कदम उठाने चाहिए.’

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कुशवाहा ने कॉलेजियम प्रणाली के खिलाफ आवाज उठाई और आरोप लगाया कि न्यायाधीशों के परिवार के सदस्यों को पीठ में नियुक्त किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि वह उच्च न्यायपालिका में आरक्षण देने के प्रबल पक्षधर हैं. उन्होंने 2024 में नीतीश कुमार के प्रधानमंत्री बनने और लाल किले पर तिरंगा फहराने की उम्मीद भी जताई. त्यागी ने कुमार को ‘देश का एकमात्र नेता बताया जो सीबीआई या ईडी से डरे बिना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आंखों में आंखें डालकर देख सकता है.’ त्यागी ने कहा, ‘अगर नीतीश कुमार दिल्ली जाते हैं, तो वे केवल छह महीने में वह हासिल कर लेंगे जो दूसरे कई सालों में नहीं कर पाए.’

Tags: BJP, Jdu, Nitish kumar

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