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बर्मिंघम. निशानेबाजी स्पर्धा के नहीं होने से भारत के लिए कॉमनवेल्थ गेम्स में शीर्ष पांच में जगह बनाना मुश्किल होगा लेकिन बर्मिंघम 2022 (Birmingham 2022) के आयोजक चुनौतीपूर्ण तैयारियों के बाद सफल खेल टूर्नामेंट आयोजित करने की कोशिश करेंगे. गुरूवार की शाम को एलेक्जेंडर स्टेडियम में होने वाले उद्घाटन समारोह से इन खेलों की शुरूआत होगी. ये खेल बड़े स्तर पर आयोजित किए जाते हैं लेकिन प्रासंगिक बने रहने के लिए जूझ रहे हैं. ब्रिटेन पिछले 20 वर्षों में तीसरी बार इस बहु-स्पर्धा प्रतियोगिता का आयोजन कर रहा है क्योंकि राष्ट्रमंडल खेल महासंघ (सीजीएफ) खेलों से जुड़े खर्चे की बाधाओं के कारण 56 देशों में से नई बोली लगाने वाले देशों को आकर्षित नहीं कर पा रहा है. ये देश ही खेल संस्था का हिस्सा हैं. सीजीएफ में हालांकि 72 सदस्य हैं लेकिन ये इन 56 देशों के ही हैं.

बर्मिंघम भी 2022 चरण के लिए बोली में देर में शामिल हुआ और ऐसा तब हुआ जब दक्षिण अफ्रीका ने 2017 में इसे आयोजित करने में असमर्थता व्यक्त की थी. बर्मिंघम 2022 के मुख्य कार्यकारी अधिकारी इयान रीड ने कहा, ‘‘हमें इन खेलों को और कम लागत का करने की जरूरत है और उन शहरों में ले जाने की जरूरत है जिन्होंने अब तक इनकी मेजबानी नहीं की है.’’ वर्ष 2012 लंदन ओलंपिक के बाद ये ब्रिटेन में सबसे बड़े और सबसे खर्चीला खेल टूर्नामेंट होने वाले हैं. हालांकि कोविड-19 महामारी के विपरीत प्रभाव से निपटने के बावजूद इन खेलों का बजट अब तक 778 मिलियन पाउंड बना हुआ है.

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आयोजन के लिए बोली लगाने में दिलचस्पी रखने वाले छोटे देशों के लिए इस राशि को कम करने की जरूरत है. भारत ‘खेल महाशक्ति’ बनने से अभी काफी दूर है लेकिन राष्ट्रमंडल खेल देश के खिलाड़ियों के लिए पदक बटोरने का अच्छा टूर्नामेंट बना रहा है जो राष्ट्रमंडल देशों में सबसे बड़े देशों में शामिल है. वर्ष 2002 चरण के बाद से भारत शीर्ष पांच में शामिल रहा है जिसमें देश की सबसे ज्यादा निभर्रता निशानेबाजी स्पर्धा में रही है जिसे विवादास्पद तरीके से बर्मिंघम खेलों की स्पर्धाओं से हटा दिया गया.

चार साल पहले गोल्ड कोस्ट खेलों में भारत ने कुल 66 पदक जीते थे जिसमें 25 प्रतिशत योगदान निशानेबाजों का रहा था और इस खेल में सात स्वर्ण पदक मिले थे. बड़ा सवाल यही है कि निशानेबाजी स्पर्धा के नहीं होने से भारत इसकी भरपायी किस तरह कर पायेगा? भारोत्तोलन, बैडमिंटन, कुश्ती और टेबल टेनिस से काफी पदकों की उम्मीद है लेकिन ये शायद निशानेबाजी स्पर्धा की अनुपस्थिति से पदकों की संख्या में कमी की भरपायी नहीं कर पायेंगे.

एथलेटिक्स में भारत ने स्पर्धा के 72 साल के इतिहास में केवल 28 पदक जीते हैं और इस बार इस स्पर्धा में देश के छुपेरूस्तम होने की उम्मीद है लेकिन ओलंपिक चैम्पियन नीरज चोपड़ा के चोट के कारण अंतिम समय पर हटने से करारा झटका लगा है. विश्व चैम्पियनशिप की कांस्य पदक विजेता लंबी कूद की एथलीट अंजू बॉबी जॉर्ज भी इससे इत्तेफाक रखती हैं, उन्होंने कहा, ‘‘वह एथलेटिक्स टीम का कप्तान था, इसका काफी बड़ा असर पड़ेगा लेकिन एथलीट अपने काम पर ध्यान लगाए हैं. निशानेबाजी स्पर्धा की अनुपस्थिति से हमें नुकसान होगा लेकिन एथलेटिक्स में सात-आठ पदक जीतकर कुछ हद तक इसकी भरपायी हो सकती है.’’

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अंजू को महिला भाला फेंक, लंबी कूद जैसी स्पर्धाओं में पदक की उम्मीद है जबकि दल के कुछ खिलाड़ी डोप जांच में विफल पाए गए. सेकर धनलक्ष्मी और ऐश्वर्या बाबू को डोप जांच में विफल आने के कारण 36 सदस्यीय टीम से हटना पड़ा. कुश्ती में काफी पदक की उम्मीद हैं. सभी 12 प्रतिभागियों से पदक की उम्मीदें हैं, जिसमें गत चैम्पियन विनेश फोगाट और बजरंग पूनिया से स्वर्ण पदक की उम्मीदें हैं. गोल्ड कोस्ट में पहलवानों ने पांच स्वर्ण सहित 12 पदक जीते थे.

भारोत्तोलन में भी चार साल पहले पांच स्वर्ण सहित नौ पदक आये थे और वे भी इसी प्रदर्शन को दोहराना चाहेंगे. इस दल की अगुआई ओलंपिक रजत पदक विजेता मीराबाई चानू करेंगी. सुपरस्टार पीवी सिंधू की अगुआई में बैडमिंटन खिलाड़ियों से महिला एकल, पुरूष एकल, पुरूष युगल और मिश्रित टीम स्पर्धा पदक जीतने की उम्मीदे हैं. टीम में अन्य स्टार विश्व चैम्पियनशिप पदक विजेता किदाम्बी श्रीकांत और लक्ष्य सेन हैं.

भारत के दृष्टिकोण से हॉकी सबसे महत्वपूर्ण खेल होगा और पुरूष व महिला खिलाड़ी पिछले गोल्ड कोस्ट चरण की निराशा की भरपायी करने की कोशिश में होंगे जिसमें वे खाली हाथ घर लौटे थे. पिछले साल टोक्यो ओलंपिक में कांस्य पदक के ऐतिहासिक प्रदर्शन के बाद भारतीय पुरूष टीम ऑस्ट्रेलियाई दबदबे को खत्म करने की कोशिश करेगी जबकि महिला टीम भी शीर्ष तीन में रहने के लिए पुरजोर प्रयास करेगी.

टेबल टेनिस में भारत गोल्ड कोस्ट में आठ पदक जीतकर पदक तालिका में पहले स्थान पर रहा था जिसमें से चार पदक अकेले मनिका बत्रा के ही थे. हालांकि उस प्रदर्शन की बराबरी करना मुश्किल होगा लेकिन फिर भी कम से कम दो स्वर्ण पदक की उम्मीद बनी हुई है. भारत के अनुभवी अचंत शरत कमल अपने पांचवें और अंतिम राष्ट्रमंडल खेलों में हिस्सा लेंगे और वह 16 साल पहले जीते गए एकल स्वर्ण प्रदर्शन का दोहराव करना चाहेंगे.

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मुक्केबाजों को पिछले चरण में नौ पदक मिले थे और वे इस बार भी पदक तालिका में बड़ा योगदान करेंगे. अमित पांघल तोक्यो ओलंपिक के निराशाजनक अभियान को भुलाकर बेहतरीन प्रदर्शन करने के लिये बेताब होंगे तो वहीं ओलंपिक कांस्य पदक विजेता लवलीना बोरगोहेन विश्व चैम्पियनशिप की निराशा के बाद वापसी करना चाहेंगी. मौजूदा विश्व चैम्पियन निकहत जरीन के प्रदर्शन पर सभी की निगाहें लगी होंगी. गैर ओलंपिक खेलों में स्क्वाश खेल एकल वर्ग में अपने पहले पदक की तलाश में होगा. वहीं मिश्रित युगल ओर महिला युगल में दो स्वर्ण पदकों की संभावनायें हैं.

Tags: Birmingham, Commonwealth Games

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