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Good Luck Jerry Review: निर्देशक सिद्धार्थ सेनगुप्ता की फिल्म की पढ़ाई दिबाकर बनर्जी के स्कूल ‘ओये लकी लकी ओये’ में हुई है और इसलिए जब आप ‘गुड लक जेरी’ देखते हैं तो आपको दिबाकर के कॉमेडी सेंस की कई झलकियां नजर आती हैं. डिज्नी+ हॉटस्टार की नयी रिलीज, जाह्नवी कपूर अभिनीत ‘गुड लक जेरी’ एक एंटरटेनमेंट से भरपूर ब्लैक कॉमेडी है. जिसे देखने का मज़ा आप पूरे परिवार के साथ उठा सकते हैं अगर आप थोड़ी गालियां नजरअंदाज कर दें तो. 2018 में तमिल फिल्म निर्देशक नेल्सन ने अपनी पहली फिल्म लिखी और निर्देशित की थी- कोलमावू कोकिला. फिल्म की हीरोइन थीं नयनतारा. फिल्म सुपरहिट थी. कुछ अवार्ड भी जीते थे. गुड लक जेरी इसी तमिल फिल्म कोलमावू कोकिला का आधिकारिक हिंदी रीमेक है. फिल्म थोड़ी लम्बी है, छोटे छोटे सीन्स हैं, लेकिन फिल्म एंटरटेनिंग है. इस फिल्म को देखने से लगता है कि जाह्नवी कपूर तो बड़ी अच्छी अदाकारा बनती जा रही हैं. उनके करियर में ये फिल्म काफी मदद करेगी ऐसा अनुमान लगाया जा सकता है. जिन्होंने तमिल ओरिजिनल देखी है उन्हें भी जाह्नवी कपूर का अभिनय पसंद आएगा.

गुड लक जेरी की कहानी वैसे तो तमिल में निर्देशक नेल्सन दिलीप कुमार ने ही लिखी थी. इसकी पटकथा से अभिनेत्री नयनतारा (तमिल फिल्मों की सबसे महंगी और सफल एक्ट्रेस) इतनी प्रभावित हुई थीं कि उन्होंने तुरंत हां कर दी थी और अपनी डेट्स भी तुरंत दे दी थीं. इसका हिंदीकरण पंकज मट्टा ने किया है और क्या खूब किया है. ओरिजिनल फिल्म में सब कुछ चेन्नई में होता है और गुड लक जेरी में पंजाब में. पंकज ने किरदारों को क्षेत्रीय जामा भी बखूबी पहनाया है. सिर्फ जाह्नवी और उसकी बहन छाया उर्फ़ चेरी (समता सुदीक्षा) और जाह्नवी की मां सरबती (मीता वशिष्ठ) को बिहार से आया हुआ परिवार बताया है बाकि सब किरदार पंजाब के हैं और पंजाबियत के लाजवाब नमूने हैं. रीमेक में अक्सर इस तरह की छोटी छोटी बातों से बहुत बड़ा प्रभाव पड़ता है. गुड लक जेरी में पंकज ने ये बड़ा प्रभाव पैदा किया है. जया उर्फ़ जेरी (जाह्नवी कपूर) घर के खर्च चलाने के लिए एक मसाज पार्लर में काम करती है. छोटी बहन चेरी पढ़ती है और मां, बाजार में मोमोस बना कर बेचती है. मां को कैंसर हो जाता है तो इलाज के लिए जेरी एक लोकल ड्रग डीलर के लिए ड्रग लाने ले जाने का काम करने लगती है. हर बार किसी न किसी तरह से वो पुलिस से बचती रहती है. किस्मत का पहिया घूमता है और परिस्थितियां ऐसी बन जाती हैं कि जेरी को पुलिस की नाक के नीचे से 100 किलो कोकीन ले जाना होता है. अपनी जान, अपने परिवार की जान और मां पर आयी कैंसर की मुसीबत से लड़ती हुई जेरी अपने दिमाग का इस्तेमाल करते हुए पंजाब के घाघ ड्रग डीलर्स का सामना करती है, पहले आपस में लड़वाकर और बाद में पुलिस की मदद से ड्रग डीलर्स और गैंगस्टर्स को मरवा के. अंत भला तो होता ही है लेकिन इसके पहले कहानी में इतने उतर चढाव आते हैं कि समा बंधा रहता है.

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जाह्नवी कपूर के करियर की चौथी-पांचवी फिल्म है. पहली फिल्म धड़क से गुड लक जेरी तक का सफर मुश्किल तो नहीं था लेकिन जाह्नवी पर अच्छा अभिनय करने का एक बहुत बड़ा प्रश्न था जिसका उत्तर उन्हें देना ही था. गुड लक जेरी वही जवाब है. जाह्नवी ने क्या खूब अभिनय किया है. ग्लैमर को पूरी तरह से हटा कर वो एक बिहार की लड़की, पंजाब में मसाज पार्लर वाली लड़की जो ड्रग म्यूल बन कर पैसे कमाती है और अपनी मां का इलाज करवाती है, इस रोल को जाह्नवी ने लगभग जी ही लिया है. पंजाब में बिहार की ड्रग म्यूल आलिया भट्ट भी बनी थी उड़ता पंजाब में. जान्हवी सहज नज़र आयी हैं. चेहरे पर घबराहट है लेकिन अस्तित्व की लड़ाई ने उसे थोड़ी हिम्मत भी दी है और खुद का दिमाग चलाने की शक्ति. कई सीन्स में तो ऐसा लगता है कि शायद जाह्नवी को ध्यान में रख कर ही लिखा गया है.

कॉमेडी टाइमिंग तो विरासत में नहीं मिल सकती लेकिन जाह्नवी उसमें भी परिपक्व लगी हैं. मीता वशिष्ठ अभिनय का वो कुआं है, जिसमें से पानी निकलता ही जाता है. ज़बरदस्त टाइमिंग और एक विशुद्ध बिहारी मां की ही तरह बेटी से लड़ती हुई वो क्या जम कर अदाकारी करती हैं. जाह्नवी से लड़ाई के सीन, हॉस्पिटल में नर्स द्वारा उन्हें गाउन पहनने के सीन, पडोसी द्वारा उन पर लाइन मारने के सीन… ऐसे कई सीन हैं जहां मीता सीन पर काबिज भी हैं और सीन उनका है भी नहीं. ये अनुभव है. जाह्नवी के एक तरफ़ा प्रेमी के रूप में दीपक डोबरियाल अद्भुत हैं. भगवान ने मुझे इतना हैंडसम क्यों बनाया जैसी बात करते समय वो आत्म मुग्ध होते हुए कहर ढा देते हैं. टिम्मी के किरदार में जसवंत सिंह दलाल एकदम बवाल हैं. वो जेरी से पार्ट टाइम प्यार करते हैं और उसका कहा मानते हुए अपने दो आदमियों को मार देते हैं. जब अंदर आ कर वो जेरी से मिलते हैं तो प्यार और कंफ्यूजन उनकी आंखों में नजर आता है. पेशे से एड फिल्म मेकर और पढाई से एफटीआयआय से एक्टिंग में डिप्लोमा पा चुके जसवंत को अनुष्का शर्मा वाली एनएच 10 में भी देखा गया था, हालांकि किरदार छोटा सा था.

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संगीत पराग छाबड़ा का है और उनके लिए ये अब तक का सबसे बड़ा प्रोजेक्ट है. पूरा दम लगा कर इस प्रोजेक्ट पर काम किया है. मिट्टी से जुड़े गीतकार राज शेखर ने दो तीन गीत तो क्या कमाल लिखे हैं. पेरासिटामोल और झंड बा में पॉप्युलर होने की संभावनाएं हैं लेकिन ओटीटी पर रिलीज़ की वजह से शायद इन्हें ज्यादा बार देखने सुनने को मिलेगा इसकी संभावनाएं कम हैं. एडिटर प्रकाश चंद्र साहू और ज़ुबिन शेख को कहानी को भटकने नहीं दिया है. फिल्म मूलतः अपराध से जुडी है तो कोई भी पैरेलल ट्रैक उतना बड़ा नहीं बनाया गया है. दीपक डोबरियाल और जाह्नवी का गणित, छोटी बहन चेरी और उसका दीवाना आशिक, जाह्नवी और जसवंत की एक तरफा प्रेम कहानी, सुशांत सिंह का रंगीला अंदाज. सब कुछ है लेकिन मूल कहानी है जेरी का ड्रग म्यूल बनना यानि ड्रग्स को इधर से उधर ले जाना और उस से मिलने वाले पैसे से अपनी मां का इलाज करवाना. पटकथा लिखने वाले के साथ साथ निर्देशक और एडिटर दोनों को ही साधुवाद दिय जाना चाहिए कि उन्होंने कहानी को ही हीरो माना. फिल्मों में ऐसा कम होता है. निर्देशक सिद्धार्थ ने जाह्नवी को ऐसा बिना ग्लैमर वाला रोल करने के लिए कैसे मनाया, ये एक रहस्य है. जान्हवी ने भी मसाज पार्लर वाली लड़की बनना कैसे मंज़ूर किया, ये भी एक रहस्य ही रहेगा.

फिल्म मनोरंजक है. फिल्म दर्शकों को बांधे रखती है. गाने भी सही मात्रा में हैं और अच्छे हैं. फिल्म की गति एक दो जगह को छोड़ कर बढ़िया रखी गयी है. इस तरह की फिल्में अब बनने लगी हैं ये सुखद बात है. ‘गुड लक जेरी’ देख कर इस तरह की फिल्मों को समर्थन देना चाहिए और जाह्नवी कपूर की तारीफ करनी चाहिए कि उन्होंने ये फिल्म करने का निर्णय लिया और अपने किरदार को पूरे कन्विक्शन के साथ निभाया. जेरी यानी जाह्नवी ही हो सकती है.

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डिटेल्ड रेटिंग

कहानी :
स्क्रिनप्ल :
डायरेक्शन :
संगीत :

Tags: Film review, Hotstar, Janhvi Kapoor

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