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हाइलाइट्स

कर्मचारी की सैलरी में 2 भाग होते हैं. एक फिक्स्ड (Fixed) और दूसरा वेरिएबल (Variable).
वेरिएबल पे को कर्मचारी और पूरे बिजनेस की परफॉर्मेंस के आधार पर तय किया जाता है.
वेरिएबल पे इसलिए अच्छी है, क्योंकि यह कर्मचारियों को अपनी रेगुलर सैलरी के अलग मिलती है.

अभिषेक साहू, नई दिल्ली. पिछले दिनों IT इंडस्ट्री में बड़ी कंपनियों द्वारा कर्मचारियों की वेरिएबल पे (Variable Pay) में कटौती किए जाने की चर्चा जोर-शोर से हुई. सबसे पहले खबर आई कि दिग्गज आईटी कंपनी इंफोसिस ने कर्मचारियों की वेरिएबल पे में से 70 फीसदी तक की कटौती कर ली है. इसके बाद उन्य कंपनियों से भी इसी तरह की खबरें बाहर आईं.

खबरें तो आईं, लेकिन, कुछ लोगों को यह समझ में नहीं आया कि “वेरिएबल पे” है क्या और कंपनियों ने इसमें कटौती क्यों की. इसके अलावा एक सवाल यह भी उठा कि वेरिएबल पे किस तरह से प्रभावित होती है और यह कर्मचारियों पर किस तरह का असर डालती है. तो आज हम इसी के बारे में विस्तार से चर्चा करने वाले हैं.

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सैलरी में शामिल होते हैं 2 भाग
इसे आसानी से यूं समझिए, किसी भी कर्मचारी की सैलरी में 2 अहम भाग होते हैं. एक होता है फिक्स्ड (Fixed) और दूसरा परिवर्तित हो सकने वाला (Variable). इन दोनों में कई तरह के अलाउंस, इन्सेन्टिव शामिल हो सकते हैं. वेरिएबल्स और इन्सेन्टिव कब दिए जाएंगे, यह कंपनी की पॉलिसी पर निर्भर करता है. कुछ कंपनियां हर महीने तो कुछ तिमाही पर और कुछ कंपनियां वार्षिक आधार पर देती हैं.

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स्टाफिंग फर्म “टैलेंट ऑन लीज़” के फाउंडर दया प्रकाश ने मनीकंट्रोल से बात करते हुए इस बारे में जानकारी दी. उन्होंने कहा कि परिवर्तनीय वेतन (वेरिएबल पे) में सैलरी और प्रति घंटा वेजेज से हटकर कई तरह के कंपोनेंट शामिल होते हैं, जैसे कि सेल पर कमीशन, हर सेल पर फिक्स्ड अमाउंट, या फिर बिजनेस की पूरी कमाई पर कुछ प्रतिशत हिस्सा.

मतलब यह कि इसे इन्सेंटिव, बोनस या कमीशन के तौर पर दिया जाता है. दया प्रकाश ने कहा, “यह कर्मचारी और पूरे बिजनेस की परफॉर्मेंस के आधार पर तय किया जाता है.”

वेरिएबल पे पर कैसे पड़ता है प्रभाव
मंगलम् इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजीज़ की ईडी और सीएमओ सृष्टि भंडारी ने कहा, “परफॉर्मेंस से लिंक्ड इन्सेंटिव अथवा PLI बहुत अच्छा फैक्टर है, क्योंकि यह वेरिएबल पे के तौर पर कर्मचारियों को अपनी रेगुलर सैलरी के अलग मिलता है, जिससे कि कर्मचारी ज्यादा अच्छे से काम करते हैं.” मंगलम् टेक्नोलॉजी इसे तिमाही आधार पर देती है.

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इसके अलावा वेरिएबल पे न सिर्फ कर्मचारी बल्कि पूरी कंपनी की परफॉर्मेंस पर भी निर्भर करती है. सृष्टि भंडारी ने बताया कि विभाग या प्रोडक्ट लाइन के आधार पर कंपनियां देखती हैं कि उन्हें अपने क्लाइंट्स से कितना लाभ हुआ है. साल के अंत में इसी आय के आधार पर वेरिएबल पे दी जाती है. यदि कंपनी की आय कम हुई है या पिछले साल के मुकाबले रेवेन्यू घटा है तो वेरिएबल पे पर असर पड़ सकता है. कंपनी को नुकसान होने की स्थिति में संभव है कि वेरिएबल पे मिले ही न. तो कह सकते हैं कि वेरिएबल पे की गारंटी नहीं होती.

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स्टॉक ऑप्शन (ESOPs) भी काफी पॉपुलर
दया प्रकाश ने बताया कि स्टार्ट-अप्स और टेक फर्म्स ने हाल ही के दिनों में अच्छे सैलरी पैकेज दिए हैं. कर्मचारियों में स्टॉक ऑप्शन (ESOPs) भी काफी पॉपुलर हो रहे हैं, क्योंकि लॉन्ग टर्म में कंपनी यदि ग्रोथ करेगी तो कर्मचारियों को भी फायदा मिलेगा.

क्या-क्या होता है वेरिएबल पे में?
एक्सपर्ट्स कहते हैं कि इंडस्ट्री में वेरिएबल पे में क्या-क्या होना चाहिए या होता है, इस बारे में कुछ भी कहा नहीं जा सकता. हालांकि SaaS प्लेटफॉर्म Roadcast के को-फाउंडर राहुल मेहरा कहते हैं लक्ष्य (टार्गेट) निर्धारित किए जाते हैं और वेरिएबल पे का प्रतिशत इस पर निर्भर करेगा कि उन तय किए गए टार्गेट्स का कितना प्रतिशत अचीव किया गया है.

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फिक्स पे के मुकाबले अगर कहें तो वेरिएबल पे उसका 10-20 फीसदी तक हो सकती है. इस बारे में “टैलेंट ऑन लीज़” के फाउंडर दया प्रकाश ने कहा कि जैसे-जैसे एक कर्मचारी अपने करियर में आगे बढ़ता है तो वेरिएबल पे के प्रतिशत में बदलाव होता जाता है. मीडियम लेवल पर कर्मचारी की वेरिएबल पे 15-30 फीसदी तक हो सकती है. ऊंचे पर पर बैठे कर्मचारियों की वेरिएबल पे 30 से लेकर 50 फीसदी तक हो सकती है.

इस बात का ध्यान रखें कर्मचारी
कर्मचारियों को सलाह देते हुए CABT लॉजिस्टिक के फाउंडर शैलेश कुमार ने कहा कि बहुत जरूरी है कि आपको अपनी सैलरी अच्छे से कैलकुलेट करनी चाहिए. उन्होंने कहा, “आपको अपनी आधारभूत सैलरी को बिना इन्सेन्टिव के गिनना चाहिए और फिर आगे बढ़ना चाहिए… आपको यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि आपके टार्गेट्स स्पष्ट हों और आपकी वेरिएबल पे उन टार्गेट्स के आधार पर मापी जा सके.”

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