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हाइलाइट्स

चुनावी चंदे को पारदर्शी बनाने के लिए हुई थी इलेक्टोरल बॉन्ड की शुरुआत.
आप इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए अपनी पसंद की पार्टी को चंदा दे सकते हैं.
राजनीतिक पार्टियां इलेक्टोरल बॉन्ड को बैंक में भुनाकर रकम हासिल करते हैं.

नई दिल्ली. सरकार ने राजनीतिक पार्टियों को चंदा देने के लिए इस्तेमाल होने वाले इलेक्टोरल या चुनावी बॉन्ड (Electoral Bonds) की 24वीं किस्त जारी करने की शनिवार को अनुमति दे दी. इनकी बिक्री 5 दिसंबर से होगी. इसी दिन गुजरात विधानसभा चुनाव का दूसरा चरण भी होना है.

12 दिसंबर तक की जा सकेगी इलेक्टोरल बॉन्ड की खरीद
वित्त मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि इलेक्टोरल बॉन्ड की बिक्री 5 दिसंबर से शुरू होगी. भारतीय स्टेट बैंक की 29 अधिकृत शाखाओं से इन बॉन्ड की खरीद 12 दिसंबर तक की जा सकेगी. इलेक्टोरल बॉन्ड की 23वीं किस्त 9 से 15 नवंबर तक खुली थी.

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 1-10 मार्च, 2018 में की गई थी इलेक्टोरल बॉन्ड की पहली किस्त की बिक्री
राजनीतिक दलों को चंदा देने के लिए नकदी के विकल्प के तौर पर इलेक्टोरल बॉन्ड जारी करने की व्यवस्था लागू की गई. बॉन्ड को कोई भी भारतीय नागरिक या भारत में स्थापित कंपनी खरीद सकती है. इलेक्टोरल बॉन्ड की पहली किस्त की बिक्री 1-10 मार्च, 2018 में की गई थी.

स्टेट बैंक के इन ब्रांच से खरीद सकते हैं इलेक्टोरल बॉन्ड
इलेक्टोरल बॉन्ड को एसबीआई की लखनऊ, शिमला, देहरादून, कोलकाता, गुवाहाटी, चेन्नई, पटना, नयी दिल्ली, चंडीगढ़, श्रीनगर, गांधीनगर, भोपाल, रायपुर एवं मुंबई समेत 29 शाखाओं से खरीदा और भुनाया जा सकेगा. एक इलेक्टोरल बॉन्ड की वैधता जारी किए जाने की तारीख से 15 दिनों तक होगी. वैधता अवधि बीतने के बाद अधिकृत शाखाओं में बॉन्ड जमा किए जाने पर राजनीतिक दलों को कोई भी भुगतान नहीं मिल पाएगा. पिछले लोकसभा चुनाव या राज्य के विधानसभा चुनाव में न्यूनतम एक प्रतिशत मत पाने वाले पंजीकृत दल चुनावी बॉन्ड के जरिये चंदा लेने के लिए पात्र हैं.

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क्या होते हैं इलेक्टोरल बॉन्ड
मोदी सरकार ने 2018 में राजनीतिक दलों की ओर से फंड जुटाने के लिए बॉन्‍ड जारी किया था, जिसे चुनावी बॉन्‍ड कहा जाता है. सरकार ने इस दावे के साथ इसकी शुरुआत की थी कि इससे राजनीतिक फंडिंग में पारदर्शिता बढ़ेगी. आप इस बॉन्‍ड के जरिए अपनी पसंद की पार्टी को चंदा दे सकते हैं. इसमें व्यक्ति, कॉरपोरेट और संस्थाएं ये बॉन्ड खरीद सकते हैं और राजनीतिक पार्टियां इस बॉन्ड को बैंक में भुनाकर रकम हासिल करते हैं. बैंक चुनावी बॉन्‍ड उसी ग्राहक को बेचते हैं, जिनका केवाईसी वेरिफाइड होगा. बॉन्ड पर चंदा देने वाले का नाम नहीं होता और इसे गुप्‍त रखा जाता है.

Tags: Business news in hindi, Electoral Bond

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