
Bullet train Project: क्या आपको पता है प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट्स में एक हाई स्पीड रेल कॉरिडोर के ब्लू प्रिंट को बनाते समय किसानों के लिए हित को सर्वोपरि रखा गया. दरअसल, इस कॉरिडोर के निर्माण के लिए ज्यादातर जमीन किसानों से अधिग्रहीत की जानी थी.
रेल मंत्रालय चाहता था कि प्रोजेक्ट के लिए जरूरी जमीन भी नेशनल हाई स्पीड रेल कॉर्पोरेशन लिमिटेड को मिल जाए और किसानों को भी उनको उनकी जमीन से दूर भी न होना पड़े. साथ ही, इस प्रोजेक्ट की वजह से पर्यावरण को भी कम से कम नुकसान हो.
एनएचएसआरसीएल के मैनेजिंग डायरेक्टर सतीश चंद्र अग्निहोत्री ने न्यूज 18 हिंदी से बातचीत में बताया कि रेलवे ट्रैक जिस जगह से निकलता है, वह इलाका दो भागों में बंट जाता है. ऐसे हालत में, उस इलाके में रहने वाले लोगों के पास दो विकल्प होते हैं.
पहला विकल्प – वह अपने खेत से लेबल क्रासिंग जाएं और वहां से अपने खेत के दूसरे मुहाने पर पहुंचे. दूसरा विकल्प यह कि वह गैरकानूनी तरीके से रेलवे ट्रैक को पार करें और अपने खेत के दूसरे हिस्से में पहुंचे. दूसरा विकल्प चुनने पर दुर्घटना की प्रबल संभावना बनी रहती है.
कम से कम जमीन पर प्रोजेक्ट पूरा करने का है लक्ष्य
उन्होंने बताया कि हमें यह भी पता था कि यदि हाई स्पीड कॉरिडोर जमीन से निकलता है, तो हमें अधिक जमीन की जरूरत भी होगी और दोनों तरफ से ऊंची फैंसिंग करनी होगी. वहीं ट्रेन की तेज गति के चलते जो वैक्यूम तैयार होता है, उससे दोनों ओर के ईको सिस्टम पर भी नकारात्मक असर पड़ेगा.
इसीलिए, हम किसी भी सूरत में यह नहीं चाहते थे कि इस हाई स्पीड रेल कॉरिडोर के लिए अधिक जमीन ली जाए और किसानों को उनकी जमीन से अलग किया जाए. लिहाजा, इस कॉरिडोर के अधिकतर हिस्से को एलीवेटेड बनाने का फैसला किया गया.
बुलट ट्रेन प्रोजेक्ट में 91.58 फीसदी कॉरीडोर एलिवेटेड
उन्होंने बताया कि किसानों के हितों को ध्यान में रखते हुए एनएचएसआरसीएल ने इस प्रोजेक्ट का 91.58 फीसदी कॉरिडोर एलिवेटेड रखा है, जबकि 1.93 फीसदी रिवर ब्रिज, 5.16 फीसदी सुरंग हैं. इस प्रोजेक्ट में कॉरिडोर का महज 1.33 फीसदी हिस्सा ऐसा है, जो या तो जमीन पर है या फिर रैंप है.
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इस कॉरिडोर का ज्यादातर हिस्सा एलिवेटेड होने की वजह से हमें सिर्फ उतनी ही जगह चाहिए, जितनी जगह कॉरीडोर के एक खंभे को बनाने के लिए चाहिए. कॉरिडोर एलिवेटेड होने की वजह से किसान कॉरिडोर की दोनों तक निर्वाध आवाजाही कर सकेंगे. उन्होंने बताया कि कॉरिडोर के निर्माण के बाद एलिवेडेट रैंप के निचले हिस्से को पहले की तरह हरा-भरा कर दिया जाएगा.
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Tags: Bullet Train Project, Indian railway
FIRST PUBLISHED : June 16, 2022, 15:52 IST
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