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नई दिल्ली. रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को सबक सिखाने के लिए यूरोपीय यूनियन ने कच्चे तेल का आयात रोकने का बड़ा फैसला किया है. इस फैसले के तहत अगले 6 महीने में रूस से किए जाने वाले तेल आयात में 90 फीसदी की कटौती कर दी जाएगी. इस फैसले से कच्चे तेल की अंतरराष्ट्रीय कीमतें फिर से बढ़ने लगी हैं और 122 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गई है.

यूरोपीय यूनियन के इस फैसले से भारत को फायदा मिल सकता है और रूस कम कीमत पर भारत को तेल बेचने पर मजबूर हो सकता है. यूरोप अपनी जरूरत का 25 फीसदी कच्चा तेल और 40 फीसदी प्राकृतिक गैस रूस से आयात करता है. ऐसे में ज्यादातर यूरोपीय देशों के लिए तेल आयात को प्रतिबंधित करना मुश्किल भरा फैसला था. खास तौर पर ऊर्जा जरूरतों के लिए जो देश रूस पर पूरी तरह आश्रित हैं, वे ऐसा करने से बचना चाहते थे.

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रूस ने नहीं दी फैसले को तवज्जो
यूरोपीय यूनियन के प्रतिबंधों के साथ रूस से क्रूड ऑयल और पेट्रोलियम प्रॉडक्ट्स की खरीद पर रोक लग जाएगी, लेकिन पाइपलाइन क्रूड को अस्थायी रूप से छूट जारी रहेगी. इस प्रतिबंध में समुद्र के रास्ते लाया जाने वाला रूसी तेल भी शामिल है. रूस ने यूरोपीय संघ के इस फैसले को ज्यादा तवज्जो नहीं दी है. विएना स्थित अंतरराष्ट्रीय संगठनों में रूस के स्थायी प्रतिनिधि मिखाइल उलियानोव ने अपने ट्वीट में कहा, ‘‘रूस को दूसरे आयातक मिल जाएंगे.’’

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भारत के पास सस्ता तेल पाने का बेहतर मौका
अमेरिका और यूरोप की कार्रवाई से रूस एशिया के इच्छुक खरीदारों को आपूर्ति बढ़ाने के लिए मजबूर हो रहा है. इसमें भारत पश्चिमी रूस से निकलने वाले क्रूड के लिए सबसे बड़ा बाजार है. रूस पिछले काफी समय से भारत को सस्ते तेल का ऑफर दे रहा है और भुगतान की समस्या सुलझाने में लगा है. मौजूदा माहौल में भारत रूस से तेल की कीमतों को लेकर और मोलभाव कर सकता है. सस्ते कच्चे तेल से भारत को न सिर्फ महंगाई कम रखने में मदद मिलेगी, बल्कि तेल आयात पर खर्च होने वाली विदेशी मुद्रा बचाने में भी सहायता मिलेगी.

रूस से बढ़ा तेल आयात
पिछले कुछ महीनों से भारत रूस से सस्ती कीमत पर कच्चा तेल खरीद रहा है. यही वजह है कि भारत का समुद्री कच्चे तेल का आयात अप्रैल में 48 लाख बैरल से ऊपर निकल गया. पहली बार अप्रैल में भारत के कुल समुद्री क्रूड के आयात में रूस की हिस्सेदारी बढ़कर 5 फीसदी तक पहुंच गई. यह 2021 में 1 फीसदी से भी कम थी.

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ग्लोबल स्तर पर तेल की कीमतों में बढ़ोतरी के प्रति भारत लगातार संवेदनशील होता जा रहा है. यही वजह है कि अमेरिकी पाबंदियों और धमकियों के बावजूद भारत ने रूस से कच्चे तेल का आयात करना न सिर्फ जारी रखा, बल्कि इसमें धीरे-धीरे बढ़ोतरी भी करता जा रहा है. रूस भारत का काफी पुराना दोस्त है. कई महत्वपूर्ण कूटनीतिक और सामरिक मौकों पर रूस ने भारत की मदद की है. साथ ही भारत के ज्यादातर सैन्य हथियार रूस निर्मित हैं. उस दोस्ती को और मजबूत बनाते हुए भारत अब कच्चा तेल खरीद कर रूस की मदद कर रहा है.

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