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Jagjit Singh Death Anniversary: ‘चिट्ठी ना कोई संदेश,जाने वो कौन सा देश..जहां तुम चले गए..’जैसा गीत जब फिल्म ‘दुश्मन’ में जगजीत सिंह (Jagjit Singh) ने गाया था, दर्शकों के आंखों से बरबस ही आंसू छलक पड़े थे. कहते हैं कि एक लाइव कॉंसर्ट के दौरान दर्शकों की बेहद मांग पर जब जगजीत सिंह ने इसे गाया था, तो वो खुद अपने बेटे को याद करते हुए फूटफूट कर रोने लगे थे. गजल सम्राट के नाम से मशहूर जगजीत 10 अक्टूबर 2011 को दुनिया छोड़ गए थे. गजल को लोकप्रिय बनाने वाले दिलकश आवाज के मालिक जगजीत की गजलें लोग आज भी गुगुनाते थे. कुमार सानू (Kumar Sanu) को पहला ब्रेक देने वाले भी जगजीत सिंह ही थी. आप गजल सम्राट की जुबानी ही ये किस्सा सुन लीजिए.

अपनी मखमली आवाज से किसी को भी अपना दीवाना बना देने वाले जगजीत सिंह की पुण्यतिथि पर ये बताना जरूरी है कि खालिस उर्दू जानने वालों की मिल्कियत समझी जाने वाली शेरो शायरी से लबरेज गजलों को आम आदमी तक पहुंचाने का श्रेय अगर किसी को सबसे पहले दिया जाना चाहिए तो वह हैं जगजीत सिंह. उनकी गजलों ने न सिर्फ कम उर्दू जानने वालों के बीच शेरो-शायरी की समझ बढ़ाई बल्कि गालिब, मीर, फिराक जैसे शायरों को आम आदमी के नजदीक लाने का काम भी किया.

पिता को बिना बताए मुंबई चले आए थे जगजीत सिंह
राजस्थान के श्रीगंगानगर में सरदार अमर सिंह धमानी और बच्चन कौर के 7 बच्चों के परिवार में 8 फरवरी, 1941 को जन्मे जगमोहन यानी जीत ने गजल गायिकी की दुनिया मेंअपना जो मुकाम बनाया उनके जाने के बाद आज तक कोई भर नहीं पाया है. मशहूर सिंगर को जीत के नाम से बुलाया जाता था. लोक निर्माण विभाग में उनके पिता एक सर्वेयर थे. पिता चाहते थे कि बेटा बड़ा होकर इंजीनियर बने. लेकिन बेटे का मन गायिकी में रमता था. हालांकि बचपन से गुरबानी और शबद गाने का संस्कार पिता ने ही डलवाया था, लेकिन उन्हें क्या पता था कि एक दिन यही संस्कार दुनिया भर में नाम रौशन कर देगा. 1961 में ऑल इंडिया रेडियो स्टेशन जालंधर से गाना शुरू किया. इसके बाद भारतीय शास्त्रीय संगीत की विधिवत ट्रेनिंग पंडित छगन लाल शर्मा और बाद में मैहर घराने के उस्ताद जमाल खान से संगीत सीखा. कहते हैं कि 1965 में अपने पिता को बिना बताए मायानगरी चले गए थे.

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जगजीत सिंह ने जिंगल विज्ञापन से की थी शुरुआत
जगजीत सिंह ने जिंगल विज्ञापन में गाना शुरू किया, फिर प्लेबैक सिंगर के रुप में गाया. कई फिल्मों गाना गाया. फिल्म ‘बहुरुपी’ में ‘लागी राम भजन नी लगानी’, फिल्म ‘भावना’ में ‘मेरे दिल में तू ही तू है’, फिल्म ‘खलनायक’ में ‘ओ मां तुझे सलाम’, फिल्म ‘दुश्मन’ में ‘चिट्ठी न कोई संदेश’ जैसे कई गानें शामिल हैं. इतना ही नहीं कई सिंगर के लिए बॉलीवुड में जगह भी बनाई. बॉलीवुड सिंगर  कुमार सानू को किस तरह से जगजीत सिंह ने गाने का पहला मौका दिया था, ये खुद सुनिए–

आम जनता तक पहुंचाई गजल
गजल गायिकी में खूब प्रयोग करने वाले जगजीत सिंह की सबसे बड़ी खासियत यही है कि उन्होंने अमीरों और खास लोगों की गजल को आम जनता तक पहुंचाई. जगजीत की जगह ले पाना हर किसी के बस की बात भी नहीं है.

Tags: Death anniversary special, Entertainment Throwback, Jagjit Singh

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